View Post

010 भगवान को भाषा मेँ कहाँ रखेँ?

In Gods, Lifestyle, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

हंस – मई 1991 अंक श्रव्‍य और दृश्‍य भाषा का हथियार ले कर मानव संपूर्ण सृष्टि की विजय यात्रा पर निकल पड़ा… आज किसी भी भाषा मेँ जो भी शब्‍द …

View Post

आँखेँ बैठती हैं, आँखोँ बैठते हैँ, आँख मारते हैँ, आँख लड़ाते हैँ, और तो और आँखोँ मेँ रहते हैँ, आँखोँ मेँ बसाते भी हैँ, आँख होती भी है

In Culture, Dictionary, Hindi, Lifestyle, Literature, Thesaurus by Arvind KumarLeave a Comment

आँख चर्चा – 5   आँख बैठना : (1) आँख का भीतर की ओर धँस जाना. चोट या रोग आँख का डेला गड़ जाना (2) आँख फूटना. आँख भर आना …

View Post

आँखेँ बहुत कुछ कहती हैँ, लाल अंगारा हो जाती हैँ, और हम आँख दिखाते हैँ

In Culture, Hindi, Language, Lifestyle, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

  आँख चर्चा – 4   आँखेँ तरेरना: क्रोध से आँखेँ निकाल कर देखना. क्रोध की दृष्टि से देखना. उ.—सुनि लछिमन बिहँसे बहुरि नयन तरेरे राम. —मानस आँख तले न …

View Post

नवरात्र, दुर्गा, काली, पार्वती

In Festival, Lifestyle by Arvind KumarLeave a Comment

गुरुवार, 25 सितम्बर 2014 आज से नवरात्र, दुर्गा पूजा शुरू हो गए. दशहरा सिर पर आ गया. हर ओर हँसी ख़ुशी मौज मस्ती का आलम है. कहीँ डांडिया रास शुरू …

View Post

बाल श्रमिक से शब्दाचार्य तक की यात्रा

In Cinema, Culture, Lifestyle, Literature, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

अरविन्द कुमार जितना जटिल काम अपने हाथ में लेते हैं, निजी जीवन में वह उतने ही सरल, उतने ही सहज और उतने ही व्यावहारिक हैं। तो शायद इसलिए भी कि …

बेचारे तुलसीदास ने मार्क्स का कहाँ पढ़ा था!

In Culture, History, Lifestyle, Literature, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

  २० जून २००७ वाक् पत्रिका का प्रवेशांक पढ़ कर संपादक सुधीश को लिखा पत्र ये सब सभी पुराने लेखकों पर चाहे वे तुलसीदास हों या कालीदास या मिल्‍टन या …