बड़े लोग जो बना देते हैँ चलन, रचते हैँ जो कलाएँ, और फिर छोड़ देते हैँ जो जूठन, उन्हेँ सहेज कर रखते हैँ केतुमाल जैसे लोग. धारावती. आनंद …
विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 1. धारावती. आनंद के भवन का एक कक्ष
बड़े लोग जो बना देते हैँ चलन, रचते हैँ जो कलाएँ, और फिर छोड़ देते हैँ जो जूठन, उन्हेँ सहेज कर रखते हैँ केतुमाल जैसे लोग. धारावती. आनंद …
विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 3. सोमक्षेत्र. युद्ध का एक अन्य कोना
ओ घातिनी शंका, अवसाद की संतान! क्योँ घेरती है तू मानवोँ के मन? जो नहीँ है, क्योँ दिखाती है वही संकट? जहाँ तू जन्म लेती है, उसी का नाश …
विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 4. सोमक्षेत्र. युद्धक्षेत्र का एक अन्य भाग
मित्र होने योग्य हैँ नरवीर सब ऐसे. सोमक्षेत्र. युद्धक्षेत्र का एक अन्य भाग. (तूर्यनाद. शंखनाद. युद्धरत सैनिक आते हैँ. फिर शतमन्यु, अश्वत्थ, इंद्रगोप तथा अन्य.) शतमन्यु देशप्रेमियो, …
विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 5. सोमक्षेत्र. युद्धक्षेत्र. एक अन्य कोना
सैंधवोँ मेँ श्रेष्ठतम केवल वही थे. षड्यंत्र मेँ शामिल बहुत थे, देशप्रेमी न्यायप्रेमी बस वही थे. सब सैंधवोँ का हो भला – वह चाहते थे. जीवन सहज था. मन …
विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्य की राजधानी – धारावती
पत्थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. पा कर तुम्हेँ धारावती बदनाम है. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम! सैंधव …
विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्य की राजधानी – धारावती
पत्थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. पा कर तुम्हेँ धारावती बदनाम है. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम! सैंधव …
विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्य की राजधानी – धारावती
पत्थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम! सैंधव गणराज्य की राजधानी – धारावती. एक …
विक्रम सैंधव. अंक 2. दृश्य 2. धारावती. शतमन्यु का उपवन
द्रोह, यूँ मुँह मत छिपा अपना. छिपा ले अपने को दोस्ताने मेँ, मुस्कान मेँ. नहीँ तो छिप नहीँ सकेगा तू गहरे पाताल मेँ. धारावती. शतमन्यु का उपवन. (शतमन्यु …