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फ़ाउस्ट – एक त्रासदी
योहान वोल्फ़गांग फ़ौन गोएथे
काव्यानुवाद - © अरविंद कुमार
९. सैरगाह
फ़ाउस्ट. मैफ़िस्टोफ़िलीज़.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
क़सम नाकाम इश्क़ की! क़सम दोजख़ की आग की!
फ़ाउस्ट
क्या हुआ? क्या है तेरे क्रोध का कारण?
कभी नहीँ देखा तेरा तेवर इतना तमातम!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
उठा ले जाए मुझे शैतान!
पर मैँ तो खुद हूँ शैतान!
फ़ाउस्ट
क्योँ फिर गया है तेरा भेजा?
पर अच्छा फबता है तुझ पर यह पागलपन.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
सोचो तो सही! क़सम से!
ग्रेचन को जो भी दिये थे सब के सब सुंदर आभूषण
ले गया उन्हेँ बदमाश पादरी!
माँ ने देख लिए आभूषण.
कचोटने लगा उस का अंतर्मन.
तेज़ है उस की नाक
सूँघ लेती है सब कुछ.
नाक से लगा कर भजनोँ की पुस्तक
सूँघ कर फ़रनीचर बता सकती है
कहाँ से आ रही है शैतान की गंध.
हर आभूषण उसे लगा पाप का फल.
रोने धोने चिल्लाने लगी, कहने लगी,
मेरी मारग्रेट, मेरी प्यारी बेटी ग्रेचन,
इन चीज़ोँ मेँ फँस जाता है मन…
यह पाप लील जाता है तन.
यह दौलत पाएँगी माँ मरियम.
अमृत बरसाएँगी माँ मरियम.
क्या करती बेचारी ग्रेचन?
अवसाद से घिरा था मन.
सोच रही थी बेचारी –
उपहार लेने मेँ कैसी दुश्वारी?
जो लाया होगा यह उपहार
उस के मन मेँ भी होँगे
ईसा मसीह के, दया के, करुणा के विचार…
माँ ने बुलवा भेजा पादरी तत्काल.
पादरी ने सुना सारा हाल,
चेहरे पर खिलाई मुसकान,
ज़ारी कर दिया फ़रमान –
‘आत्मा का करना है उद्धार
तो मन को सहना पड़ेगा अत्याचार.
चर्च? हाँ, उस का है अच्छा हाज़मा
उस ने हज़म कर डाले हैँ देश.
उस ने पचाए हैँ ढेरोँ उपहार
नहीँ ली एक भी डकार.
देवियो, पाप की कमाई
केवल चर्च ने पचाई.’
फ़ाउस्ट
चर्च ही क्योँ –
दुनिया भर मेँ सरकार और साहूकार
पचा जाते हैँ सारा माल.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
पादरी ने अँगूठी उठाई,
फिर कंठहार और कर्णफूल,
मानो उस के हाथ मेँ होँ गोबर के फूल!
धन्यवाद जो उस ने उन पर बरसाए –
बस संक्षिप्त से थे, और कर्कश,
जैसे उसे न मिले होँ क़ीमती आभूषण –
मिले होँ केवल ईँट पत्थर साधारण.
लेकिन बड़े जोश से उस ने बरसाई उन पर
खुदा की नेमत.
इतने से ख़ुश हो गई मूर्ख औरत!
और बेचारी ग्रेचन?
मनाती रही मन ही मन शोक.
बेचारी के हाथ लगी बस मंजूषा…
और… उस अनजाने का विचार
जिस ने भेजा होगा यह सुंदर उपहार…
फ़ाउस्ट
दुःखी हूँ मैँ – क्योँ कि दुखी है बाला.
कहीँ से कोई और उपहार अब लाना.
नहीँ था इतना सुंदर वह पहले वाला.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
आप समझते हैँ यह सब है कोई ठट्ठा –
खेल बच्चोँ का!
फ़ाउस्ट
मेरा काम है देना आदेश –
तेरा काम है पालना आदेश.
उस की पड़ोसन सहेली को पटाइए आप,
शैतानी साहस का कीजिए प्रदर्शन.
बने मत रहिए भोले बाबू आप?
और ले कर आइए मेरी ग्रेचन के लिए नए उपहार.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
जो आज्ञा, मेरे मालिक!
(फ़ाउस्ट जाता है.)
प्रेम मेँ हो जाता है आदमी दीवाना.
माशूक़ की खातिर उड़ा सकता है
चाँद और सूरज, क़ायनात तमाम.
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