चलती फ़िल्म चल कर बंबई आ पहुँची!!
चलती फ़िल्म के पहला शो ‘आलीशान हिंद काफ़े’ था, तो जल्दी ही चल कर जल्दी ही हिंद के द्वार बंबई ...
Read More
Read More
010 भगवान को भाषा मेँ कहाँ रखेँ?
हंस – मई 1991 अंक श्रव्य और दृश्य भाषा का हथियार ले कर मानव संपूर्ण सृष्टि की विजय यात्रा पर ...
Read More
Read More
009 कुछ शब्द समूह… और भावक्रम की समस्या
हंस – अप्रैल 1991 अंक हंस – अप्रैल 1991 मुखपृष्ठ कुछ लोग थिसारस को पर्यायवाची कोश समझने की ग़लती कर ...
Read More
Read More
008 हिंदी और थिसारस
थिसारस है क्या बला? उस की आवश्यकता क्योँ है? हंस – मार्च 1991 अंक शब्दकोश के मुक़ाबले मेँ थिसारस मेँ ...
Read More
Read More
007 थिसारस और मैँ
जितना सहज मैँ ने समांतर कोश बनाना समझा था, उतना सहज यह निकला नहीँ. हंस – फ़रवरी 1991 अंक हंस ...
Read More
Read More
006 समांतर सृजन गाथा
इस संभाग मेँ सब से पहले हैँ हंस मेँ फ़रवरी से जून 1991 तक छपे मेरे पाँच लेख. - थिसारस ...
Read More
Read More
005 टेढ़े मेढ़े रास्ते…
(शब्दवेध से) पंदरह मई 1978 की सुबह. नेपियन सी रोड पर प्रेम मिलन बिल्डिंग की सातवीँ मंज़िल से उतर कर ...
Read More
Read More
004.1 कंपोज़िंग के केस
(शब्दवेध से) डिस्ट्रीब्यूशन सीखते समय मेरा काम था ज़मीन पर पालथी मार कर उस्ताद मुहम्मद शफ़ी के पास बैठना, छपे ...
Read More
Read More
मानक हिंदी वर्तनी
आज हिंदी लिखने पढ़ने वाले ‘अं’ ‘अँ’, ‘हंस’ ‘हँस’ की ही तरह ‘क’ ‘क़’, ‘ख’ ‘ख़’ और ‘ज’ ‘ज़’ जैसी ...
Read More
Read More
004 जीवन बदल डालने वाली वह सुबह
(शब्दवेध से) सन 1973 के दिसंबर की 27 तारीख़ की जीवन बदल डालने वाली वह सुहानी सुबह हम कभी नहीँ ...
Read More
Read More
Comments