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फ़ाउस्ट – एक त्रासदी
योहान वोल्फ़गांग फ़ौन गोएथे
काव्यानुवाद - © अरविंद कुमार
१०. पड़ोसन का घर
मार्था (अकेली.)
क्षमा करेँ भगवान
मेरे प्यारे पति के अपराध.
गड़प ली सारी मलाई,
छोड़ गया मेरे लिए फटा पानी.
खुद घूम रहा है सारा संसार.
छोड़ गया मुझे मझधार.
अकेली सड़ती तड़पती रहूँ मैँ
काम के तीखे वार सहती रहूँ मैँ.
जानता है मेरा भगवान! वह था मेरा मनमीत,
बुरा नहीँ किया मैँ ने उस का, निभाई उस से प्रीत
(रोती है.)
हे भगवान, अगर वह कर चुका है दुनिया से कूच
तो मिल जाए किसी तरह कहीँ से कोई सबूत!
(डरी सहमी ग्रेचन आती है.)
मार्गरेट
फ्रौ मार्था…
मार्था
क्या हुआ? मार्गरेट!
मार्गरेट
काँप रहे हैँ मेरे पाँव. एक और मंजूषा!
वहीँ, उसी आलमारी मेँ. भरे हैँ आभूषण.
इस बार आबनूस की है – काली मंजूषा.
और पहले से भी सुंदर हैँ आभूषण!
मार्था
कुछ मत बताना माँ को.
फिर थमा देगी पादरी को.
मार्गरेट
देख तो! देख ना!
मार्था (उसे सजाती है -)
है तू बड़ी बड़भागन!
मार्गरेट
कैसे पहनूँगी इन्हेँ घर के बाहर!
नहीँ जा सकती बाज़ार या गिरजाघर… पहन कर.
मार्था
आ जाया कर मेरे पास जब चाहे मन.
अकेले मेँ पहन इन्हेँ, बन, ठन!
देख देख कर दर्पण
खिल जाएँगे हम दोनोँ के मन…
कभी इस उत्सव पर, कभी उस पर,
एक एक कर के निकाल,
पहन धीरे धीरे
निकल घर के बाहर…
कभी कर्णफूल – कभी कंठहार.
कुछ नहीँ देखे समझेगी माँ
कुछ कहेगी तो समझा देँगे कोई बहाना बना कर.
मार्गरेट
किस ने ख़रीदे होँगे ये आभूषण?
पहले वह मंजूषा और अब यह!
कुछ ठीक नहीँ लगता.
लगना तो चाहिए पता.
(दरवाज़े पर खट खट.)
हे भगवान! क्या आ गई माँ?
(आशंकित मार्था खिड़की का परदा उठा कर बाहर झाँकती है. )
मार्था
कोई सज्जन हैँ! आइए – अंदर…
(हिचकिचाने का नाटक करता मैफ़िस्टोफ़िलीज़ आता है.)
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
अचानक आ धमका… क्षमा चाहता हूँ.
(मार्गरेट से दूर हट कर खड़ा होता है – पूरे अदब के साथ.)
फ्रौ मार्था श्वैर्डलीन हैँ यहाँ?
उन से कुछ ज़रूरी काम है…
मार्था
मैँ हूँ – मार्था. कहिए…
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
आप के… दर्शन हो गए…
चलता हूँ. आप के घर आए हैँ बड़े मेहमान…
इन के और आप के बीच आ टपका मैँ – गँवार!
फिर बाद मेँ आ जाऊँगा – तीसरे पहर…
मार्था (ज़ोर से – )
अच्छा! अरी! देख तो!
ये महाशय… देखा, मेरी रानी!
ये समझ बैठे तुझे बड़े घर की कुँवरानी.
मार्गरेट
कृपानिधान हैँ आप…
मैँ हूँ सीधी सादी गँवारिन.
नहीँ हैँ मेरे ये आभूषण…
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
छोड़िए भी! क्या कहती हैँ आप!
नहीँ है आभूषण की बात.
चेहरे पर लिखा है ऊँचा ख़ानदान.
यह तेज, यह रूप, यह लावण्य!
आप कहती हैँ तो ठहर जाता हूँ.
मार्था
कहिए, कैसे आना हुआ? मैँ…
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
जी, समाचार… मज़बूर हूँ मैँ…
आशा है मुझे नहीँ देँगी आप दोष.
अच्छा नहीँ है समाचार.
भला करे भगवान! आप के शौहर, छोड़ गए संसार.
भेजा है उन्होँ ने आप को प्यार…
मार्था
नहीँ रहे! वे! हे भगवान!
मार्गरेट
बहन! मार्था! साहस से लो काम…
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
लाना पड़ा शोक समाचार – मैँ हूँ लाचार.
मार्गरेट
शोक समाचार गिरा सकता है ऐसी गाज!
तो बेहतर है, आएँ हम प्रेम से बाज़.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
जीवन है धूप, जीवन है छाँह.
मार्था
बोलो – क्या हुआ, कैसे हुआ?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
अंत पादुआ मेँ हुआ,
दफ़न गिरजाघर मेँ हुआ,
सेंट एंटनी की छाँह मेँ
मिला अनंत विश्राम.
मार्था
कुछ और है बताने को?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
हाँ, एक संदेश है आप के नाम.
उन्होँ ने किया था एक निवेदन –
आप कराएँ तीन सौ जाप.
इस से अधिक – नहीँ है कुछ और बताने को…
मार्था
नहीँ है एक भी – कोई छल्ला या निशानी?
सफ़र मेँ कारीगर, भूखे, बेघर,
रखते हैँ झोली मेँ कुछ तो निशानी
कुछ तो भेजा होगा उन्होँ ने घर?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
बंदा चाहता है माफ़ी –
बताना है मुझे – नहीँ बचाई उन्होँ ने एक कौड़ी.
पछता रहे थे वे – जब दुनिया छोड़ी.
मार्गरेट
मानव का जीवन है भारी, कठोर…
भगवान से है प्रार्थना –
मिल जाए उन को शांति का ठौर.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़ (मार्गरेट से – )
लंबे नहीँ हैँ आप के प्रार्थना के दिन.
सुंदर हैँ आप – सलोनी हैँ आप.
यह अकेलापन क्वाँरापन
नहीँ चल पाएगा बहुत दिन…
मार्गरेट
ब्याह! अभी तो पड़े हैँ बरसोँ.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
आएगा कोई राजकुमार
आज नहीँ – तो कल – या परसोँ.
न सही विवाह, खोज लेँ कोई प्रेमी…
मार्गरेट
हमारे नहीँ हैँ ऐसे रीति रिवाज़…
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
हो कर रहता है योग
न हो रीति, न हो रिवाज़!
आप की कंचन लता सी कमनीय काया
ढूँढ़ ही लेगी तरुवर की छाया.
मार्था
कुछ और बताइए ना!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
अंत समय – मैँ था उन के पास,
उन का बिस्तर थे फूस और घास,
वे मरे अच्छे ईसाई
मुँह पर थी पाप की गिनाई
कर लिए सारे पाप क़बूल –
‘की हैँ मैँ ने जीवन मेँ भूल.
छोड़ा मैँ ने अपना व्यापार,
बेसहारा छोड़ा घरबार,
मरते मरते करता हूँ याद
क्या कर देगी मुझे वह माफ़…’
मार्था
कितने अच्छे थे वे! क्या किया उन्होँ ने जो करूँ मैँ माफ़!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
‘हाँ, यह भी है ज़रूर
मुझ से ज़्यादा था बीवी का क़सूर…
मार्था
झूठा! मरते दम तक झूठा का झूठा!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
वे कर रहे थे पीड़ा मेँ प्रलाप,
‘नहीँ मिला मुझे पल भर आराम,
रहता था जोरू के कारण हैरान.
कहाँ से देता उसे रोटी या संतान?
रोटी तो है बड़ी चीज़,
नहीँ मिला चैन से खाने को टुकड़ा
जीवन भर भोगा बस दुखड़ा.’
मार्था
भूल गया सारा प्यार! मैँ ने जो झेले दुख दिन रात.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
क्या कह रही हैँ आप!
हरदम रहती थी आप की याद.
कहा था उस ने जब चला था माल्टा से हमारा जहाज़,
‘दिन रात मैँ करता था बीवी बच्चोँ को याद
करता था उन की याद मेँ जाप.
भगवान ने सुन ली हमारी –
हमारे क़ब्ज़े मेँ आ गया तुर्की का जहाज़
लदी थी उस मेँ सुलतान की दौलत बेशुमार
मुझे भी मिला भरपूर इनाम!’
मार्था
कहाँ गई वह दौलत? कहाँ दी ज़मीन मेँ गाड़?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
उन दिनोँ वह घूम रहा था वह नापोली मेँ
डाल लिया एक जादूगरनी ने उसे अपनी झोली मेँ.
बहुत दिनोँ तक रहे वे साथ –
मरते दम उस के लबोँ पर था उस बेचारी का नाम.
मार्था
लुच्चा! लफंगा!
लुटा डाला उस ने जिस पर था मेरा अधिकार.
कैसा अत्याचार!
दुख सहे मैँ ने – मज़े किए उस ने.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
इस का उस ने पूरा फल पाया
मरते मरते बड़ा दुख पाया.
मानिए मेरी बात
शोक मेँ बिताएँ एक साल.
इस बीच खोज लेँ कोई और…
मार्था
हे भगवान! छान डालूँ मैँ सारा संसार –
तो भी कहाँ मिलेगा उस जैसा प्यार?
बुरा था, भला था, था बड़ा प्यारा
मेरे लिए था संसार से न्यारा.
उसे पसंद थी विदेशी सुरा, विदेशी नार…
और, हाँ, जूए मेँ जीत और हार.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
काश, देख पाता आप की आँखोँ से वह संसार!
काश, जानता वह आप हैँ कितनी समझदार!
हो जाता उस का बेड़ा पार.
देँ अगर आप मुझे इतनी आज़ादी
तो हम दोनोँ भी हो सकते हैँ राज़ी.
मार्था
आप कर रहे हैँ मज़ाक!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़ (स्वगत – )
अब बच निकल, बच्चू!
खर्राँट है यह! शैतान का भी बना देगी कच्चू!
(मार्गरेट से – )
क्या है आप के मन की मनुहार?
मार्गरेट
क्या कह रहे हैँ आप?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़ (स्वगत – )
कैसी भोली! यह नार!
(ज़ोर से – )
मैँ चलूँ! नमस्कार.
मार्था
एक निवेदन है –
मुझे मिल सकता है क्या कोई सबूत प्रमाण –
कब कहाँ कैसे छोड़ा संसार?
कहाँ हैँ अंतिम अवशेष?
कहाँ हुआ अंतिम संस्कार?
ये बातेँ होनी चाहिएँ सप्रमाण
तभी छापेँगे यहाँ के अख़बार.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
हाँ. हाँ. यह है आसान…
ऐसी बातोँ मेँ अच्छा है
होँ एक नहीँ, दो, गवाहोँ के बयान.
सौभाग्य से एक परिचित हैँ मेरे साथ.
उन्हेँ भेज दूँगा आप के और न्यायाधीश के पास.
मार्था
हाँ, ज़रूर!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
ये सुंदरी भी – होँगी आप के साथ?
अनुभवी यात्री हैँ वे, गुणी हैँ वे, ऊँचा है घरबार,
कुशल हैँ करने मेँ महिलाओँ से व्यवहार.
मार्गरेट
बड़े लोगोँ के सामने आती है मुझे लाज.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
सामने हो राजा, तो भी आप को कैसी लाज!
मार्था
तो फिर आज शाम –
घर के पिछवाड़े है उपवन
वहीँ आ जाए आप दोनोँ जन
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