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फ़ाउस्ट – एक त्रासदी
योहान वोल्फ़गांग फ़ौन गोएथे
काव्यानुवाद - © अरविंद कुमार
१८. प्राचीर मेँ अलिंद
नगर प्राचीर के एक कोने मेँ माँ दोलोरोसा की मूर्ति. मूर्ति के सामने फूलोँ का पात्र. मार्गरेट फूल डालती है, पूजा करती है.
मार्गरेट
देवी मैया महारानी
करो, माँ, करो मेहरबानी
माँ कल्याणी कुँवरानी
दीन दुखी जन की रानी
तुम्हारे मन मेँ गहरी पीर
तुम्हारा पूत टँगा शहतीर
तुम्हारे आँसू हैँ शमशीर
धारे तुम ने भगवान
हरी पूत की पीर
हरो जनोँ की पीर
कौन जानेगा मेरी पीर
ग़म की तीखी शमशीर
रही मेरे तन मन को चीर
माँ, जाने, बस तू जाने
मेरी पीड़ा के ताने बाने
मेरे दुःखोँ की भाषा
माँ, जाने, बस तू जाने
माँ, फूल चुने उपवन से
धोया सच्चे अँसुवन से
ये फूल तुम्हेँ हैँ अर्पण
आँसू से भीगा कण कण
स्वीकार करो, कुँवरानी
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