आँख चर्चा – 1
आँखेँ हमारे चेहरे का सब से आकर्षक अंग हैँ. आँख को नयन भी कहते हैँ, जिस का मतलब है ले जाने वाला. इस से हम देख न पाएँ तो कहीँ आना जाना हो तो हाथोँ से और पैरोँ से टटोल कर ही आगे बढ़ा जा सकता है.
आँख शब्द विवेक का और सुरुचि का प्रतीक भी है. बारीक़ छेद को भी आँख कहा जाता है, जैसे सूईँ का नाका भी आँख कहलाता है. दृष्टिकोण भी आँख ही है.
आँख वह निशान भी है जिसे इंग्लिश मेँ bull’s eye (बैल की आँख) कहते हैँ. हमारे यहाँ इसे चिड़िया की आँख या मछली की आँख भी कहा गया है. जब अर्जुन तीरंदाज़ी का अभ्यास कर रहे थे तो उन का ध्यान चिड़िया की आँख पर ही रहता था. द्रौपदी स्वयंवर मेँ नीचे जल मेँ मछली की आँख पर ही उन्होँ ने बाण चलाया था.
हमारे जीवन मेँ आँख का इतना अधिक महत्व है कि हम ने आँख को ले कर ढेरोँ मुहावरे बना लिए हैँ.
आँख – देखने की इंद्रिय. वह इंद्रिय जिस से प्राणियोँ को रूप अर्थात् वर्ण, विस्तार तया आकार का ज्ञान होता है.
समांतर शब्द: अँखड़ी, अँखियन (बहु), अँखिया, अँखियाँ (बहु), अंषि, अक्षि, आँख, आँखड़ी, ईक्षण, ईक्षा, ईक्षिका, उद्वीक्षण, ऐन (ऐनक मेँ उपलब्ध), गो, गोलक, चक्षु, चश्म, डीठ, दीठ, दीठा, दीठि, दीदा, दृक्, दृग, दृगेंद्रिय, दृग्, दृशा, दृशी, दृष, दृष्टि, दृष्टींद्रिय, देवदीप, नज़र, नयन, नयना, निगह, निगाह, नेत्र, नैन, नैना, पाथि, प्रेक्षण, बीनाई, रूपेंद्रिय, लोचन, लोय, लोयन, विलोचन, विश्वंकर, वीक्षण, वेक्षण
दाहिनी आँख: इंद्र, दक्षिण नेत्र, दाहिनी पुतली, भानवीय, सौर.
बाईं आँख: इंद्राणी, बाईँ पुतली, वाम नेत्र, सौम्य.
नेत्रकोटर: अक्षिकोटर, आँख गड्ढा.
आँख कोर: उपांत, कनखी, कोया, कोर.
आँख डेला: अक्षिकूट, अक्षिगोल, आँख, आँख गोलक, आँख पुतली, उपतारा, कनीनक, कनीनिका, , कर्णिका, कर्णिया, कुमारक, कौड़ी, गोलक, डेला, तारका, नेत्र, नेत्र कनीनिका, नेत्र गोलक, नेत्र पुतली, पुतली, पुत्रिका.
कोर्निया: (आँख की पुतली पर पारदर्शी आवरण), आँख का परदा, चक्षुपटल, ज्योति, ज्योतिपटल, पुतली का परदा.
रैटिना: (आँख का अंतर्तम परदा), अक्षिपटल, आँख का परदा, दृष्टिपटल, नेत्रपटल, मूर्तिपट, रूपाधार.
आँख लैंस: अक्षिताल, आँख ताल, चंद्रक, नेत्रक, नेत्र लैंस, मणिक, लैंस.
अंधबिंदु आँख के भीतरी पटल पर का वह स्थान जो प्रकाश को ग्रहण नहीँ करता और जिस के सामने पड़ी हुई वस्तु दिखाई नहीँ देती
भौँह: आँख भँव, चिल्लिका, तेवर, त्योरी, नेत्रभ्रू, भँव, भौँ, भ्रू.
भ्रूमध्य: कूर्च, , भूसंधि, भ्रूमध्य, लेखासंधि, स्थपनी.
पलक: आँख पलक, दृगंचल, नयनपट, निमेष, निमेषक, पपोटा, पलक, पुट, पोटा, वर्त्म.
पलक बाल: अक्षिपक्ष्म, नेत्र रोम, पक्ष्म, पलक रोम, बरौनी, रश्मि, सिलीया.
आँख मुहावरे:
(इन मेँ से अधिकांश का स्रोत है – काशी नागरी प्रचारिणी सभा का श्यामसुंदर दास जी की देखरेख मेँ बना विशाल ‘हिंदी शब्दसागर’)
उनोँदी आँख: नीँद से भरी आँख. वह आँख जिस मेँ नीँद आने के लक्षण दिखाई पड़ते होँ.
कंजी आँख: नीली और भूरी आँख. बिल्ली की सी आँख.
कँटीली आँख: घायल करने वाली आँख. मोहित करने वाली आँख.
गिलाफ़ी आँख: पपोटोँ से ढँकी आँख; जैसे कबुतर की आँख.
चंचल आँख: यौवन के उमंग के कारण स्थिर न रहने वाली आँख.
चरबाँक आँख: चंचल आँख.
चियाँ सी आँख: बहुत छोटी आँख.
चोर आँख: 1) वह आँख जिस मेँ सुरमा या काजल मालूम न हो. (2) वह आँख जो लोगोँ पर इस तरह पड़े कि मालूम न हो.
धँसी आँख: भीतर की ओर धँसी आँख.
मतवाली आँख: मद से भरी आँख.
मदभरी आँख, रसभरी आँख: वह आँख जिस से भाव टपकता हो. रसीली आँख.
शरबती आँख: गुलाबी आँख.
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