गज्‍जू, कोको और काली दोस्‍त बने…

In Culture, Fiction, For children by Arvind KumarLeave a Comment

भुसुंडी नाम का वह कौआ देखने से ही बड़ा चालाक और दुष्‍ट मालूम पड़ता था। वह था भी बड़ा चालाक और दुष्‍ट। कई बार जब चिड़िया और चिड़े दाना चुगने …

हलो नानी

In Culture, For children, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

  हलो, नानी, मैं तन्‍वी बोल रही हूँ, बड़ी हो गई अब मैं पूरे तीन बरस की हूँ मैं. हैप्‍पी बर्थ डे होगा मेरा आना, तुम आ जाना नाना को …

आसमान मेँ तारे

In Culture, For children, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

आसमान मेँ तारे आए – बहुत दिनोँ के बाद रजनी ने आंचल फहराया – बहुत दिनोँ के बाद बादल छँटे सप्‍तर्षि मुसकाए – बहुत दिनोँ के बाद   हिरना के …

प्यारी सी सुंदर हैँ मछली

In Culture, For children, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

  इठलाती मठराती बल खाती लहराती  जल मेँ चलती हैँ मदमाती मनमौजी हैँ मछली   नील कमल पर उड़ती सी झुंडों मेँ मँडराती  जल मेँ तिरती हैँ परियोँ सी जल …