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स्लमडाग के दस साल बाद

In Cinema, Culture, English, Hindi, History, Reviews by Arvind KumarLeave a Comment

‘स्लमडाग करोड़पती’ के दस साल पूरे होने पर पूर्वाग्रह में छपी मेरी समीक्षा 1 कौन बनेगा करोड़पती के मंच पर जमाल (देव पटेल) और क्विज़मास्टर प्रेम (अनिल कपूर) स्लमडाग करोड़पती …

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कोटणीस-चिंगलान का संगम एक बार फिर हिंद-चीन का संगम बन सकता है

In Adventure, Cinema, Culture, History, India-China, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

अपने प्यारे ‘के दिहुआ’ की समाधि पर चीन के लोग अभी तक फूल चढ़ाते हैं. वह था महाराष्ट्र के शोलापुर मेँ जन्मा हमारा डाक्टर कोटणीस जिस के जीवन पर वी. …

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कोटणीस-चिंगलान पर भारत-चीन अब तीसरी फ़िल्म बनाएँ

In Adventure, Cinema, Culture, Friendship, Goodwill, History, Memoirs, People, Politics by Arvind KumarLeave a Comment

अपने प्यारे ‘के दिहुआ’ की समाधि पर चीन के लोग अभी तक फूल चढ़ाते हैं. वह था महाराष्ट्र के शोलापुर मेँ जन्मा हमारा डाक्टर कोटणीस जिस के जीवन पर वी. …

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जब वी मैट: राज कपूर और मैँ – पहली बार

In Cinema, Culture, Friendship, Memoirs, Mumbai, People, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

-अरविंद कुमार नवंबर 1963. शाम के लगभग चार-पाँच बजे. आर.के. स्टूडियो के कार्यालय ब्लाक मेँ शैलेंद्र जी और मैँ ज़ीना चढ़ कर बाल्कनी पहुँचे. बाईं ओर शुरू मेँ और अंत …

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राज कपूर देह थे तो शैलेंद्र उन की आत्मा

In Art, Cinema, Friendship, People, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

–अरविंद कुमार चौदह दिसंबर – शैलेंद्र के प्रयाण और राज कपूर के जन्म दिवस पर विशेष ‘माधुरी’ का संपादक बन कर मैँ जब 1963 मेँ बंबई पहुँचा तो मेरी पसंद …

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चलती फ़िल्म चल कर बंबई आ पहुँची!!

In Cinema by Arvind KumarLeave a Comment

चलती फ़िल्म के पहला शो ‘आलीशान हिंद काफ़े’ था, तो जल्दी ही चल कर जल्दी ही हिंद के द्वार बंबई आ पहुँची -26 दिसंबर 1895. पैरिस. ‘ल सालोँ दु इंदीएन् …

शब्दवेध–क्या, किस के लिए

In Cinema, Culture, Drama, Hindi, History, Journalism, Language, Literature, Memoirs, People, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

शब्दवेध: क्योँ, किस के लिए शब्दवेध सब के लिए एक अत्यंत रोचक सत्यकथा है. कैसे कोई अपनी मेहनत और लगन के, निष्ठा, संकल्प और प्रतिबद्धता ​के बल पर कमतरीन से …

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क्योँ न फटा धरती का कलेजा, क्योँ न फटा आकाश

In Cinema, Hindi, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

—अरविंद कुमार दिन 1 – 1963 आर. के. स्टूडियोज़ के मुख्य ब्लाक में पहली मंज़िल पर छोटे से फ़िल्म संपादन कक्ष में राज कपूर और मैं नितांत अकेले थे. उन …

फ़ाउस्ट – भाग 1 दृश्य 06 – चुड़ैलोँ की रसोई

In Cinema, Culture, Drama, Fiction, History, Poetry, Spiritual, Translation by Arvind KumarLeave a Comment

      फ़ाउस्ट – एक त्रासदी योहान वोल्‍फ़गांग फ़ौन गोएथे काव्यानुवाद –  © अरविंद कुमार ६. चुड़ैलोँ की रसोई चूल्हे पर बड़ा देगचा चढ़ा है. उस से उठती भाप …

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रीमेक, सीक्वैल, प्रीक्वेल, इंटरक्वैल, मिडक्वैल…

In Cinema, Culture, English, Hindi, Learning, Word Power by Arvind KumarLeave a Comment

वर्ड पावर – word power इस बार हम चलते हैँ फ़िल्म लोक… माधुरी पत्रिका के संपादक के रूप मेँ चौदह वर्षों तक यह मेरा लोक भी रहा है. फ़िल्मों के …

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हाय ग़ज़ब कहीँ तारा टूटा…

In Astronomy, Cinema, Culture, Learning, Science by Arvind KumarLeave a Comment

उल्का खंड के अन्य हिंदी नाम हैँ —- उल्काश्म, टूटता तारा, तारकाणु, ताराश्म, धिष्ण्य, मीटियराइट, वज्र. क्या पुराणों मेँ इन की स्मृति अंकित है. शायद इन्हेँ ही इंद्र का वज्र …

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स्लमडाग करोड़पती

In Cinema, Culture, Fiction, Reviews by Arvind KumarLeave a Comment

डेविड गोलिएथ हो या (कंस के दरबार मेँ) कृष्ण चाणूर द्वंद्व या वानर सेना की सहायता से संसार के समकालीन सर्वशक्तिशाली सम्राट रावण की सोने की लंका पर राम की …

स्लमडाग करोड़पती

In Cinema, Culture, Fiction, Reviews by Arvind KumarLeave a Comment

डेविड गोलिएथ हो या (कंस के दरबार मेँ) कृष्ण चाणूर द्वंद्व या वानर सेना की सहायता से संसार के समकालीन सर्वशक्तिशाली सम्राट रावण की सोने की लंका पर राम की …

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शैलेँद्र

In Cinema, Culture, People by Arvind KumarLeave a Comment

दिल है हिंदुस्तानी की याद मेँ सच तो यह है कि यह गीत आज़ाद हिंदुस्‍तान का मैनिफ़ैस्‍टो था, जो बड़े आत्‍मविश्वास के साथ खुली सड़क पर सीना ताने निकल पड़ा …

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शैलेँद्र – मारे गए गुलफ़ाम

In Cinema, Culture, People by Arvind KumarLeave a Comment

सूफ़ी मार्क्सवादी इसी टीम के शेष सदस्योँ ने शैलेँद्र की अरथी को सब से पहले कंधा दिया. यह उन्हीँ का अधिकार था. इस टीम की अलग पहचान यह थी कि …

जब नायक नायिका मिले? या साथ सोए?

In Cinema, Culture, Languages by Arvind KumarLeave a Comment

जब वी मेट या मैट? अँगरेजी का यूसेज तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन सवाल यह है अँगरेजी शब्द देवनागरी मेँ लिखेँ कैसे   जब मेरा निम्न लेख गूगल ग्रुप …

कभी कला वि-मल थी, अब स-मल है

In Art, Cinema, Culture, History, Humor, Life style by Arvind KumarLeave a Comment

कला वह है जो कलाकार करें और हम अ-कलाकारों पर थोपें क्‍योंकि उनकी हर करनी को कला कहने और पुरस्‍कारने वाले कलामर्मज्ञ मौजूद हैं. आप और हम मूरख बनें तो …

मल्टीप्लैक्स क्रांति

In Cinema, Culture by Arvind KumarLeave a Comment

  जितना बड़ा सिनेमाघर होता, उतने ही ज्यादा दर्शकोँ की दरकार होगी. जितने ज़्यादा दर्शक फ़िल्म को सफल करने के लिए चाहिएँ, उतनी ही उन लोगोँ की पसंद पर हमारी …

साहित्य का ही अंग है सिनेमा

In Cinema, Culture, Literature, People by Arvind KumarLeave a Comment

हिंदी वालोँ ने अपने अहंकार मेँ इल्मी और फ़िल्मी जैसे मुहावरे गढ़ कर जनमानस मेँ अजीब और ग़लत समझ पैदा कर दी. फ़िल्म को घटिया और रद्दी कला मान कर …

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बाल श्रमिक से शब्दाचार्य तक की यात्रा

In Cinema, Culture, Lifestyle, Literature, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

अरविन्द कुमार जितना जटिल काम अपने हाथ में लेते हैं, निजी जीवन में वह उतने ही सरल, उतने ही सहज और उतने ही व्यावहारिक हैं। तो शायद इसलिए भी कि …