उल्का खंड के अन्य हिंदी नाम हैँ —- उल्काश्म, टूटता तारा, तारकाणु, ताराश्म, धिष्ण्य, मीटियराइट, वज्र.
क्या पुराणों मेँ इन की स्मृति अंकित है. शायद इन्हेँ ही इंद्र का वज्र कहा गया है. अधिकतर उल्का खंड वातावरण के घर्षण से चकनाचूर हो जाते हैँ, हमेँ दिखाई देते हैँ बस वे जिन्हेँ लोग कहते हैँ — टूटते तारे… या शूटिंग स्टार. विदेशों मेँ चलन है कि टूटते तारे को देख कर जो माँगो वह मिल जाता है. फ़िल्मों के ज़रिए यह अब भारत मेँ भी प्रचलित होता जा रहा . सच यह है कि टूटते तारे धरती तक पहुँच जाएँ, तो क़हर ढा सकते हैँ.
1 क्या यह इंद्र का वज्र है? क्या किसी ऐसे ही उल्काश्म को देख कर इंद्र वज्र की कल्पना की गई होगी? एक काल्पनिक चित्र.
जुलाई 2008 मेँ वैज्ञानिकों ने खोजा ऐसा विशालतम उल्काश्म जो ब्रिटेन मेँ सवा अरब साल पहले गिरा था. यह धरती की ओर प्रति घंटा 38,000 मील के वेग से आया. इस की टक्कर से ,000 न्यूकलीअर बमोँ जितनी विनाशक ऊर्जा निकली. जो भी इस से जो जलती आँधी चली वह 200 मील प्रति घंटा से बह रही थी. जो कुछ भी उस की ज़द मेँ रहा होगा वह जलभुन गया होगा.
2 ब्रिटेन मेँ सवा अरब साल पहले गिरे विशाल उल्काश्म से फैले अजीब तरह के रंगबिरंगे प्रस्तर शैल. यह प्रति घंटा 38,000 मील के वेग से आया था.
इस के अवशेष अब पहली बार पहचाने गए हैँ. उल्काश्म का व्यास आधा मील का रहा होगा. उस के गिरने से आठ मील चौड़ा गड्ढा हो गया था, जो आज तक देखा जा सकता है. इस की वज़ह से सागर तट पर अजीब तरह के रंगबिरंगे प्रस्तर शैल बिखर गए. आज यह सागर तट टूरिस्टों को यहाँ तक खीँच लाता है.
© अरविंद कुमार
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