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सूचना प्रौद्योगिकी और हिंदी

In Culture, Dictionary, English, Hindi, Language, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

बचपन में मैं तख़्ती पर मुलतानी मिट्टी पोत कर उसे हिला हिला कर सुखाता था और फिर बुदके में क़लम डूबो कर काली स्याही से लिखता था, तो वह भी …

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010 भगवान को भाषा मेँ कहाँ रखेँ?

In Gods, Lifestyle, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

हंस – मई 1991 अंक श्रव्‍य और दृश्‍य भाषा का हथियार ले कर मानव संपूर्ण सृष्टि की विजय यात्रा पर निकल पड़ा… आज किसी भी भाषा मेँ जो भी शब्‍द …

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009 कुछ शब्‍द समूह… और भावक्रम की समस्‍या

In ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

हंस – अप्रैल 1991 अंक हंस – अप्रैल 1991 मुखपृष्ठ कुछ लोग थिसारस को पर्यायवाची कोश समझने की ग़लती कर बैठते हैँ. जब मैँ किसी साहित्यिक मित्र से अपने काम …

006 समांतर सृजन गाथा

In ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

इस संभाग मेँ सब से पहले हैँ हंस मेँ फ़रवरी से जून 1991 तक छपे मेरे पाँच लेख. – थिसारस और मैँ: 1 – पीटर मार्क रोजेट के अद्भुत अँगरेजी …

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005 टेढ़े मेढ़े रास्ते…

In Memoirs, ShabdaVedh, Travel by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) पंदरह मई 1978 की सुबह. नेपियन सी रोड पर प्रेम मिलन बिल्डिंग की सातवीँ मंज़िल से उतर कर नीचे अहाते मेँ हमारा सामान दिल्ली जाने के लिए माल …

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004.1 कंपोज़िंग के केस

In ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) डिस्ट्रीब्यूशन सीखते समय मेरा काम था ज़मीन पर पालथी मार कर उस्ताद मुहम्मद शफ़ी के पास बैठना, छपे ‘मैटर’ से लिपी स्याही धो पोँछ कर टाइप फिर से …

003 पूर्वपीठिका

In Memoirs, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) – वह सुबह – 27 दिसंबर 1973. मुंबई की मालाबार हिल पर हैंगिंग गार्डन. मैँ ने कुसुम को बताया अपना एक पुराना सपना: हिंदी मेँ किसी थिसारस का …

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002 शब्दवेध: एक परिचय

In Memoirs, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) मैँ पौंडिचेरी (अब पुदुचेरी) की 2. वैश्यल स्ट्रीट पर देवी हाउस की तीसरी मंज़िल मेँ फ़्लैट के ड्राइंग रूम में. (लगभग सन 2000) मेरे जीवन मेँ कोई सतत …

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001 मेरे पापा का बचपन – मेरठ तक

In Memoirs, ShabdaVedh by Arvind KumarLeave a Comment

(शब्दवेध से) मेरठ का घंटाघर. (फ़ोटो लगभग 2014-15). पापा के बचपन मेँ यहाँ बीच वाला डिवाइडर नहीँ था. दाहिनी ओर अधिकतर साबुन की दुकानेँ थीँ जो सब अपने को ‘असली …

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समांतर कोश छपा इस तरह

In Books, Culture, Dictionaries, Hindi, ShabdaVedh, Thesaurus by Arvind KumarLeave a Comment

हिंदी के माथे पर ऐसे लगी सुनहरी बिंदी स्वभाव से मैँ बहुत संकोचशील हूँ, झिझकू स्वभाव के साथ कुछ कुछ डरपोक भी. किसी भी निजी या सरकारी पद पर बैठे …