‘स्लमडाग करोड़पती’ के दस साल पूरे होने पर पूर्वाग्रह में छपी मेरी समीक्षा 1 कौन बनेगा करोड़पती के मंच पर जमाल (देव पटेल) और क्विज़मास्टर प्रेम (अनिल कपूर) स्लमडाग करोड़पती …
सूचना प्रौद्योगिकी और हिंदी
बचपन में मैं तख़्ती पर मुलतानी मिट्टी पोत कर उसे हिला हिला कर सुखाता था और फिर बुदके में क़लम डूबो कर काली स्याही से लिखता था, तो वह भी …
Rule of thumb
इंग्लिश में मुहावरा है – रूल आफ़ थंब (rule of thumb). (संकलित) A rule of thumb is a principle with broad application that is not intended to be strictly accurate …
मैं भी प्रवासी हूं- रवीश कुमार
(गर्भनाल पत्रिका से साभार) बचपन से पहचान का यह सवाल परेशान करता रहा है। जब पटना शहर से गांव जाता था तो लोग ताने देते थे। बबुआ शहरी हो गया …
कोटणीस-चिंगलान का संगम एक बार फिर हिंद-चीन का संगम बन सकता है
अपने प्यारे ‘के दिहुआ’ की समाधि पर चीन के लोग अभी तक फूल चढ़ाते हैं. वह था महाराष्ट्र के शोलापुर मेँ जन्मा हमारा डाक्टर कोटणीस जिस के जीवन पर वी. …
कोटणीस-चिंगलान पर भारत-चीन अब तीसरी फ़िल्म बनाएँ
अपने प्यारे ‘के दिहुआ’ की समाधि पर चीन के लोग अभी तक फूल चढ़ाते हैं. वह था महाराष्ट्र के शोलापुर मेँ जन्मा हमारा डाक्टर कोटणीस जिस के जीवन पर वी. …
जब वी मैट: राज कपूर और मैँ – पहली बार
-अरविंद कुमार नवंबर 1963. शाम के लगभग चार-पाँच बजे. आर.के. स्टूडियो के कार्यालय ब्लाक मेँ शैलेंद्र जी और मैँ ज़ीना चढ़ कर बाल्कनी पहुँचे. बाईं ओर शुरू मेँ और अंत …
राज कपूर देह थे तो शैलेंद्र उन की आत्मा
–अरविंद कुमार चौदह दिसंबर – शैलेंद्र के प्रयाण और राज कपूर के जन्म दिवस पर विशेष ‘माधुरी’ का संपादक बन कर मैँ जब 1963 मेँ बंबई पहुँचा तो मेरी पसंद …
समांतर कोश के इक्कीस साल–भाग – 1
भाग एक -13 दिसंबर 2017. नई दिल्ली. इक्कीस साल पहले 13 दिसंबर 1996 के पूर्वाह्न कुसुम और मैँ ने तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर शंकर दयाल को ‘समांतर कोश – हिंदी थिसारस’ …
चलती फ़िल्म चल कर बंबई आ पहुँची!!
चलती फ़िल्म के पहला शो ‘आलीशान हिंद काफ़े’ था, तो जल्दी ही चल कर जल्दी ही हिंद के द्वार बंबई आ पहुँची -26 दिसंबर 1895. पैरिस. ‘ल सालोँ दु इंदीएन् …
010 भगवान को भाषा मेँ कहाँ रखेँ?
हंस – मई 1991 अंक श्रव्य और दृश्य भाषा का हथियार ले कर मानव संपूर्ण सृष्टि की विजय यात्रा पर निकल पड़ा… आज किसी भी भाषा मेँ जो भी शब्द …
007 थिसारस और मैँ
जितना सहज मैँ ने समांतर कोश बनाना समझा था, उतना सहज यह निकला नहीँ. हंस – फ़रवरी 1991 अंक हंस फऱवरी 1991 अंक का मुखपृष्ठ पीटर मार्क रोजेट ने अपना …
005 टेढ़े मेढ़े रास्ते…
(शब्दवेध से) पंदरह मई 1978 की सुबह. नेपियन सी रोड पर प्रेम मिलन बिल्डिंग की सातवीँ मंज़िल से उतर कर नीचे अहाते मेँ हमारा सामान दिल्ली जाने के लिए माल …
004 जीवन बदल डालने वाली वह सुबह
(शब्दवेध से) सन 1973 के दिसंबर की 27 तारीख़ की जीवन बदल डालने वाली वह सुहानी सुबह हम कभी नहीँ भूल सकते. हम लोग बदस्तूर सुबह की सैर के लिए …
003 पूर्वपीठिका
(शब्दवेध से) – वह सुबह – 27 दिसंबर 1973. मुंबई की मालाबार हिल पर हैंगिंग गार्डन. मैँ ने कुसुम को बताया अपना एक पुराना सपना: हिंदी मेँ किसी थिसारस का …
002 शब्दवेध: एक परिचय
(शब्दवेध से) मैँ पौंडिचेरी (अब पुदुचेरी) की 2. वैश्यल स्ट्रीट पर देवी हाउस की तीसरी मंज़िल मेँ फ़्लैट के ड्राइंग रूम में. (लगभग सन 2000) मेरे जीवन मेँ कोई सतत …
001 मेरे पापा का बचपन – मेरठ तक
(शब्दवेध से) मेरठ का घंटाघर. (फ़ोटो लगभग 2014-15). पापा के बचपन मेँ यहाँ बीच वाला डिवाइडर नहीँ था. दाहिनी ओर अधिकतर साबुन की दुकानेँ थीँ जो सब अपने को ‘असली …
समांतर कोश छपा इस तरह
हिंदी के माथे पर ऐसे लगी सुनहरी बिंदी स्वभाव से मैँ बहुत संकोचशील हूँ, झिझकू स्वभाव के साथ कुछ कुछ डरपोक भी. किसी भी निजी या सरकारी पद पर बैठे …
‘समांतर कोश’ नाम कैसे बना
कमलेश्वर का योगदान हिंदी थिसारस का नाम समांतर कोश कैसे बना इस की भी एक कहानी है. इस पर काम शुरू किया था तो हम ने इस का नाम रखा …
आँखेँ बैठती हैं, आँखोँ बैठते हैँ, आँख मारते हैँ, आँख लड़ाते हैँ, और तो और आँखोँ मेँ रहते हैँ, आँखोँ मेँ बसाते भी हैँ, आँख होती भी है
आँख चर्चा – 5 आँख बैठना : (1) आँख का भीतर की ओर धँस जाना. चोट या रोग आँख का डेला गड़ जाना (2) आँख फूटना. आँख भर आना …
आँखेँ बहुत कुछ कहती हैँ, लाल अंगारा हो जाती हैँ, और हम आँख दिखाते हैँ
आँख चर्चा – 4 आँखेँ तरेरना: क्रोध से आँखेँ निकाल कर देखना. क्रोध की दृष्टि से देखना. उ.—सुनि लछिमन बिहँसे बहुरि नयन तरेरे राम. —मानस आँख तले न …
आँख खुलना, आँख खोलना और आँखेँ चार होना
आँख चर्चा – 3 आँख खुलना: (1) पलक खुलना. परस्पर मिली या चिपकी हुई पलकोँ का अलग हो जाना; जैसे—(क) बच्चे की आँखेँ धो डालो तो खुल जाएँ. …
दोनों आँखेँ बराबर हैँ
आँख चर्चा – 2 आँख. (1) ध्यान. लक्ष्य. जैसे उन की आँख बुराई ही पर रहती है. आँख. (2) विचार. विवेक परख. शिनाख़्त जैसे— (क) उस के आँख नहीँ …
दाहिनी आँख है इंद्र, तो बाईं है इंद्राणी
आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम देख न पाएँ तो कहीँ …
दाहिनी आँख है इंद्र, तो बाईं है इंद्राणी
आँख चर्चा – 1 आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम …