खोखले नर और गरम
घोड़े करते हैँ जोश का दिखावा.
परीक्षा की घड़ी मेँ दे जाते हैँ धोखा…
कपिंजल पर्वत पर खर्वट के निकट छावनी.
शतमन्यु के शिविर के सामने.
(नगाड़े की आवाज़. शतमन्यु, इंद्रगोप, पिपीलक और सैनिक आते हैँ. उन से गजदंत और उशीनर मिलते हैँ.)
शतमन्यु
सावधान!
इंद्रगोप
सावधान! आदेश आगे पहुँचा दो.
शतमन्यु
इंद्रगोप, कंक निकट हैँ क्या?
इंद्रगोप
जी, हाँ. उन्होँ ने भेजा है
अभिवादन उशीनर के हाथ.
शतमन्यु
ठीक है जो भेजा है अभिवादन.
उशीनर, दिए हैँ तुम्हारे स्वामी
ने मुझे असंतोष के अनेक कारण.
अवांछनीय था बहुत कुछ किया
जो स्वयं उन्होँ ने, उन के दुष्ट
कारिंदोँ ने. अब आ रहे हैँ
वे, विश्वास है, होगा समाधान.
उशीनर
जी,
विश्वास है मुझे, श्रीमान, शीघ्र ही
आएँगे स्वामी, करेँगे समाधान.
शतमन्यु
विश्वास है मुझे. इंद्रगोप, सुन.
बता, तेरा कैसा स्वागत सत्कार
किया था उन्होँ ने इस बार.
इंद्रगोप
ठीक था,
पूरे शिष्टाचार के साथ. लेकिन
पहले जैसा खुलापन नहीँ था
इस बार.
शतमन्यु
यह संकेत है दोस्ती मेँ ढील
का. इंद्रगोप, मित्रता जब होती
है कम, तो बढ़ जाता है शिष्टाचार.
सच्चे संबंध मेँ नहीँ होता
पाखंड. खोखले नर और गरम
घोड़े करते हैँ जोश का दिखावा.
परीक्षा की घड़ी मेँ दे जाते
हैँ धोखा… साथ मेँ सेना भी है?
इंद्रगोप
जी. आज रात सेना पड़ाव डालेगी
खर्वट मेँ. अश्वारोही दल, लेकिन,
यहाँ आ रहा है सेनापति
के साथ.
शतमन्यु
लो, कंक आ गए.
(पार्श्व मेँ कूच का संगीत. तूर्यनाद.)
आगे बढ़ो. स्वागत करो उन का.
(कंक के साथ सैनिक आते हैँ.)
कंक
सावधान!
शतमन्यु
सावधान! आदेश आगे बढ़ा दो.
पहला सैनिक
सावधान!
दूसरा सैनिक
सावधान!
तीसरा सैनिक
सावधान!
कंक
महामहिम भ्राता, अन्याय किया है आप ने.
शतमन्यु
साक्षी हैँ देवता. किया है मैँ ने
अन्याय शत्रु से? करूँगा अन्याय
तुझ से?
कंक
ऊपर से तो गंभीर हैँ आप,
भीतर से करते हैँ वार. करते हैँ, तो…
शतमन्यु
कंक, आहिस्ता बोल. जानता
हूँ मैँ तुझे. सेना के सामने कर
मित्रतापूर्ण व्यवहार. सेना
हट जाए तो कह जो कहना है.
सुनूँगा मैँ.
कंक
उशीनर, नायकोँ
से कहो, सेनाओँ को हटा लेँ.
शतमन्यु
इंद्रगोप, तू भी यही कर… और देख,
कोई भी न आने पाए भीतर.
पिपीलक और गजदंत को लगा
दे द्वार पर…
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