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फ़ाउस्ट – एक त्रासदी
योहान वोल्फ़गांग फ़ौन गोएथे
काव्यानुवाद - © अरविंद कुमार
७. गाँव की सड़क
फ़ाउस्ट. मार्गरेट मंच पर से गुज़रती है.
फ़ाउस्ट
सुनिए, देवी, सुंदरी, निवेदन –
घर तक थाम लेँ बाँह,
चलेँ मेरे साथ कुछ क्षण…
मार्गरेट
न देवी हूँ मैँ! न हूँ सुंदर!
अपने आप जा सकती हूँ घर!
(हाथ छुड़ा कर चली जाती है.)
फ़ाउस्ट
कैसा है शुभ रूप चिरंतन!
एक साथ हैँ उस मेँ सारे गुण दुर्लभतम.
थी धीरज की खान, था कलुषहीन मन
फिर भी था उस मेँ एक निर्द्वंद्व खुलापन.
उस के कपोल थे पुष्पित नव पाटल –
म्लान नहीँ कर सकता उन को काल कुटिलतम.
लाल अधर थे! कैसी उस ने फेँकी चितवन!
भटका उन गहरे चंचल नयनोँ मेँ मेरा मन.
देखा! कैसे उस ने झिड़का मुझ को!
छाया मुझ पर उस वाणी का सम्मोहन.
(मैफ़िस्टेफ़िलीज़ आता है.)
फ़ाउस्ट
सुना तू ने? मुझे चाहिए वह सुंदरी!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
कौन सी?
फ़ाउस्ट
वही जो अभी इधर से गुज़री.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
अभी चर्च से आई थी
सब पाप धुला कर आई थी.
मैँ पीछे छिपा था चुपचाप
जब पादरी को उस ने गिनाए पाप.
बेदाग़ है वह, है वह निष्पाप
सुकुमारी है, मन है साफ़.
उसे क्या करना था धुला कर पाप!
फ़ाउस्ट
कली खिल चुकी है, तैयार है फूल.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
छी! छी! यह है कैसी बकवास?
हर कली को मसलोगे! तोड़ोगे हर फूल!
यह होगी, हुज़ूर, आप की भूल.
फ़ाउस्ट
भाषण मत झाड़! मत कर धर्म का बखान!
असुरोँ के सरदार, सुन खोल कर कान –
जो न पहनाया कल संध्या के इस पार
इस रूपसि को मैँ ने बाँहोँ का हार
तो आज की ही रात टूट गया मेरा तेरा क़रार.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
समझिए तो सही आप बड़ा भारी है काम.
पूरे दो सप्ताह माँगता है यह पेचीदा काम.
फ़ाउस्ट
बित्ता सी छोकरी को राह पर लाना
सात घंटोँ मेँ आसान है कर दिखाना.
अपने बूते कर सकता हूँ यह काम,
इस मेँ क्या करेगा तू – शानची शैतान!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
बात तो कर रहे हो ऐसे
फ्राँसीसी नौजवान हो जैसे!
शबे वसाल से बेहतर है
शबे वसाल का इंतज़ार.
सब्र करो, ज़ब्र करो
इश्क़ मेँ काम सलीक़े से करो –
जैसे करते हैँ वे इटली के उपन्यासोँ के नायक!
नायिका को पटाओ – मनाओ – बनाओ अपने लायक़.
फ़ाउस्ट
भड़क चुकी है प्रेम की ज्वाला.
क्या करेगा तेरा गरम मसाला?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
मज़ाक़ छोड़िए, सरकार
यह नायिका है सुकुमार.
यूँ ही नहीँ होगी तैयार.
क़िला फ़तह करना है तो हमेँ करनी होगी, सरकार,
कोई और जुगत अख़्तियार…
फ़ाउस्ट
मुझे ला दे कोई उस का निशान.
करा दे मुझे सोई देवी का दर्शन.
ला दे उस के वक्ष से सटा रूमाल
या चरणोँ से लिपटा मोजा ही कोमल.
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
बंदा है ख़िदमत मेँ हाज़िर.
आज की शाम हो जाएगा काम –
आप को बस कुछ देर उस के घर
ले जाऊँगा मैँ आज की शाम.
फ़ाउस्ट
मिलेगी वह? मेरी बनेगी वह?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
नहीँ, नहीँ होगा यह सब.
वह जाएगी सहेली के पास
तब वहाँ पहुँचेँगे आप
उस की हवा मेँ लेँगे साँस
उस के सपने देखेँगे आप.
फ़ाउस्ट
तो चलेँ?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
अभी नहीँ. वक़्त पर बताऊँगा मैँ.
फ़ाउस्ट
ला दे ना कोई अच्छा सा उपहार!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
अभी से चाहिए उपहार!
वाह! नहीँ सोचा था, प्यारे,
इतनी जल्दी फँस जाओगे
और जाओगे हार!
चलो ढूढ़ेँ – जहाँ कहीँ गड़े हैँ क़ीमती आभूषण!
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