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फ़ाउस्ट – एक त्रासदी
योहान वोल्फ़गांग फ़ौन गोएथे
काव्यानुवाद - © अरविंद कुमार
२०. गिरजाघर
पूजा चल रही है. भीड़ मेँ मार्गरेट. उस के पीछे पीछे एक प्रेतात्मा.
प्रेतात्मा
ग्रेचन! बदल गई है तू!
निष्कलंक थी तू – निष्पाप थी तू!
हाथोँ मेँ होती थी भजनोँ की पोथी –
आधा बचपन! आधा भजन.
ग्रेचन! क्या है तेरे भेजे मेँ?
पाल रही है पाप – मन मेँ?
यह पूजा… यह पाठ…
क्योँ? क्या? किस के लिए? –
माँ के लिए?
सुला दिया तू ने
मौत की काली गहरी नीँद.
लाद डाला पाप!
तेरे दर पर बहा था ख़ून?
कौन था? किस का था ख़ून?
कलेजे के नीचे –
पाल रही है क्या?
पल रहा है जो…
साल रहा है – तेरा कलेजा…
मार्गरेट
ईश्वर! परमेश्वर!
बचा, मुझे मेरे मन से बचा!
कितना ही रोकूँ, धारूँ कितना ही संयम,
घिरते उमड़ते हैँ विचार के काले बादल.
कौइर (समूह गान लैटिन मेँ – )
दायश ईरै, दायश ईल्ला
शोल्वेत शैक लुम ईन फ़ैवील्ला
(आर्गन बाजे पर चर्च संगीत – )
प्रेतात्मा
काँप रही है थर थर
मच रहा है शोर घर घर.
काँप रही है तेरी क़ब्र
भड़केगी तेरी राख
काँपेगा मन थर थर
झुलसेगी आग मेँ झर झर…
मार्गरेट
भगवान, जाने दो मुझे.
घोँट रहा है दम पूजा का बाजा
पूजा के बोल कचोट रहे हैँ कलेजा.
कौइर (समूह गान लैटिन मेँ – )
जूदेज़ एर्गो कुम शेदेबीत
किदकिद लेतेत आदपारेबीत
नील ईनुलतूम रेमानेबीत
मार्गरेट
घेर रही हैँ दीवारेँ
घेर रहे हैँ खंबे –
जेल के सीख़चे.
भीँच रहा है गुंबद
घोँट रहा है साँस.
प्रेतात्मा
छिप जा! कहीँ भी छिप जा!
छिपते नहीँ पाप!
छिपती नहीँ लाज!
न आस, न साँस!
पीर! बस पीर…
कौइर (समूह गान लैटिन मेँ – )
किद सूम मीशेर तुंक दिक्तूरूश
केम पात्रोनूम रोगातूरूश
कूम वीज़ जूश्तूश शीत शेकूरूश
प्रेतात्मा
भागेँगे तुझ से दूर निर्मल जन
आसरा देने से कतराएगा जन जन
थूकेगा तुझ पर जन जन
भोगेगी पीड़ा हर पल हर क्षण
कौइर (समूह गान लैटिन मेँ – )
किद शूम मीशेर तुंक दिक्तूरूश
मार्गरेट
बहना! देना!… पानी.
(गिर कर बेहोश हो जाती है.)
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