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‘समांतर कोश’ नाम कैसे बना

In Arvind Lexicon, Books, Culture, Dictionaries, Dictionary, Hindi, Language, Literature, Memoirs, People, People by Arvind KumarLeave a Comment

कमलेश्वर का योगदान हिंदी थिसारस का नाम समांतर कोश कैसे बना इस की भी एक कहानी है. इस पर काम शुरू किया था तो हम ने इस का नाम रखा …

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आँखेँ बैठती हैं, आँखोँ बैठते हैँ, आँख मारते हैँ, आँख लड़ाते हैँ, और तो और आँखोँ मेँ रहते हैँ, आँखोँ मेँ बसाते भी हैँ, आँख होती भी है

In Culture, Dictionary, Hindi, Lifestyle, Literature, Thesaurus by Arvind KumarLeave a Comment

आँख चर्चा – 5   आँख बैठना : (1) आँख का भीतर की ओर धँस जाना. चोट या रोग आँख का डेला गड़ जाना (2) आँख फूटना. आँख भर आना …

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आँखेँ बहुत कुछ कहती हैँ, लाल अंगारा हो जाती हैँ, और हम आँख दिखाते हैँ

In Culture, Hindi, Language, Lifestyle, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

  आँख चर्चा – 4   आँखेँ तरेरना: क्रोध से आँखेँ निकाल कर देखना. क्रोध की दृष्टि से देखना. उ.—सुनि लछिमन बिहँसे बहुरि नयन तरेरे राम. —मानस आँख तले न …

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आँख खुलना, आँख खोलना और आँखेँ चार होना

In Culture, Hindi, Language, Learning, Life style, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

आँख चर्चा –  3     आँख खुलना: (1) पलक खुलना. परस्पर मिली या चिपकी हुई पलकोँ का अलग हो जाना; जैसे—(क) बच्चे की आँखेँ धो डालो तो खुल जाएँ. …

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दाहिनी आँख है इंद्र, तो बाईं है इंद्राणी

In Culture, Dictionary, Hindi, Language, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम देख न पाएँ तो कहीँ …

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दाहिनी आँख है इंद्र, तो बाईं है इंद्राणी

In Culture, Hindi, Language, Literature, Word Power by Arvind KumarLeave a Comment

आँख चर्चा – 1   आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम …

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सर्वोत्तम संपादक अरविंद कुमार – लेखक: दयानंद पांडेय

In Books, Dictionaries, English, Hindi, Journalism, Literature, Memoirs, Mumbai, People, Reader's Digest, Thesaurus, Word Power by Arvind KumarLeave a Comment

(दयानंद हद से ज़्यादा सहजदिल बंदा है. जो बात उस मेँ ख़ास है, वह है रीकाल recall – ऐसी छोटी छोटी चीज़ेँ याह रख पाना और फिर वक़्त पड़ने पर …

शब्दवेध–क्या, किस के लिए

In Cinema, Culture, Drama, Hindi, History, Journalism, Language, Literature, Memoirs, People, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

शब्दवेध: क्योँ, किस के लिए शब्दवेध सब के लिए एक अत्यंत रोचक सत्यकथा है. कैसे कोई अपनी मेहनत और लगन के, निष्ठा, संकल्प और प्रतिबद्धता ​के बल पर कमतरीन से …

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करामाती कोशकार

In Dictionary, English, English, Hindi, Hindi, History, Journalism, Language, Literature, Memoirs, People, Thesaurus by Arvind KumarLeave a Comment

मंज़िल दूर होती गई, इरादा मज़बूत होता गया मोहन शिवानंद (रीडर्स डाइजेस्ट के भारतीय संस्करण के प्रधान संपादक हैं) प्रकाशनालय दिल्ली प्रैस का वह नौजवान पत्रकार अरविंद कुमार हिंदी कहानी …

बेचारे तुलसीदास ने मार्क्स का कहाँ पढ़ा था!

In Culture, History, Lifestyle, Literature, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

  २० जून २००७ वाक् पत्रिका का प्रवेशांक पढ़ कर संपादक सुधीश को लिखा पत्र ये सब सभी पुराने लेखकों पर चाहे वे तुलसीदास हों या कालीदास या मिल्‍टन या …

द्रोणवीर कोहली

In Culture, Journalism, Literature, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

जीवन संध्‍या बीज का देरी से सही, बेहतरीन फल देना साइकिलों पर बदहवास पैडल मारते तीन हज़ार छात्र सप्‍ताह में छः दिन ठीक समय पर पहुँच जाते। कपड़े कम हों …

कैरियर और अकादमिक लेखन

In Culture, Language, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

मुझ से प्रश्न अँगरेजी मेँ पूछे गए थे. कारण था प्रश्नकर्ता के पास यूनिकोड हिंदी फ़ौंट न होना. मेरे उत्तर हिंदी मेँ होने थे, और हैं   ·        Career opportunities …

हिंदी के बारे मेँ कुछ अकारण चिंताएँ

In Culture, History, Journalism, Language, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

  सीधे आज की बात करें. शुद्धताप्रेमी भाषाविदों में आज गहरी चिंता व्याप रही है–हिंदी न्यूज़पेपर और टीवी चैनल अँगरेजी से लार्जस्केल पर वर्ड इंपोर्ट कर के हिंदी को अशुद्ध …

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बाल श्रमिक से शब्दाचार्य तक की यात्रा

In Cinema, Culture, Lifestyle, Literature, Memoirs, People by Arvind KumarLeave a Comment

अरविन्द कुमार जितना जटिल काम अपने हाथ में लेते हैं, निजी जीवन में वह उतने ही सरल, उतने ही सहज और उतने ही व्यावहारिक हैं। तो शायद इसलिए भी कि …

हिंदी रुकने वाली नहीं है, रुकेगी नहीं

In Culture, History, Journalism, Language, Literature by Arvind KumarLeave a Comment

हिंदी–दशा और दिशाएँ… ऐसा नहीँ हैँ कि आज लोग हिंदी का महत्त्व नहीँ जानते या हिंदी की प्रगति और विकास रुक गया है या रुक जाएगा। मैं समझता हूँ कि …

सौंदर्य प्रतियोगिता

In Culture, History, Literature, People by Arvind KumarLeave a Comment

वर्ड पावर – word power   आजकल सौंदर्य प्रतियोगिताएँ व्यापार बन गई हैँ. अंततोगत्वा इन के आयोजक सौंदर्य उपचारोँ के विज्ञापन दाताओँ को महँगी क़ीमत पर विश्वप्रसिद्ध माडल दिलाने वाली …

मधुप का रचना संसार

In Culture, Fiction, Literature, Reviews by Arvind KumarLeave a Comment

  पुस्‍तक समीक्षा   फुलमाया (सामाजिक उपन्‍यास). लेखक: मधुप शर्मा. प्रकाशक: आत्‍माराम एण्‍ड संस, दिल्‍ली. पृष्‍ठ संख्‍या: १४९. मूल्‍य: रु. १३५.०० अनजाने रिश्‍ते (कहानी संग्रह). लेखक: मधुप शर्मा. प्रकाशक: आत्‍माराम …

संस्कृत भी आसानी से पढ़ी जा सकती है, अगर…

In Culture, Hindi, Learning, Literature, Spiritual by Arvind KumarLeave a Comment

  गीता संस्कृत के मधुरतम ग्रंथों में से है. वह एक ऐसा गीत है जो स्वयं कृष्ण ने गाया था. उस के श्लोक गाने के लिए रचे गए हैं. लेकिन …

गिरा अनयन नयन बिनु वाणी

In Culture, English, Hindi, Learning, Literature, Word Power by Arvind KumarLeave a Comment

  वाचिक या लिखित शब्द अमूर्त भाव का प्रतीक मात्र होता है. कोश में जब किसी शब्द के अर्थ दिए जाते हैं, तो कोशकार एक शब्द के स्थान पर कुछ …