फ़ाउस्ट – भाग 1 दृश्य 11 – गली

In Culture, Drama, Fiction, History, Poetry, Spiritual, Translation by Arvind KumarLeave a Comment

 

 

 


फ़ाउस्ट – एक त्रासदी

योहान वोल्‍फ़गांग फ़ौन गोएथे

काव्यानुवाद -  © अरविंद कुमार

 

११. गली

फ़ाउस्ट. मैफ़िस्टोफ़िलीज़.

फ़ाउस्ट

सब ठीकठाक? क्या है समाचार?

मैफ़िस्टोफ़िलीज़

वाह! क्या बेसब्री! क्या इंतज़ार!

घबराओे मत. ग्रेचन हो कर रहेगी तुम्हारी.

आज शाम मिलेगी वह मार्था के घर.

कितनी सुंदर है वह नार!

भगवान ने फुरसत मेँ बनाई होगी वह नार!

फ़ाउस्ट

बहुत अच्छे!

मैफ़िस्टोफ़िलीज़

लेकिन उन की हैँ कुछ माँग…

फ़ाउस्ट

कुछ तो करना ही होगा प्रतिदान.

मैफ़िस्टोफ़िलीज़

बस, वे चाहती हैँ हमारा बयान.

उस का मर्द दफ़न है जहाँ

है पादुआ का क़ब्रिस्तान.

फ़ाउस्ट

वाह! क्या बात है! अभी हो आते हैँ पादुआ.

मैफ़िस्टोफ़िलीज़

क्योँ? क्या करने जाएँ हम पादुआ?

बन चुके हो शैतान के याड़ी!

रहे अनाड़ी के अनाड़ी!

क्या ज़रूरी है अपनी आँखोँ से सब कुछ देखना ! –

देने से पहले बयान?

फ़ाउस्ट

यह है बात, तो टूट गई हमारी बात.

मैफ़िस्टोफ़िलीज़

हर दम सत्याचरण को तैयार!

हे धर्म के अवतार! क्या यह है पहली बार –

जो तुम करोगे शपथ ले कर असत्य का भाषण?

तुम देते थे विद्यालय मेँ भाषण –

सीना फुला कर करते थे ज्ञान का विज्ञापन,

करते थे ज़ोर शोर से मानव मन और बुद्धि का परिभाषण…

ज़रा शांति से सोचो.

दिल पर हाथ रख कर बोलो –

तुम कह सकते हो सचमुच

वह सब सच था – केवल सच?

श्वैर्डन की मृत्यु का जितना है तुम को ज्ञान,

क्या उस से भी कम नहीँ था –

उन तथ्योँ मेँ तुम्हारा विश्वास?

फ़ाउस्ट

तुझे आता है, बस, कुतर्क, मायाजाल…

मैफ़िस्टोफ़िलीज़

फिर भी अच्छा रहता है गहराई मेँ पैठना.

कल तुम खाओगे शपथेँ, करोगे ग्रेचन से प्रेम के वादे,

कहोगे – जीवन भर निभाओगे वादे!

फ़ाउस्ट

और सच्चा होगा हर वादा!

मैफ़िस्टोफ़िलीज़

                                वाह! वाह!

तुम कहोगे ग्रेचन से –

तुम हो उस के प्रेम मेँ दीवाने,

उस के सिवा तुम्हारे जीवन के

नहीँ हैँ कुछ और माने…

तो क्या होगा वह सच – केवल सच?

फ़ाउस्ट

बस! बस! रहने दे बकवास.

वह होगा, सच – केवल सच.

मेरे मन मेँ है हलचल –

इस हलचल का नहीँ जानता मैँ नाम.

मेरे मन मेँ हैँ भाव, उद्भाव.

उद्वेलित है उन से मेरा अंतर्तन.

क्या है वह अपरिभाषित उद्दाम?

मेरे भीतर है ज्वाला भीषण, अनंत असीम.

कर डालेगी संसार को भस्म.

यह सब क्या है? – शैतान का नाटक?

मैफ़िस्टोफ़िलीज़

देख लेना, मेरा कहा निकलेगा सच…

फ़ाउस्ट

सुन! सुन! मेरी यह बात.

फिर नहीँ करूँगा मैँ तुझ से इस बात पर कुछ और बात.

जो हैँ सत्य के अलंबरदार –

उन की वाणी होती है उन के आचरण की पहरेदार.

पर छोड़ यह बात.

क्योँ करेँ हम बेकार की बात?

मानता हूँ – हमेँ देना ही होगा बयान.

कोई और राह नहीँ है हमारे पास!

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