अँगरेजी हिंदी मौसेरी बहनें

In Culture, English, Gujarati, Languages by Arvind KumarLeave a Comment

अब दोनों नई राह पर साथ साथ चलें…

हम लोग पिछली सदी में अँगरेजी को एक ऐसी विदेशी भाषा के रूप में देखते रहे हैं, जो हम पर लादी गई थी, और हमारी अपनी भाषाओँ को नष्ट करने पर तुली थी. लेकिन भाषाओँ के इतिहास में जाएँ तो ये दोनों संसार के बृहत्तम भारोपीय या Indo-European भाषा परिवार की सदस्य हैं. हज़ारों साल पहले पश्चिम की ग्रीक और रोमन भाषाएँ पूर्व की संस्कृत, फ़ारसी आदि भाषाओं से जुदा हो गई थीं. इन से उपजीं इस युग की हमारी हिंदी, बांग्ला, गुजराती, मराठी जैसी समृद्ध भाषाएँ इंग्लिश, फ़्राँसीसी, जरमन आदि की सदियों पहले बिछुडी़ मौसेरी बहनें हैं… आज दुनिया का गोला सिमट रहा है. भाषाएँ एक दूसरे के निकट आ रही हैं, एक दूसरे से कुछ न कुछ ले रही हैं.

आजा़दी के बाद हम ने पाया कि अँगरेजी का सदुपयोग हम संसार का ज्ञान समेटने के काम में कर सकते हैं. अँगरेजी ज्ञान हमारी पिछली और वर्तमान पीढ़ियों के लिए पूरे ग्लोब पर छा जाने में मदद करता रहा है. नज़रें उठा कर देखें आप किसी ने किसी ऐसे आदमी को ज़रूर जानते हैं जिस के परिवार जन विदेशों में बसे हैं. आम आदमी के मन में आकांक्षा है इंग्लिश सीख कर अपना सामाजिक और आर्थिक उत्थान करे. ऐसे में भाषा क्षेत्रे के स्थान पर यह नया स्तंभ अहा! ज़िदंगी के पाठकों को काफ़ी सहायक सिद्ध होगा, इस आशा के साथ… और इस आशा के साथ कि दोनों भाषाओं के शब्द ज्ञान से हमारी भाषाएँ भी समृद्ध होंगी…

 

हम सब मिल कर दोनों भाषाओँ की विशाल शब्द संपदा के दर्शन करें और शब्दों की अनोखी सृष्टि का विहंगम दर्शन करें… किसी एक शब्द के लिए दोनों भाषाओं के अनेक शब्द जानें, शब्द संपदा बढ़ाएँ…

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©अरविंद कुमार

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