द्रोणवीर कोहली

In Culture, Journalism, Literature, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

जीवन संध्‍या बीज का देरी से सही, बेहतरीन फल देना साइकिलों पर बदहवास पैडल मारते तीन हज़ार छात्र सप्‍ताह में छः दिन ठीक समय पर पहुँच जाते। कपड़े कम हों …

बेचारे तुलसीदास ने मार्क्स का कहाँ पढ़ा था!

In Culture, History, Lifestyle, Literature, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

  २० जून २००७ वाक् पत्रिका का प्रवेशांक पढ़ कर संपादक सुधीश को लिखा पत्र ये सब सभी पुराने लेखकों पर चाहे वे तुलसीदास हों या कालीदास या मिल्‍टन या …

सनातन धर्म – विरोघियोँ के प्रति सहनशीलता

In Books, Culture, History by Arvind KumarLeave a Comment

    सनातन जीवन शैली अपने अवलंबियों के सामने स्‍वतंत्र चिंतन के लिए अनंत, असीम और उन्‍मुक्त आकाश रखती है और एक अनोखी उदारता. यह संसार की सभी विचार धाराओं …

शब्देश्वरी–यह पौराणिक नामों का संकलन

In Books, Culture, History by Arvind KumarLeave a Comment

  शब्देश्वरी–यह पौराणिक नामों का संकलन है. इस में ईश्वर, आत्‍मा, देह, पुरुष आदि से ले कर त्रिमूर्ति (ब्रह्‍मा, विष्‍णु, विष्‍णु के सभी प्रमुख अवतार, महेश/शिव) के, देवयोनियों में अप्‍सराओं …

गीता का मेरा हिंदी अनुवाद

In Culture, Translation by Arvind KumarLeave a Comment

गीता तथा अन्य प्राचीन भारतीय धर्म ग्रंथोँ के ऐसे अनुवाद नहीँ मिलते जिन मेँ व्याख्या न हो, भाष्य न हो. जो मात्र अनुवाद होँ, शुद्ध अनुवाद होँ. सच्चे होँ और …

View Post

हिन्दी समांतर कोश: एक विराट प्रयास

In Culture, Dictionary, Learning, People, Reviews by Arvind KumarLeave a Comment

  अक्टुबर 2006 | निधि हिन्दी समांतर कोश: एक विराट प्रयास अरविंद व कुसुम कुमार के 20 साल के अथक परिश्रम का परिणाम है यह वृहद कोश लेखकः अनूप शुक्ला …

साहित्य का ही अंग है सिनेमा

In Cinema, Culture, Literature, People by Arvind KumarLeave a Comment

हिंदी वालोँ ने अपने अहंकार मेँ इल्मी और फ़िल्मी जैसे मुहावरे गढ़ कर जनमानस मेँ अजीब और ग़लत समझ पैदा कर दी. फ़िल्म को घटिया और रद्दी कला मान कर …

View Post

रुकना मेरा काम नहीं

In Culture, Journalism, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

दास्ताने अरविंद मैं एक साप्ताहिक समाचार पत्र में काम कर रहा था। उसकी दो-तीन प्रतियां ले गया था। वे अरविंदजी को दीं। वह त्यागीजी से अधिक मुझसे बात करते रहे। …

मल्टीप्लैक्स क्रांति

In Cinema, Culture by Arvind KumarLeave a Comment

  जितना बड़ा सिनेमाघर होता, उतने ही ज्यादा दर्शकोँ की दरकार होगी. जितने ज़्यादा दर्शक फ़िल्म को सफल करने के लिए चाहिएँ, उतनी ही उन लोगोँ की पसंद पर हमारी …

मनुष्य की सब से बड़ी उपलब्धि

In Culture, History, Learning, Word Power by Arvind KumarLeave a Comment

शब्द मनुष्य की सब से बड़ी उपलब्धि हैँ, प्रगति के साधन और ज्ञान विज्ञान के भंडार हैँ. शब्दोँ की शक्ति अनंत है. संस्कृत के महान वैयाकरणिक महर्षि पतंजलि का कथन …

आंद्या, इंदिज्स्की, ऐंत्क्सग, खिंदी… क्या हैँ ये सब?

In Culture, Hindi, History, Learning by Arvind KumarLeave a Comment

क्या हैँ ये सब? आंद्या, इंदिज्स्की, ऐंत्क्सग, खिंदी, चिंदी, चिंद्ज़ी, खिंदी, तिएंग हिन-दी, यिन दी यू, हिंदिह्श्चिना, ह्योनद्विसफ़्…   जी हाँ हिंदी! हिंदू शब्द की ही तरह हिंदी शब्द भारत …

कोशकारिता में हम बहुत पीछे हैँ, थे नहीँ

In Culture, History, People by Arvind KumarLeave a Comment

  कोशोँ के निर्माण के पीछे सामाजिक सांस्‍कृति उद्देश्य होते हैँ. कई बार ये उद्देश्य धार्मिक और राजनीतिक होते हैँ. सर मोनिअर-विलियम्स ने लिखा है कि संस्क़त के अध्ययन और …

कभी कला वि-मल थी, अब स-मल है

In Art, Cinema, Culture, History, Humor, Life style by Arvind KumarLeave a Comment

कला वह है जो कलाकार करें और हम अ-कलाकारों पर थोपें क्‍योंकि उनकी हर करनी को कला कहने और पुरस्‍कारने वाले कलामर्मज्ञ मौजूद हैं. आप और हम मूरख बनें तो …

हिंदी मेँ पूर्णकालिक लेखन… असंभव!

In Culture, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

  हिंदी ही क्या संसार की किसी भी भाषा मेँ पूर्णकालिक लेखन के सहारे आर्थिक स्वावलंबिता केवल कुछ ही के लिए संभव है. अँगरेजी मेँ, यूरोप के संपन्न देशोँ की …