वर्ड पावर – word power
अथ सुंदरी मीमांसा…
या कहेँ तो चीरफाड़… !
सुंदरी के लिए आप पढ़ चुके हैँ, साढ़े पाँच सौ शब्द… नहीँ, शब्द तो 595 थे, 550 थीँ अभिव्यक्तियाँ…
अब अगर हम सुंदरी की चीरफाड़ करने लगेँ, वह भी खुले आम, विशाल पाठक समूह के सामने, तो कितना असुंदर… कितना अनभिराम, क्रूर, अस्पताली… जब से मेरा बाईपास हुआ है (1989), तब से मैँ अस्पतालोँ से दूर ही रहने की कोशिश करता हूँ. जाना तो पड़ता है, फिर भी उस हितकारी संस्थान तक किसी को न जाना पड़े तभी अच्छा है.
अतः मुझे कोई चीरफाड़ करनी है, मीमांसा करनी है तो बस शब्दोँ की ही करनी है… केवल शब्दोँ मेँ करनी है. जहाँ तक मेरा सवाल है पिछले कोई पैँसठ सालोँ से, जब से मैट्रिक का इम्तहान (1945) दिया, शब्दोँ के ही संसार मेँ जागा, सोया और जिया हूँ… शब्द कंपोज़ किए, टाइप किए, लिखे, छापे… शब्दोँ के संकलन किए, दो खंडोँ वाला बृह्त् समांतर कोश बनाया, फिर तीन खंडोँ वाली विशाल द पेंगुइन इंग्लिश-हिंदी/हिंदी-इंग्लिश थिसारस ऐंड डिक्शनरी बनाई. शब्दोँ का काम तो चलता ही रहता है, चलता ही रहेगा जब तक कंप्यूटर पर बैठने का दम है. आप के सामने शब्दोँ का ख़जाना खोलता हूँ. कभी आप को पसंद आता होगा, कभी ऊबाता होगा…
सुंदरी की ग़ैर-अस्पताली मीमांसा करेँ तो कई तरीक़े हो सकते हैँ. एक है शारीरिक सौंदर्य के जो उपमान हैँ, अंगों की सुंदरता, कमनीयता को दर्शाने के लिए हमारे जो बहुत सारे शब्द हैँ, वे रखे जाएँ… कोशिश रहेगी कि देखूँ और दिखाऊँ शब्द किस तरह किस चीज़ के लिए (यहाँ चीज़ जो शब्द है, वह सुंदरी को किसी वस्तु के समकक्ष रखने जैसा कुफ़्र लगता है, पर हाँ सुंदरी को कुछ लोग चीज़ भी कहते हैँ, पर वह मेरी सूची मेँ नहीँ था) इन मेँ से कुछ के अन्य अर्थ तथा संदर्भ क्या हैँ…
सुंदरी के लिए 550 मेँ से हरएक शब्द की तह मेँ जाना तो कई महीनोँ का काम हो जाएगा, और सौंदर्य की बात करते रहेँ तो दो तीन साल से ऊपर ही लग जाएँगे. मैँ भी ऊब जाऊँगा. आप भी ऊबने लगेँगे. कहते हैँ ज़्यादा गुड़ डालो को मज़ा कड़वा हो जाता है. इस लिए और दो तीन अंकोँ के बाद मैँ फिर अपने पुराने ढर्रे पर जाऊँगा. इस अंक मेँ और अगले एक दो अंकोँ मेँ, सुंदरी के कुछ शब्दोँ की पीछे जा कर मैँ इनडायरैक्टली, अपरोक्ष रूप से, यह भी दिखाना चाहता हूँ कि किस तरह भाषा अपने आप मेँ एक संपूर्ण इकाई होती है. हम किसी भी एक भाव या शब्द समूह से बड़ी दूर के शब्दोँ तक जा सकते हैँ. तो लीजिए…
सब से पहले सब से पहला ही शब्द लेते हैँ—अंगना. देखिए यह हमेँ कहाँ से कहाँ ले जाएगा…
यदि हम अँ-गना लिखेँ, तो अर्थ है—
आंगन…
अंगन, अँगना, अँगनाई, अंगनैया, अजिर, उत्थान, कक्षा, कोर्ट, चौक, परिसर, प्रकरी, प्रांगण, भीतर वाला आँगन, सद्र, सहन, सह्न, स्थान.
यदि हम अं-गना लिखेँ, तो पता चलता है कि स्वयं स्त्री को भी अंगना कहते हैँ
अंगना, अंजना, अंजनि, अंजनी, अबला, आदम की बेटी, आदमज़ादी, आदमन, उंसा, औरत, ज़न, ज़नाना, ज़नानी, जनी, जोषा, डुकरिया, तिय, तिया, ती, तीमि (पंजाबी), तीय, त्रिया, नरी, नार, नारी, पुरुषी, पौरुषी, बीबी, बीरबानी, बीवी, भामा, भामिनी, मनुखी, मनुजा, मनुजाता, मनुजी, मनुपुत्री, मनुवंशिनी, मनुष्या, मल्ला, महिला, महिषी, महेलिका, माणवी, मादा, मादा मानव, मानव मादा, मानवी, मानसी, मानुषी, मेहरारू, योषिता, रमणा, रमणी, ललना, लुगाई, लेडी, वधू, वनिता, वशका, वशा, वामदृक, वामा, वाशिता, वासिता, वासुरा, वुमैन, शर्वरी, सीमंतिनी, सुध्युपास्या, सुनंदा, सुनयना, हव्वा, हौवा, हौवा की बेटी.
और सम्मोहक स्त्री के संदर्भ मेँ कुछ शब्द हैँ.
अंगना, कामाकर्षक स्त्री, कामाकर्षिणी, कामिनी, कामुका, कामुकी, कामोद्दीपक स्त्री, खंडाली, चंचला, छलिनी, जघनचपला, जादूगरनी, ठगनी, ठगिनी, नाज़नीन, नितंबिनी, पीनपयोधरा, प्रमोहिनी, प्रलोभिका, प्रलोभिनी, भामिनी, मायावती, मायाविनी, मोहन कर्त्री, मोहिनी, रति, रंभोरु, रमणा, ललना, सम्मोहन कर्त्री, सम्मोहिनी,
आश्चर्य की बात यह है कि बैंगन का भी एक पर्याय है अंगना!
बैंगन राज बैंगन कला बैंगन कांस्य प्रतिमा
अंगना, कंटपत्रिका, कंटालू, चित्रफला, दीर्घ वार्ताकी, बादजान, बेंगन, बैगन, बैगुन, भटा, भंटा, भाँटा, भिंटा, मांसफला, मांसलफला, राजकुष्मांड, वंग, वंगन, वर्तका, वार्ताकी, वार्तिका, वृंत, वृंतफल, वृंताकी, शाकविल्व, शाकश्रेष्ठा, सर्वतिक्ता, सिंही, सुरसा, हिंगुदी, हिंगुली.
संज्ञा के रूप मेँ अच्छी का मतलब हो जाता है प्रेमिका – यानी…
अच्छी, अनुरागिनी, अनुषंगिनी, अभीष्टा, आराधिका, आशिक़ा, कांता, कामिनी, कामुकी, काम्या, गर्ल फ़्रैंड, चंचला, चाहने वाली, छोहिनी, दयिता, दिल की धड़कन, दिलदारनी, दिल देने वाली, दिल वाली, दिलावरा, दीवानी, नायिका, नेहा, नेहिनी, परवानी, पिअरवी, पियरवी, पियरी, पीतमा, पुजारन, पुजारिन, पूजिका, प्रणया, प्रणयिनी, प्रसंगिनी, प्राणाधारा, प्रियतमा, प्रिया, प्रीतमा, प्रेम करने वाली, प्रेम कर्त्री, प्रेमपुजारन, प्रेमपुजारिन, प्रेमबाला, प्रेमिणी, प्रेयसि, प्रेयसी, प्रेया, प्रेष्ठा, बंदिनी, बलाका, बाला, बालिका, भक्तिन, मधुरा, मधुरिका, मनोवल्लभा, रमका, रमणा, रमणी, रमना, रमा, रसवती, रसवंती, रसिका, रसिनी, रागिनी, रानी, रामा, लगौँहीँ, ललना, लली, लवर, लाली, लैला, वरा, वरेशा, वल्लभा, शमा, सजनि, सजनी, समाराधिका, सरसीली, साजनी, साँवरी, साँवली, सुभगा, सुहृदया, स्नेहा, स्नेहिनी, स्वीटी, हर्षुला, हृदय, हृदया, हृदयेशा, हृदयेश्वरी, हृदस्था, हृद्गता, हृद्या.
अरविंद लैक्सिकन के विशाल डाटा पर आधारित
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©अरविंद कुमार
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