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समांतर कोश के इक्कीस साल–भाग – 1

In Arvind Lexicon, Culture, Dictionary, English, Hindi, History, Language, Languages, Memoirs, People, Sanskrit, Thesaurus by Arvind KumarLeave a Comment

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भाग एक

-13 दिसंबर 2017. नई दिल्ली.

इक्कीस साल पहले 13 दिसंबर 1996 के पूर्वाह्न कुसुम और मैँ ने तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर शंकर दयाल को ‘समांतर कोश – हिंदी थिसारस’ का पहला सैट भेँट किया था. उस के पीछे पूरे इकतालीस साल का काम था.

-19 अप्रैल 1976.

सन 1973 की 26-27 दिसंबर की सुबह मुंबई के हैंगिंग गार्डन मेँ मैँ ने और कुसुम ने हिंदी ही नहीं आधुनिक भारत को पहला थिसारस देने का संकल्प किया था. हम जानते थे कि हम ने जो बीड़ा उठाया है, जो काम करने वाले हैं, वह ऐतिहासिक महत्व का है. यह भी पता था कि यह काम नौकरी करते पूरा नहीं हो पाएगा. इस लिए यह भी तय किया था कि वह पूरा करने के लिए हम अप्रैल-मई 1978 मेँ माधुरी पत्रिका को प्रणाम कर के और फ़िल्म उद्योग को अलविदा कर के दिल्ली मेँ अपने घर माडल टाउन चले जाएँगे. लेकिन उस से पहले हमेँ इस काम की पूरी तैयारी कर लेनी होगी. संदर्भ ग्रंथ ख़रीदने होँगे. शब्द लिखने के लिए तरह तरह के कार्ड बनवाने होँगे. इतनी फ़ुरसत नहीं थी कि बाज़ार में रूल्ड कार्ड कहाँ बनेँगे. इस लिए मैँ ने अपनी पसंद के कई तरह के कार्डों के साइज़ तय किए. यह भी सोचा कि एक ही रंग के कार्ड होँगे तो आँखेँ ऊबने लगेँगी. टइम्स आफ़ इंडिया का अपना छापाख़ाना महंगा था. पर अपने कंट्रोल मेँ था. तो वहीँ बनवाए.

यह भी सोचा कि जब मासिक वेतन वाली आय़ नहीँ होगी, तो अभी से कुछ साल के लायक़ कपड़े बनवा लिए जाएँ. कुसुम के वास्ते बीसेक सूती साड़ियाँ ख़रीद लीं.

अब हम ने सोचा कि हिंदी में जो थिसारस बनाना है, वह कैसे बनता है यह हम नहीं जानते. कोई साहित्य इस संबंध मेँ नहीँ मिला. तो अभ्यास कर के ही जुगत निकालनी होगी.

-जोख़िमोँ से भरे ऐतिहासिक सफ़र पर निकल रहे थे. इस सफ़र की शुरूआत हम लोग पूरे अनुष्ठान के तौर पर करना चाहते थे. इस के लिए हम ने चुना – अपना प्यारा नासिक नगर. वहाँ टाइम्स आफ़ इंडिया का एक बड़ा सा बंगला था. बड़े बड़े कमरे. खुला मैदान. जहाँ बच्चे खेल सकते थे. रसोइया था. जो मरज़ी हो बनवाओ. गोदावरी नदी पहाड़ोँ से उतरती है. दूर दूर से लोग नहाने आते हैँ. तो कार्ड बन गए थे. वे कार की डिक्की मेँ लादे. कई तरह के इंग्लिश थिसारस लिए. और चल पड़े.

19 अप्रैल की सुबह पूरा परिवार गोदावरी मेँ नहाया. वहीं तांबे का एक लोटा ख़रीदा, उस पर तारीख़ गुदवाई. बंगले पर आ कर किताब का पहला कार्ड लिखा. तब मेरी नज़र इंग्लिश शब्द डिक्शनरी की तर्ज़ पर नाम था – ‘शब्देश्वरी’. बाद में जब किताब का डाटा पूरा होने को था तो कई मित्रोँ से नाम के सुझाव माँगे. निचुड़ कर जो नाम बना वह था – ‘समांतर कोश’.

-‘समांतर कोश’ के निर्माण के दौरान कई प्राकृतिक और शारीरिक आपदाएँ आईँ – मैँ इस लेखमाला मेँ उन की बात नहीँ करूंगा. कृतित्व के दौरान जो समस्याएँ आईं और उन का क्या निदान मैँ ने निकाला – वहीं तक मैँ अपने को सीमित रखूँगा.

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-उस समय रोजेट के जो थिसारस मेरे पास थे, उन्हेँ देखते हुए मेरा अनुमान था कि किसी एक कोटि या उपकोटि के सारे शब्द कार्ड के सामने वाले हिस्से मेँ आ जाएँगे. दूसरी तरफ़ किसी अन्य कोटि के शब्द लिख देँगे. पर यह सोच ही ग़लत थी. पिछली तरफ़ वाली कोटि को कहीँ और ले जाना हुई तो समस्या होगी. अतः यह विचार त्याग देना पड़ा.

यही नहीँ इंग्लिश मेँ घोड़े का केवल एक शब्द है. भिन्न प्रकार के घोड़ों की सूची देनी हो तो बीस-पच्चीस और सही. ये सब एक कार्ड पर आ सकते हैँ. लेकिन हिंदी मेँ घोड़े के लिए 28 शब्द मुझे मिले. घोड़ों के प्रकार के हिंदी सहित गिने चुन नाम गिन कर पूरे 82 नाम मिले. शिव जी के लिए मेरे डाटा मेँ अब 2519 नाम हैँ.

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1976 मेँ जब बाक़ायदा अभ्यास शुरू हुआ तो मैं ने हिंदी कोशोँ मेँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण ‘बृहत् हिंदी कोश’ (ज्ञानमंडल लिमिटेड, वाराणसी) को प्रमुख संदर्भ ग्रंथ बनाया. इस का पहला संस्करण संवत 2009 (यानी ईसवी 1954-55) मेँ प्रकाशित हुआ था. तब से हिंदी वर्तनी के लिए मैं इसे मानक कोश मानता हूँ. मैँ ने इस कोश मेँ अ से ह तक किसी अक्षर से शुरू होने वाले पेजोँ की गिनती दो कार्डों पर लिख ली. देखेँ नीचे—

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बृहत् हिंदी कोश में अ से फ तक के पेजोँ की सूचीफ और उन के लिए मनोनीत लाइनें

और नीचे है ब से शुरू होने वाले शब्द

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बृहत् हिंदी कोश में ब से ह तक के पेजोँ की सूची

अब मैँ ने अनुमान लगाया कि हमारे किसी कोटि के शब्दोँ को अकारादि क्रम से लिखेँ तो एक से बत्तीस तक वाले कार्डों मेँ किसी एक लाइन मेँ कौन शब्द लिखे जाने होँगे.

(नीचे जो कार्डों की तस्वीरेँ हैँ, उन मेँ नीचे की तरफ़ उलटी लिखावट है. वह इस लिए कि हम कंडम कार्डों को बेकार नहीं जाने देना चाहते थे.)

नीचे – यदि कार्ड के एक ही तरफ़ लिखना हो तो किस पंक्ति में किस अक्षर वाले शब्द लिखे जएँगे. $

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यदि दोनोँ तरफ़ लिखना हो तो सामने पहले कालम में अ से झ तक और पीछे ट ठ से ह तक $

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अब यदि किसी कोटि के लिए चार कार्ड बनाने पड़ेँ तो पहले कार्ड का सामना-$

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और फिर उस का पिछला हिस्सा- $

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उस के दूसरे कार्ड का सामना-$

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दूसरे कार्ड का पीछा-$

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तीसरे कार्ड का सामना-$

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तीसरे कार्ड का पीछा-$

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चौथे कार्ड का सामना-$

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चौथे कार्ड के पीछे श ष स और ह में से प्रत्येक के लिए लाइनेँ तय कर दीं.

-अब यदि आठ कार्ड बनाने हों तो उस की समरी नीचे वाले कार्ड के सामने पर आठ कालम मेँ अक्षर लिख दिए $

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और उस के पिछवाड़े की कैफ़ियत कुछ ऐसी थी $

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इसी तरह सोलह और बत्तीस पेजों वाली कोटियों के संकेत कार्ड बनाए गए. जब हम कोई नया शब्द जोड़ना हो तो हम दोनों को सुविधा होती रहती थी.

-बात यहीँ समाप्त नहीं हो जाती. हम ने कई तरह के रेडीरैफ़रैंस कार्ड बनाए. उन के बारे में कभी और…

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