भव्य वीरता की विशाल प्रतिमा बन विक्रम आज धरा को रौँद रहा है. उस के विकराल डगोँ के नीचे हम सैंधव जन चूहोँ जैसे दुबक रहे हैँ, काँप रहे …
विक्रम सैंधव. अंक 1. दृश्य 3. धारावती. एक राजमार्ग
हो चुकी है आधी रात. भोर होने से पहले जगाना है शतमन्यु महान को. कल होने से पहले साथी बनाना है उन को. धारावती. एक राजमार्ग. (रात. बिजली. …
विक्रम सैंधव. अंक 2. दृश्य 4. धारावती. शतमन्यु के घर के बाहर
यह भनभनाहट सी क्या है? दंगे के शोर जैसी? दूर, दुर्ग की ओर. दुर्ग. शतमन्यु के घर के बाहर मार्ग. (रत्ना और पिपीलक आते हैँ.) रत्ना दास, …
विक्रम सैंधव. अंक 3. दृश्य 1. धारावती. संसद के बाहर
यह तू, मनमीत! निष्फल है जीना! धारावती. संसद के बाहर. (तूर्यनाद. शंखनाद. विक्रम, शतमन्यु, कंक, चाणूर, भगदत्त भट्टारक, महीधर वर्मन, गुणाकर, चंडीचरण, आनंदवर्धन, केतुमाल, नारदानंद, मंगल, गोपाल तथा अन्य …
विक्रम सैंधव. अंक 3. दृश्य 2. धारावती. नगर चौक. जनमंच
सुनो, मेरे देश के लोगो, सुनो. यह पतन विक्रम का नहीँ था. यह पतन मेरा था, आप का था. हम सब पर पंजे फैला रहा था ख़ूनी विश्वासघात. …
विक्रम सैंधव. अंक 3. दृश्य 3. धारावती. एक जनमार्ग
मैँ चंडीचारण हूँ. मैँ चंडी कवि हूँ. घटिया कविता करता है यह. फाड़ डालो रद्दी कविता के जैसा. धारावती. एक जनमार्ग. (कवि चंडीचारण आता है.) चंडीचारण रोती धरती, …
विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 2. कपिंजल पर्वत पर खर्वट के निकट छावनी
खोखले नर और गरम घोड़े करते हैँ जोश का दिखावा. परीक्षा की घड़ी मेँ दे जाते हैँ धोखा… कपिंजल पर्वत पर खर्वट के निकट छावनी. शतमन्यु के शिविर …
विक्रम सैंधव. अंक 4. दृश्य 3. शतमन्यु का शिविर
मानव जीवन मेँ जब कभी आता है ज्वार, सफलता मिलती है उस की लहर पर चढ़ कर. यदि खो दिया अवसर तो मिलते हैँ, बस, छिछले ताल, कष्ट, रुदन, …
विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 1. सोमक्षेत्र
बुरे वार मेँ भी, शतमन्यु, तुम करते हो अच्छा भाषण. घोँप रहे थे तलवार जब विक्रम के सीने मेँ, कह रहे थे : विक्रम की जय हो! सोमक्षेत्र. …
विक्रम सैंधव. अंक 5. दृश्य 2. सोमक्षेत्र. युद्ध
बस, एक हल्ला और! फिर अपनी विजय है. सोमक्षेत्र. युद्ध. (तूर्यनाद. शतमन्यु और शूरसेन.) शतमन्यु शूरसेन, लो, आदेश लो. जल्दी करो. उस ओर सेना से कहो – उखड़ गए …
विक्रम सैंधव – प्रस्तुति
सभी भारतीय छंदोँ के संदर्भ मेँ जब कभी मैँ अँगरेजी भाषा मेँ आयंबिक पैंटामीटर के सफल उपयोग को देखता तो मुझे भारतीय, विशेषकर हिंदी, छंदोँ मेँ एक सीमा नज़र …