जूलियस सीज़र. अंक 5. दृश्य 5. फ़िलीपी. रणक्षेत्र का एक अन्य कोना.

In Culture, Drama, History, Poetry, Translation by Arvind KumarLeave a Comment

रोमनोँ मेँ श्रेष्‍ठतम केवल वही थे.

षड्यंत्र मेँ शामिल बहुत थे,

देशप्रेमी न्‍यायप्रेमी बस वही थे.

रणक्षेत्र. एक अन्‍य कोना.

(ब्रूटस, डार्डेनियस, क्‍लीटस, स्‍ट्रैटो और वोलुमनियस आते हैँ.)

ब्रूटस

बस यही है शेष जो भारी कटक

था. मित्रगण, आओ, यहाँ बैठो

शिला पर. दो घड़ी आराम कर लेँ.

क्‍लीटस

स्‍टैटीलियस… बेचारा… था

दिया संकेत उस ने… लौट कर

हम तक न आया. पकड़ा गया –

या वीरगति उस को मिली है.

ब्रूटस

, क्‍लीटस, , बैठ पल दो पल. आजकल

तो वीरगति का ही चलन है… सुन,

क्‍लीटस… (फुसफुसाता है.)

क्‍लीटस

 मैँ? नहीँ. कभी नहीँ!

ब्रूटस

चुप,

मत बोल.

क्‍लीटस

मैँ स्‍वयं को मार लूँगा.

ब्रूटस

डार्डेनियस, सुन तो.

(फुसफुसाता है.)

डार्डेनियस

मैँ करूँ यह काम?

ब्रूटस

मित्र! डार्डेनियस!

क्‍लीटस

क्‍या अशुभ आदेश नायक ने दिया

तुझ को?

डार्डेनियस

कह रहे हैँ मार दे. देख

तो! संतप्‍त हैँ, शोक मुद्रा मेँ,

समाधि मेँ.

क्‍लीटस

लहलहाता है हृदय मेँ शोक का

सागर. नयन से नीर बह आया.

ब्रूटस

वोलूमनियस, यहाँ आ. बात सुन!

वोलूमनियस

क्‍या बात है, स्‍वामी?

ब्रूटस

यही, बस. भूत सीज़र का… आ चुका

है… रात मेँ दो बार. सार्डिस मेँ भी… यहाँ

कल रात. जानता हूँ आ गया है काल.

वोलूमनियस

नहीँ, स्‍वामी, नहीँ. नहीँ.

ब्रूटस

यही है

सत्‍य… वोलुमनियस, यह सत्‍य है

कठोर. काल को पहचान. शत्रु ने

पहुँचा दिया हम को, है जहाँ पाताल.

(नेपथ्‍य मेँ हलका शोर.)

ठीक है, कूदेँ स्‍वयं इस मेँ

अन्यथा वे ही धकेलेँगे हमेँ

गहरे. साथ था तू पाठशाला मेँ. है

वास्‍ता बीते समय का. दौड़ कर आता

हूँ मैँ. ले तलवार तू. यूँ थाम.

वोलुमनियस

मित्र का यह तो नहीँ है काम.

(नेपथ्‍य मेँ शोर.)

क्‍लीटस

भागिए, स्‍वामी. दौड़िए, स्‍वामी.

ब्रूटस

विदा, अलविदा. दोस्‍तो, अलविदा.

तुम्हेँ… तुम्हेँ भी… वोलुमनियस.

स्‍ट्रेटो, तू सो रहा था अभी तक.

तो अलविदा, स्‍ट्रेटो… मेरे देश के

लोगो, आप का, सब का, यही उपकार

है मुझ पर – थे आप मेरे मित्र जीवन

भर, और सब थे पूर्ण निष्‍ठावान. हार

कर भी आज मैँ गौरव कमाऊँगा…

विदा, अलविदा. साथियो, अलविदा…

मौन होना है मुझे. हो पूर्ण अब

इतिहास मेरा. अब नयन पर छा

रहा है बोझ भारी. अब चाहती हैँ

अस्‍थियाँ विश्राम. कष्‍ट की अंतिम

घड़ी है.

(तूर्यनाद. नेपथ्‍य मेँ शोर : दौड़ो, भागो.)

क्‍लीटस

भागिए, स्‍वामी. दौड़िए, स्‍वामी.

ब्रूटस

चलो, तुम चलो. आता हूँ मैँ भी.

(क्‍लीटस, डार्डेनियस, वोलूमनियस जाते हैँ.)

स्‍ट्रेटो, सुन साथी. सुन विनय मेरी.

मित्र है तू. तू भला है. कल्‍याण

हो तेरा. ले पकड़ तलवार मेरी.

फेर ले मुँह. दौड़ कर आता हूँ मैँ.

स्‍ट्रेटो

हाथ दो अपना. लो अलविदा, स्‍वामी.

ब्रूटस

स्‍ट्रेट्रो, अलविदा.

(ब्रूटस मरता है.)

हो शांत अब, सीज़र.

जब तुझे मारा नहीँ उत्‍साह था इतना.

(तूर्यनाद. एंटनी, आक्‍टेवियस, मेसाला, लूसीलियस और सेना आते हैँ.)

आक्‍टेवियस

यह कौन है?

मेसाला

स्‍ट्रेटो है. स्‍वामी का सेवक.

बोल, कहाँ हैँ स्‍वामी?

स्‍ट्रेटो

दूर, बहुत दूर हैँ वे इस दासता से

जिस मेँ बँधे हो तुम. जो विजेता

हैँ – केवल अगन ही दे सकेँगे.

जब तक रहे, ऊँचे रहे. छू न

पाया कोई शत्रु देह स्‍वामी की.

लूसीलियस

यही था योग्‍य स्‍वामी के. नमन

है, मार्क ब्रूटस को नमन है. सत्‍य

कर दी घोषणा मेरी.

आक्‍टेवियस

मार्क ब्रूटस के सभी सहचर रहेँगे

साथ अब मेरे. बोल, है स्‍वीकार तुझ को?

स्‍ट्रेटो

मेसाला कहेँ तो…

आक्‍टेवियस

कहो, ना, मेसाला.

मेसाला

कैसे गए स्‍वामी हमारे?

स्‍ट्रेटो

तलवार मेरे हाथ मेँ थी, दौड़ कर

झेली उन्होँ ने.

मेसाला

आक्‍टेवियस, लो,

तुम इसे भी साथ ले लो. अंत तक

सेवा इसी ने की.

एंटनी

रोमनोँ मेँ श्रेष्‍ठतम केवल वही

थे. षड्यंत्र मेँ शामिल बहुत थे,

देशप्रेमी न्‍यायप्रेमी बस वही थे.

सब रोमनोँ का हो भला – वह चाहते

थे. जीवन सहज था. मन मधुर था.

पंचभूतोँ का मिलन संपूर्ण था

उन मेँ. वे नरोँ मेँ अन्‍यतम थे.

आक्‍टेवियस

पूर्ण आदर और निष्‍ठा अंत मेँ

उन को मिलेगी. रोम माँ की गोद

मेँ, सब रोमनोँ के सामने, हो कर्म

उन का. मेरे शिविर मेँ वे करेँ विश्राम.

हम भी चलेँ, भोगेँ विजय के भोग.

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