हलो नानी

In Culture, For children, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

 

हलो, नानी,

मैं तन्‍वी बोल रही हूँ,

बड़ी हो गई अब मैं

पूरे तीन बरस की हूँ मैं.

हैप्‍पी बर्थ डे होगा मेरा

आना, तुम आ जाना

नाना को भी लाना…

कैसी हैं दोनों बकरी–

काली भी, भूरी भी?

टेलिफ़ोन उन्‍हें भी देना

उन से दो बातें कर लूँ.

É

बकरी गई हैं पढ़ने,

नानी बोली.

É

लेकिन मेरी तो छुट्टी है,

नन्‍ही तन्‍वी बोली,

बकरी भी घर पर होगी.

मक्‍को क्‍या करती है?

उस को भी तुम लाना.

É

तन्‍वी, तुम क्‍या लोगी?

बोलो, क्‍या ले कर आऊँ?

É

नहीं चाहिए कुछ भी,

तुम जल्‍दी आ जाना.

हैं मेरे पास खिलौने

हैं मेरे पास सुएटर

कपड़े हैं कितने सारे…

मामा कब आएँगे,

कब आओगी तुम भी?

 

É

मैं जल्‍दी आऊँगी,

नाना भी आएँगे.

क्‍या बच्‍चे भी आएँगे?

É

हाँ, बच्‍चे भी आएँगे,

राधिका होगी,

जय होगा, माया होगी.

ऊपर वाले बच्‍चे होंगे,

कुछ मेरे साथी होंगे.

हम मिल कर खेलेंगे.

केक कटेगी

गाने होंगे

बाबा दादी प्‍यार करेंगे

मम्‍मी डैडी प्‍यार करेंगे

बूआ फूफा प्‍यार करेंगे

नाना नानी प्‍यार करेंग.

सब के सब गाएँगे :

हैप्‍पी बर्थ डे, तन्‍वी,

है सब की प्‍यारी तन्‍वी.

तुम भी मिल कर गाना.

मैं ख़ुश ख़ुश नाचूँगी

बाबा फ़ोटो लेंगे.

तुम जल्‍दी आ जाना.

É

हाँ, जल्‍दी आऊँगी

प्‍यार बहुत लाऊँगी.

तन्नू, ओ प्‍यारी तन्‍वी,

मैं जल्‍दी आउँगी…

 

आज ही http://arvindkumar.me पर लौग औन और रजिस्टर करेँ

और अपने परिचितोँ को भी बताएँ.

©अरविंद कुमार

Comments