आँख चर्चा – 2
आँख. (1) ध्यान. लक्ष्य. जैसे उन की आँख बुराई ही पर रहती है.
आँख. (2) विचार. विवेक परख. शिनाख़्त जैसे— (क) उस के आँख नहीँ है; वह क्या सौदा लेगा. (ख) राजा के आँख नहीँ कान होता है.
आँख. (3) कृपादृष्टि. दया भाव; जैसे —अब तुम्हारी वह आँख नहीँ रही.
आँख. (4) संतति. संतान. लड़का बाला; जैसे—(क) सोगिन मर गई, आँख छोड़ गई. (ख) एक आँख फूटती है तो दूसरी पर हाथ रखते हैँ. (अर्थात् जब एक लड़का मर जाता हे तब दूसरे की देख कर धीरज धरते हैँ और उस की रक्षा करते हैँ.) (ग) मेरे लिए तो दोनोँ आँखेँ बराबर हैँ.
मुहावरे–
आँख आना: आँख मेँ लाली, पीड़ा और सूजन होना.
आँख उठना: आँख आना. आँख मेँ लाली और पीड़ा होना.
आँख उठाना: ताकना. देखना. (1) सामने नज़र करना. जैसे—आँख उठाई तो चारोँ और मैदान देख पड़ा. (2) बुरी नज़र से देखना. बुरा बरताव करना. हानि पहुँचाने की चेष्टा करना. जैसे— हमारे रहते तुम्हारी ओर कोई आँख उठा सकता है?
आँख उठा कर न देखना: (1) ध्यान न देना. तिरस्कार करना; जैसे—(क) मैं उनके पास घंटोँ बैठा रहा पर उन्होँ ने आँख उठा कर भी नहीँ देखा. (ख) ऐसी चीजों को तो हम आँख उठा कर भी नहीँ देखते. (2) सामने न ताकना. लज्जा या संकोच सो बराबर दृष्टि न करना; जैसे—वह लड़का तो आँख ही ऊपर नहीँ उठाता, हम समझाएँ क्या.
आँख उलट जाना: (1) पुतली का ऊपर चढ़ जाना. (1.2) आँख पथराना (यह मरने के समय होता है); जैसे—आँखेँ उलट गईं, अब क्या आशा है. (2) घमंड से नज़र बदल जाना. अभिमान होना; जैसे—इतने ही धन मेँ तुम्हारी आँख उलट गई हैँ.
आँख ऊँची न होना: लज्जा से बराबर ताकने का साहस न होना. लज्जा से दृष्टि नीचे रहना; जैसे —उस दिन से फिर उस की आँख हमारे सामने ऊँची नहीँ हुई.
आँख ऊपर न उठाना: (1) लज्जा या भय से नज़र ऊपर की ओर न करना. दृष्टि नीची रखना.
आँख ओट, पहाड़ ओट: (1) निःसंकोच होना. (2) जब आँख के सामने नहीँ, तब क्या दूर, क्या नजदीक.
आँख कड़ुआना: अधिक ताकने या जागने से एक प्रकार की पीड़ा होना.
आँख का अंधा, गाँठ का पूरा: मूर्ख धनवान. अनाड़ी मालदार. वह धनी जिसे कुछ विचार या परख न ही; जैसे—(क) हे भगवान भेजो कोई आँख का अंधा गाँठ का पूरा. (ख) जो आँख का अँधा होगा, वही यह सड़ा कपड़ा लेगा.
आँख का काँटा होना: (1) खटकना. पीड़ा देना. (कंटक होना. बाधक होना. शत्रु होना; जैसे— उसी के मारे तो हमारी कुछ चलने नहीँ पाती; वही तो हमारी आँख का काँटा हो रहा है.
आँख का काजल चुराना: गहरी चोरी करना. बड़ी सफ़ाई के साथ चोरी करना.
आँख का जाना: आँख फूटना; जैसे—उस की आँख शीतला मेँ जाती रही.
आँख का तारा: (1) बहुत प्यारा व्यक्ति. (2) संतति.
आँख का तेल निकालना: आँख को कष्ट देना. ऐसा महीन काम करना जिस मेँ आँखोँ पर बहुत ज़ोर पड़े, जैसे सीना पिरोना, लिखना, पढ़ना आदि. उ.—क्योँ न खो देँगे आँख का तिल वे, आँख का तेल जो निकालेँगे.
आँख कान खुला रहना: सचेत रहना. सावधान होना. होशियार रहना.
आँख का परदा उठना: ज्ञानचक्षु का खुलना. अज्ञान या भ्रम का दूर होना. चेत होना; जैसे—उस की आँख का परदा उठ गया है, अब वह ऐसी बातोँ पर विश्वास न करेगा.
आँख पर परदा पड़ना: कुछ सुझाई न पड़ना. मोहग्रस्त होना.
आँख का पानी ढल जाना: लज्जा छूट जाना. लाज शर्म का जाता रहना, जैसे—जिस की आँख का पानी ढल गया है, वह चाहे जो कर डाले.
आँख की किरकिरी: आँख का काँटा, चक्षुशूल. खटकने वाली वस्तु या व्यक्ति.
आँखोँ की ठंढक: अत्यंत प्यार व्यक्ति या वस्तु.
आँख की पुतली: प्रिय व्यक्ति. प्यारा मनुष्य. जैसे—वह हमारी आँख की पुतली है; उसे हम पास से जाने न देँगी.
आँख की पुतली फिरना: आँख की पुतली का चढ़ जाना. पुतली का स्थान बदलाना. आँख का पथराना (यह मरने का पूर्वलक्षण है).
आँख की बदी भौं के आगे: किसी के दोष को उस के इष्ट मित्र या भाई बंधु के सामने ही कहना.
आँख की सुइँयाँ निकालता: किसी काम के कठिन और अधिक भाग के अन्य व्यक्ति द्वारा पूरा हो जाने पर उस के शेष अल्प और सरल भाग को पूरा कर के सारा फल लेने का उद्योग करना; जैसे—इतने दिनोँ तक तो मर मर कर हम ने इस को इतना दुरुस्त किया; अब तुम आए हो आँखोँ की सूइँयाँ निकालने. विशेष—इस मुहावरे पर एक कहानी है. एक राजकन्या का विवाह बन मेँ एक मृतक से हुआ जिस के सारे शरीर मेँ सूइयाँ चूभी हुई थीँ. राजकन्या नित्य बैठ कर उन सूइँयोँ को निकाला करती थी. उस की एक लौंडी भी साथ थी जो यह देखा करती थी. एक दिन राजकन्या कहीँ बाहर गई. लौंड़ी ने देखा कि मृतक के शरीर की सारी सूइयाँ निकल चुकी हैँ, केवल आँखोँ की बाक़ी हैँ. उस ने आँखोँ की सूइँयाँ निकाल डालीँ और वह मृतक जी उठा. उस लौंडी ने अपने को उस की विवाहिता बतलाया; और जब वह राजकन्या आई, तब उसे अपनी लौंड़ी कहा. बहुत दिनोँ तक वह लौंडी इस प्रकार रानी बन कर रही. पर पीछे से सब बातें खुल गईं और राजकन्या के दिन फिरे.
आँखोँ के आगे अँधेरा छाना: मस्तिष्क पर आघात लगने या कमज़ोरी से नज़र के सामने थोड़ी देर के लिए कुछ न दिखाई देना. बेहोशी होना. मूर्च्छा आना.
आँखोँ के आगे अँधेरा होना: संसार सूना दिखाई देना. विपत्ति या दुःख के समय घोर नैराश्य होना. जैसे—लड़के के मरते ही उन की आँखोँ के आगे अँधरा हो गया.
आँखोँ के आगे उजाला होना: प्रकाश होना. ज्ञान होना.
आँखोँ मेँ चमक आना: प्रसन्न होना.
आँखोँ के आगी चिनगारी छूटना: आँखोँ का तिलमिलाना. तिलमिली लगना. मस्तिष्क पर आघात पहुँचने पर चकाचौंध सी लगना.
आँखोँ के आगे पलकोँ की बुराई: किसी के इष्टमित्र के आगे ही उस की निंदा करना. जैसे—नहीँ जानते थे कि आँखोँ के आगे पलकोँ की बुराई कर रहे हैँ, सब बातें खुल जाएँगी?
आँखोँ के आगे फिरना: दे. ‘आँखोँ मेँ फिरना‘.
आँखोँ के आगे रखना: आँखोँ के सामने रखना.
आँखोँ के तारे छूटना: दे. ‘आँखोँ के आगे चिनगारी छूटना‘.
आँखोँ के सामने नाचना: दे. ‘आँखोँ मेँ नाचना‘. आँखोँ के सामने रखाना. निकट रखना. पास से जाने न देना. जैसे—हम तो लड़र्कों को आँखोँ के सामने ही रखाना चाहते हैँ.
आँखोँ के सामने होना: संमुख होना. आगे आना.
आँखोँ को रो बैठना: आँखोँ को खो देना. आँध होना; जैसे— यदि यही रोना धोना रहा तो आँखोँ को रो बैठेगी (स्त्री.).
आँख खटकना: (1) आँख टीसना.
आँख किराकिराना. उ.—कुमकुम मारो गुलाल, नंद जू के कृष्णालाल, जाय कहूँगी कंसराज से आँख खटक मोरी भई है लाला. —होली. (2) किसी से मनमुटाव होना.
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