विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 2. सोमक्षेत्र. युद्ध

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  बस, एक हल्‍ला और! फिर अपनी विजय है. सोमक्षेत्र. युद्ध. (तूर्यनाद. शतमन्‍यु और शूरसेन.) शतमन्‍यु शूरसेन, लो, आदेश लो. जल्‍दी करो. उस ओर सेना से कहो – उखड़ गए …

विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 1. सोमक्षेत्र

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  बुरे वार मेँ भी, शतमन्‍यु, तुम करते हो अच्‍छा भाषण. घोँप रहे थे तलवार जब विक्रम के सीने मेँ, कह रहे थे : विक्रम की जय हो!   सोमक्षेत्र. …

विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 3. शतमन्यु का शिविर

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  मानव जीवन मेँ जब कभी आता है ज्‍वार, सफलता मिलती है उस की लहर पर चढ़ कर. यदि खो दिया अवसर तो मिलते हैँ, बस, छिछले ताल, कष्‍ट, रुदन, …

विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 2. कपिंजल पर्वत पर खर्वट के निकट छावनी

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  खोखले नर और गरम घोड़े करते हैँ जोश का दिखावा. परीक्षा की घड़ी मेँ दे जाते हैँ धोखा…   कपिंजल पर्वत पर खर्वट के निकट छावनी. शतमन्‍यु के शिविर …

विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 1. धारावती. आनंद के भवन का एक कक्ष

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  बड़े लोग जो बना देते हैँ चलन, रचते हैँ जो कलाएँ, और फिर छोड़ देते हैँ जो जूठन, उन्हेँ सहेज कर रखते हैँ केतुमाल जैसे लोग.   धारावती. आनंद …

विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 1. धारावती. आनंद के भवन का एक कक्ष

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  बड़े लोग जो बना देते हैँ चलन, रचते हैँ जो कलाएँ, और फिर छोड़ देते हैँ जो जूठन, उन्हेँ सहेज कर रखते हैँ केतुमाल जैसे लोग.   धारावती. आनंद …

विक्रम सैंधव. अंक 3. दृश्य 3. धारावती. एक जनमार्ग

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  मैँ चंडीचारण हूँ. मैँ चंडी कवि हूँ. घटिया कविता करता है यह. फाड़ डालो रद्दी कविता के जैसा. धारावती. एक जनमार्ग. (कवि चंडीचारण आता है.)   चंडीचारण रोती धरती, …

विक्रम सैंधव. अंक 3. दृश्य 2. धारावती. नगर चौक. जनमंच

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  सुनो, मेरे देश के लोगो, सुनो. यह पतन विक्रम का नहीँ था. यह पतन मेरा था, आप का था. हम सब पर पंजे फैला रहा था ख़ूनी विश्वासघात.   …

विक्रम सैंधव. अंक 3. दृश्य 1. धारावती. संसद के बाहर

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  यह तू, मनमीत! निष्‍फल है जीना! धारावती. संसद के बाहर. (तूर्यनाद. शंखनाद. विक्रम, शतमन्‍यु, कंक, चाणूर, भगदत्त भट्टारक, महीधर वर्मन, गुणाकर, चंडीचरण, आनंदवर्धन, केतुमाल, नारदानंद, मंगल, गोपाल तथा अन्‍य …

विक्रम सैंधव. अंक 2. दृश्य 4. धारावती. शतमन्यु के घर के बाहर

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  यह भनभनाहट सी क्‍या है? दंगे के शोर जैसी? दूर, दुर्ग की ओर.   दुर्ग. शतमन्‍यु के घर के बाहर मार्ग. (रत्‍ना और पिपीलक आते हैँ.)   रत्‍ना दास, …

विक्रम सैंधव. अंक 2. दृश्य 3. धारावती. दुर्ग प्राचीर के निकट

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न पढ़ पाया – तो हरि की इच्‍छा!   धारावती. दुर्ग प्राचीर के निकट मार्ग. (नारदानंद आता है. वह एक पत्र पढ़ रहा है.) नारदानंद विक्रम, शतमन्‍यु से सावधान. कंक …

विक्रम सैंधव. अंक 2. दृश्य 2. धारावती. शतमन्यु का उपवन

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  द्रोह, यूँ मुँह मत छिपा अपना. छिपा ले अपने को दोस्‍ताने मेँ, मुस्‍कान मेँ. नहीँ तो छिप नहीँ सकेगा तू गहरे पाताल मेँ.   धारावती. शतमन्‍यु का उपवन. (शतमन्‍यु …

विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 3. धारावती. एक राजमार्ग

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  हो चुकी है आधी रात. भोर होने से पहले जगाना है शतमन्यु महान को. कल होने से पहले साथी बनाना है उन को.   धारावती. एक राजमार्ग. (रात. बिजली. …

विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 2. धारावती. नगर मार्ग

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  भव्‍य वीरता की विशाल प्रतिमा बन विक्रम आज धरा को रौँद रहा है. उस के विकराल डगोँ के नीचे हम सैंधव जन चूहोँ जैसे दुबक रहे हैँ, काँप रहे …

विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्‍य की राजधानी – धारावती

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पत्‍थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम!   सैंधव गणराज्‍य की राजधानी – धारावती. एक …

विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्‍य की राजधानी – धारावती

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पत्‍थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. पा कर तुम्हेँ धारावती बदनाम है. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम!   सैंधव …

विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्‍य की राजधानी – धारावती

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पत्‍थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. पा कर तुम्हेँ धारावती बदनाम है. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम!   सैंधव …

जूलियस सीज़र. अंक 5. दृश्य 5. फ़िलीपी. रणक्षेत्र का एक अन्य कोना.

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रोमनोँ मेँ श्रेष्‍ठतम केवल वही थे. षड्यंत्र मेँ शामिल बहुत थे, देशप्रेमी न्‍यायप्रेमी बस वही थे. रणक्षेत्र. एक अन्‍य कोना. (ब्रूटस, डार्डेनियस, क्‍लीटस, स्‍ट्रैटो और वोलुमनियस आते हैँ.) ब्रूटस बस …

जूलियस सीज़र. अंक 5. दृश्य 4. फ़िलीपी. रणक्षेत्र का एक अन्य भाग.

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जब, जहाँ, जीवित, अजीवित वे मिलेँगे, वे अजित होँगे. मार्क ब्रूटस! वीर ब्रूटस! रणक्षेत्र का एक अन्‍य भाग. (तूर्यनाद. युद्धरत सैनिक आते हैँ. फिर ब्रूटस, कैटो, लूसीलियस क्षथा अन्‍य.) ब्रूटस …

जूलियस सीज़र. अंक 5. दृश्य 3. फ़िलीपी. रण का एक अन्य कोना.

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सीज़र, महानायक, अभी तक तुम बली हो. तुम्‍हारी आत्‍मा अब तक धरा पर डोलती है. वह हमारे खड्ग हम मेँ घोँपती है. फ़िलीपी. रण का एक अन्‍य कोना. (तूर्यनाद. कैसियस …

जूलियस सीज़र. अंक 5. दृश्य 2. फ़िलीपी. युद्धक्षेत्र.

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बस, एक हल्‍ला और! फिर अपनी विजय है. फ़िलीपी. युद्धक्षेत्र. (तूर्यनाद. ब्रूटस और मेसाला.) ब्रूटस मेसाला, लो, आदेश लो, जल्‍दी करो. उस ओर सेना से कहो – उखड़ गए आक्‍टेवियस …

जूलियस सीज़र. अंक 5. दृश्य 1. फ़िलीपी का मैदान

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अभी देखने हैँ तेरे पैँतरे. तेरा भाषण! मधुवन से भी चुरा लेता है मिठास. फ़िलीपी का मैदान. (आक्‍टेवियस, एंटनी और उन की सेनाएँ आती हैँ.) आक्‍टेवियस मन की सभी मुरादेँ …

जूलियस सीज़र. अंक 4. दृश्य 3. ब्रूटस का शिविर.

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दृश्‍य ३ क्‍या इसी लिए गिराया था हम ने वह महामानव कि आज हम भी करेँगे भ्रष्‍टाचार! चंद सिक्‍कॉँ के वास्‍ते डुबोएँगे नाम. ब्रूटस का शिविर. (ब्रूटस और कैसियस आते …

जूलियस सीज़र. अंक 4. दृश्य 2. सार्डिस के निकट छावनी. ब्रूटस के शिविर के सामने.

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कैसियस, आहिस्‍ता बोल. जानता हूँ मैँ तुझे. सेना के सामने कर मित्रतापूर्ण व्‍यवहार. सार्डिस के निकट छावनी. ब्रूटस के शिविर के सामने. (नगाड़ा. ब्रूटस, लूसीलियस, लूसियस और सैनिक आते हैँ. …

जूलियस सीज़र. अंक 4. दृश्य 1. रोम एक भवन

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ब्रूटस और कैसियस कर रहे हैँ शक्ति का संचय. हम भी चेतेँ, अपनी ताक़तेँ मिलाएँ, औरोँ को साथ लाएँ. अज्ञात संकटोँ को समझेँ. रोम. एक भवन. (एंटनी, आक्‍टेवियस और लेपीडस. …