इठलाती मठराती
बल खाती लहराती
जल मेँ
चलती हैँ मदमाती
मनमौजी हैँ मछली
नील कमल पर उड़ती सी
झुंडों मेँ मँडराती
जल मेँ
तिरती हैँ परियोँ सी
जल की रानी हैँ मछली
उन का चलना ही गाना है
रंगोँ से भरा तराना है
गाने मेँ
सरगम है रंगोँ की
चुप चुप – क्या गाती हैँ मछली
चपटी हैँ – मोटी हैँ
लंबी हैँ – छोटी हैँ
तन पर
चित्ती है – धारी है
प्यारी सी सुंदर हैँ मछली
जल के बाहर भी दुनिया है
प्यारे प्यारे बच्चे हैँ…
हैँ घाती मछुआरे भी
क्या जानेँ
फँस जाती हैँ मछली
भोलीभाली हैँ मछली
प्यारी प्यारी हैँ मछली
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©अरविंद कुमार
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