कमलेश्वर का योगदान हिंदी थिसारस का नाम समांतर कोश कैसे बना इस की भी एक कहानी है. इस पर काम शुरू किया था तो हम ने इस का नाम रखा …
आँखेँ बैठती हैं, आँखोँ बैठते हैँ, आँख मारते हैँ, आँख लड़ाते हैँ, और तो और आँखोँ मेँ रहते हैँ, आँखोँ मेँ बसाते भी हैँ, आँख होती भी है
आँख चर्चा – 5 आँख बैठना : (1) आँख का भीतर की ओर धँस जाना. चोट या रोग आँख का डेला गड़ जाना (2) आँख फूटना. आँख भर आना …
आँखेँ बहुत कुछ कहती हैँ, लाल अंगारा हो जाती हैँ, और हम आँख दिखाते हैँ
आँख चर्चा – 4 आँखेँ तरेरना: क्रोध से आँखेँ निकाल कर देखना. क्रोध की दृष्टि से देखना. उ.—सुनि लछिमन बिहँसे बहुरि नयन तरेरे राम. —मानस आँख तले न …
आँख खुलना, आँख खोलना और आँखेँ चार होना
आँख चर्चा – 3 आँख खुलना: (1) पलक खुलना. परस्पर मिली या चिपकी हुई पलकोँ का अलग हो जाना; जैसे—(क) बच्चे की आँखेँ धो डालो तो खुल जाएँ. …
दाहिनी आँख है इंद्र, तो बाईं है इंद्राणी
आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम देख न पाएँ तो कहीँ …
दाहिनी आँख है इंद्र, तो बाईं है इंद्राणी
आँख चर्चा – 1 आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम …
सर्वोत्तम संपादक अरविंद कुमार – लेखक: दयानंद पांडेय
(दयानंद हद से ज़्यादा सहजदिल बंदा है. जो बात उस मेँ ख़ास है, वह है रीकाल recall – ऐसी छोटी छोटी चीज़ेँ याह रख पाना और फिर वक़्त पड़ने पर …
क्या है शब्दवेध
शब्दवेध भारत को थिसारस देने वाले अरविंद कुमार की नई किताब है. शब्दवेध अरविंद कुमार की शब्दोँ के संसार …
शब्दवेध–क्या, किस के लिए
शब्दवेध: क्योँ, किस के लिए शब्दवेध सब के लिए एक अत्यंत रोचक सत्यकथा है. कैसे कोई अपनी मेहनत और लगन के, निष्ठा, संकल्प और प्रतिबद्धता के बल पर कमतरीन से …
Relevance of ShabdVedh
ShabdVedh is an interesting story for all. It shows how one can rise above the worst of circumstances, dream, and with complete diligence and dedication, work towards fulfilling …
What is ShabdVedh
What is ShabdVedh? ShabdVedh is the latest book by India’s Thesaurus Man Arvind Kumar. Shabdvedh is the story of Arvind’s 70-year journey in the creative world of words. A journey …
करामाती कोशकार
मंज़िल दूर होती गई, इरादा मज़बूत होता गया मोहन शिवानंद (रीडर्स डाइजेस्ट के भारतीय संस्करण के प्रधान संपादक हैं) प्रकाशनालय दिल्ली प्रैस का वह नौजवान पत्रकार अरविंद कुमार हिंदी कहानी …
Peter Mark Roget – a tribute by an inveterate Indian admirer
On his birthday (18 Jan) a tribute by an inveterate Indian admirer Peter Mark Roget left an indelible mark on the world of words By Arvind Kumar Author of Samantar …
गिरा अनयन नयन बिनु वाणी
वाचिक या लिखित शब्द अमूर्त भाव का प्रतीक मात्र होता है. कोश में जब किसी शब्द के अर्थ दिए जाते हैं, तो कोशकार एक शब्द के स्थान पर कुछ …
हिंदी मेँ पूर्णकालिक लेखन… असंभव!
हिंदी ही क्या संसार की किसी भी भाषा मेँ पूर्णकालिक लेखन के सहारे आर्थिक स्वावलंबिता केवल कुछ ही के लिए संभव है. अँगरेजी मेँ, यूरोप के संपन्न देशोँ की …
Mankind’s greates achievement
Words are mankind’s greatest achievement. They drive all progress and contain all our knowledge and sciences. Words wield enormous power. In the words of the great Sanskrit grammarian …
साहित्य का ही अंग है सिनेमा
हिंदी वालोँ ने अपने अहंकार मेँ इल्मी और फ़िल्मी जैसे मुहावरे गढ़ कर जनमानस मेँ अजीब और ग़लत समझ पैदा कर दी. फ़िल्म को घटिया और रद्दी कला मान कर …
बेचारे तुलसीदास ने मार्क्स का कहाँ पढ़ा था!
२० जून २००७ वाक् पत्रिका का प्रवेशांक पढ़ कर संपादक सुधीश को लिखा पत्र ये सब सभी पुराने लेखकों पर चाहे वे तुलसीदास हों या कालीदास या मिल्टन या …
हिंदी — अगस्त 1947 से 2007 तक…
उस ज़माने के लेखकों कवियों की और आज के लेखकों की वेशभूषा मे में जो अंतर है वही अंतर तब की और अब की भाषा में भी कहा जा सकता …
द्रोणवीर कोहली
जीवन संध्या बीज का देरी से सही, बेहतरीन फल देना साइकिलों पर बदहवास पैडल मारते तीन हज़ार छात्र सप्ताह में छः दिन ठीक समय पर पहुँच जाते। कपड़े कम हों …
कैरियर और अकादमिक लेखन
मुझ से प्रश्न अँगरेजी मेँ पूछे गए थे. कारण था प्रश्नकर्ता के पास यूनिकोड हिंदी फ़ौंट न होना. मेरे उत्तर हिंदी मेँ होने थे, और हैं · Career opportunities …
हिंदी के बारे मेँ कुछ अकारण चिंताएँ
सीधे आज की बात करें. शुद्धताप्रेमी भाषाविदों में आज गहरी चिंता व्याप रही है–हिंदी न्यूज़पेपर और टीवी चैनल अँगरेजी से लार्जस्केल पर वर्ड इंपोर्ट कर के हिंदी को अशुद्ध …
बाल श्रमिक से शब्दाचार्य तक की यात्रा
अरविन्द कुमार जितना जटिल काम अपने हाथ में लेते हैं, निजी जीवन में वह उतने ही सरल, उतने ही सहज और उतने ही व्यावहारिक हैं। तो शायद इसलिए भी कि …
हिंदी रुकने वाली नहीं है, रुकेगी नहीं
हिंदी–दशा और दिशाएँ… ऐसा नहीँ हैँ कि आज लोग हिंदी का महत्त्व नहीँ जानते या हिंदी की प्रगति और विकास रुक गया है या रुक जाएगा। मैं समझता हूँ कि …
सौंदर्य प्रतियोगिता
वर्ड पावर – word power आजकल सौंदर्य प्रतियोगिताएँ व्यापार बन गई हैँ. अंततोगत्वा इन के आयोजक सौंदर्य उपचारोँ के विज्ञापन दाताओँ को महँगी क़ीमत पर विश्वप्रसिद्ध माडल दिलाने वाली …
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