विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 1. धारावती. आनंद के भवन का एक कक्ष

In Adaptation, Culture, Drama, Fiction, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

  बड़े लोग जो बना देते हैँ चलन, रचते हैँ जो कलाएँ, और फिर छोड़ देते हैँ जो जूठन, उन्हेँ सहेज कर रखते हैँ केतुमाल जैसे लोग.   धारावती. आनंद …

विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 1. धारावती. आनंद के भवन का एक कक्ष

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  बड़े लोग जो बना देते हैँ चलन, रचते हैँ जो कलाएँ, और फिर छोड़ देते हैँ जो जूठन, उन्हेँ सहेज कर रखते हैँ केतुमाल जैसे लोग.   धारावती. आनंद …

विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 3. सोमक्षेत्र. युद्ध का एक अन्य कोना

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  ओ घातिनी शंका, अवसाद की संतान! क्योँ घेरती है तू मानवोँ के मन? जो नहीँ है, क्योँ दिखाती है वही संकट? जहाँ तू जन्‍म लेती है, उसी का नाश …

विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 4. सोमक्षेत्र. युद्धक्षेत्र का एक अन्य भाग

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  मित्र होने योग्‍य हैँ नरवीर सब ऐसे.   सोमक्षेत्र. युद्धक्षेत्र का एक अन्‍य भाग. (तूर्यनाद. शंखनाद. युद्धरत सैनिक आते हैँ. फिर शतमन्‍यु, अश्वत्‍थ, इंद्रगोप तथा अन्‍य.)   शतमन्‍यु देशप्रेमियो, …

विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 5. सोमक्षेत्र. युद्धक्षेत्र. एक अन्य कोना

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  सैंधवोँ मेँ श्रेष्‍ठतम केवल वही थे. षड्यंत्र मेँ शामिल बहुत थे, देशप्रेमी न्‍यायप्रेमी बस वही थे. सब सैंधवोँ का हो भला – वह चाहते थे. जीवन सहज था. मन …

विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्‍य की राजधानी – धारावती

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पत्‍थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. पा कर तुम्हेँ धारावती बदनाम है. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम!   सैंधव …

विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्‍य की राजधानी – धारावती

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पत्‍थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. पा कर तुम्हेँ धारावती बदनाम है. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम!   सैंधव …

विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 1. सैंधव गणराज्‍य की राजधानी – धारावती

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पत्‍थर हो तुम, पाषाण हो. तुम भावना से हीन हो. है सिंधुगण को शर्म तुम पर. सैंधव नहीँ कुछ और हो तुम!   सैंधव गणराज्‍य की राजधानी – धारावती. एक …

विक्रम सैंधव. अंक 2. दृश्य 2. धारावती. शतमन्यु का उपवन

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  द्रोह, यूँ मुँह मत छिपा अपना. छिपा ले अपने को दोस्‍ताने मेँ, मुस्‍कान मेँ. नहीँ तो छिप नहीँ सकेगा तू गहरे पाताल मेँ.   धारावती. शतमन्‍यु का उपवन. (शतमन्‍यु …