हवा को किस ने देखा है?

In Culture, For children, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

पेड़ जब शीश नवाते हैँ

पात जब गौरव गाते हैँ

हवा सिंहासन पर चढ़ कर

सवारी ले कर आती है

हवा को सब ने देखा है

 

पतंग जब ऊपर चढ़ता है

ठुमकता है, बल खाता है

हवा तब घुटनोँ पर झुक कर

गीत आशा का गाती है

हवा को सब ने देखा है

 

तितलियाँ चंचल उड़ती हैँ

गुलाबोँ पर मँडराती हैँ

हवा तब बासंती हो कर

गीत यौवन का गाती है

हवा को सब ने देखा है

 

पात जब पीले पड़ते हैँ

शाख से नीचे गिरते हैँ

उड़ते, खड़खड़ करते हैँ

हवा बूढ़ी बन आती है

हवा को सब ने देखा है

 

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©अरविंद कुमार

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