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स्लमडाग के दस साल बाद

In Cinema, Culture, English, Hindi, History, Reviews by Arvind KumarLeave a Comment

‘स्लमडाग करोड़पती’ के दस साल पूरे होने पर पूर्वाग्रह में छपी मेरी समीक्षा 1 कौन बनेगा करोड़पती के मंच पर जमाल (देव पटेल) और क्विज़मास्टर प्रेम (अनिल कपूर) स्लमडाग करोड़पती …

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सूचना प्रौद्योगिकी और हिंदी

In Culture, Dictionary, English, Hindi, Language, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

बचपन में मैं तख़्ती पर मुलतानी मिट्टी पोत कर उसे हिला हिला कर सुखाता था और फिर बुदके में क़लम डूबो कर काली स्याही से लिखता था, तो वह भी …

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मैं भी प्रवासी हूं- रवीश कुमार

In Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

(गर्भनाल पत्रिका से साभार) बचपन से पहचान का यह सवाल परेशान करता रहा है। जब पटना शहर से गांव जाता था तो लोग ताने देते थे। बबुआ शहरी हो गया …

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कोटणीस-चिंगलान का संगम एक बार फिर हिंद-चीन का संगम बन सकता है

In Adventure, Cinema, Culture, History, India-China, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

अपने प्यारे ‘के दिहुआ’ की समाधि पर चीन के लोग अभी तक फूल चढ़ाते हैं. वह था महाराष्ट्र के शोलापुर मेँ जन्मा हमारा डाक्टर कोटणीस जिस के जीवन पर वी. …

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कोटणीस-चिंगलान पर भारत-चीन अब तीसरी फ़िल्म बनाएँ

In Adventure, Cinema, Culture, Friendship, Goodwill, History, Memoirs, People, Politics by Arvind KumarLeave a Comment

अपने प्यारे ‘के दिहुआ’ की समाधि पर चीन के लोग अभी तक फूल चढ़ाते हैं. वह था महाराष्ट्र के शोलापुर मेँ जन्मा हमारा डाक्टर कोटणीस जिस के जीवन पर वी. …

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जब वी मैट: राज कपूर और मैँ – पहली बार

In Cinema, Culture, Friendship, Memoirs, Mumbai, People, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

-अरविंद कुमार नवंबर 1963. शाम के लगभग चार-पाँच बजे. आर.के. स्टूडियो के कार्यालय ब्लाक मेँ शैलेंद्र जी और मैँ ज़ीना चढ़ कर बाल्कनी पहुँचे. बाईं ओर शुरू मेँ और अंत …

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राज कपूर देह थे तो शैलेंद्र उन की आत्मा

In Art, Cinema, Friendship, People, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

–अरविंद कुमार चौदह दिसंबर – शैलेंद्र के प्रयाण और राज कपूर के जन्म दिवस पर विशेष ‘माधुरी’ का संपादक बन कर मैँ जब 1963 मेँ बंबई पहुँचा तो मेरी पसंद …

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समांतर कोश के इक्कीस साल–भाग – 1

In Arvind Lexicon, Culture, Dictionary, English, Hindi, History, Language, Languages, Memoirs, People, Sanskrit, Thesaurus by Arvind KumarLeave a Comment

भाग एक -13 दिसंबर 2017. नई दिल्ली. इक्कीस साल पहले 13 दिसंबर 1996 के पूर्वाह्न कुसुम और मैँ ने तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर शंकर दयाल को ‘समांतर कोश – हिंदी थिसारस’ …

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चलती फ़िल्म चल कर बंबई आ पहुँची!!

In Cinema by Arvind KumarLeave a Comment

चलती फ़िल्म के पहला शो ‘आलीशान हिंद काफ़े’ था, तो जल्दी ही चल कर जल्दी ही हिंद के द्वार बंबई आ पहुँची -26 दिसंबर 1895. पैरिस. ‘ल सालोँ दु इंदीएन् …

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010 भगवान को भाषा मेँ कहाँ रखेँ?

In Gods, Lifestyle, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

हंस – मई 1991 अंक श्रव्‍य और दृश्‍य भाषा का हथियार ले कर मानव संपूर्ण सृष्टि की विजय यात्रा पर निकल पड़ा… आज किसी भी भाषा मेँ जो भी शब्‍द …

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005 टेढ़े मेढ़े रास्ते…

In Memoirs, ShabdaVedh, Travel by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) पंदरह मई 1978 की सुबह. नेपियन सी रोड पर प्रेम मिलन बिल्डिंग की सातवीँ मंज़िल से उतर कर नीचे अहाते मेँ हमारा सामान दिल्ली जाने के लिए माल …

003 पूर्वपीठिका

In Memoirs, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) – वह सुबह – 27 दिसंबर 1973. मुंबई की मालाबार हिल पर हैंगिंग गार्डन. मैँ ने कुसुम को बताया अपना एक पुराना सपना: हिंदी मेँ किसी थिसारस का …

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002 शब्दवेध: एक परिचय

In Memoirs, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) मैँ पौंडिचेरी (अब पुदुचेरी) की 2. वैश्यल स्ट्रीट पर देवी हाउस की तीसरी मंज़िल मेँ फ़्लैट के ड्राइंग रूम में. (लगभग सन 2000) मेरे जीवन मेँ कोई सतत …

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001 मेरे पापा का बचपन – मेरठ तक

In Memoirs, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) मेरठ का घंटाघर. (फ़ोटो लगभग 2014-15). पापा के बचपन मेँ यहाँ बीच वाला डिवाइडर नहीँ था. दाहिनी ओर अधिकतर साबुन की दुकानेँ थीँ जो सब अपने को ‘असली …

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समांतर कोश छपा इस तरह

In Books, Culture, Dictionaries, Hindi, ShabdaVedh, Thesaurus by Arvind KumarLeave a Comment

हिंदी के माथे पर ऐसे लगी सुनहरी बिंदी स्वभाव से मैँ बहुत संकोचशील हूँ, झिझकू स्वभाव के साथ कुछ कुछ डरपोक भी. किसी भी निजी या सरकारी पद पर बैठे …

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‘समांतर कोश’ नाम कैसे बना

In Arvind Lexicon, Books, Culture, Dictionaries, Dictionary, Hindi, Language, Literature, Memoirs, People, People by Arvind KumarLeave a Comment

कमलेश्वर का योगदान हिंदी थिसारस का नाम समांतर कोश कैसे बना इस की भी एक कहानी है. इस पर काम शुरू किया था तो हम ने इस का नाम रखा …

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आँखेँ बैठती हैं, आँखोँ बैठते हैँ, आँख मारते हैँ, आँख लड़ाते हैँ, और तो और आँखोँ मेँ रहते हैँ, आँखोँ मेँ बसाते भी हैँ, आँख होती भी है

In Culture, Dictionary, Hindi, Lifestyle, Literature, Thesaurus by Arvind KumarLeave a Comment

आँख चर्चा – 5   आँख बैठना : (1) आँख का भीतर की ओर धँस जाना. चोट या रोग आँख का डेला गड़ जाना (2) आँख फूटना. आँख भर आना …

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आँखेँ बहुत कुछ कहती हैँ, लाल अंगारा हो जाती हैँ, और हम आँख दिखाते हैँ

In Culture, Hindi, Language, Lifestyle, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

  आँख चर्चा – 4   आँखेँ तरेरना: क्रोध से आँखेँ निकाल कर देखना. क्रोध की दृष्टि से देखना. उ.—सुनि लछिमन बिहँसे बहुरि नयन तरेरे राम. —मानस आँख तले न …

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आँख खुलना, आँख खोलना और आँखेँ चार होना

In Culture, Hindi, Language, Learning, Life style, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

आँख चर्चा –  3     आँख खुलना: (1) पलक खुलना. परस्पर मिली या चिपकी हुई पलकोँ का अलग हो जाना; जैसे—(क) बच्चे की आँखेँ धो डालो तो खुल जाएँ. …

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दाहिनी आँख है इंद्र, तो बाईं है इंद्राणी

In Culture, Dictionary, Hindi, Language, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम देख न पाएँ तो कहीँ …

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दाहिनी आँख है इंद्र, तो बाईं है इंद्राणी

In Culture, Hindi, Language, Literature, Word Power by Arvind KumarLeave a Comment

आँख चर्चा – 1   आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम …