फ़ाउस्ट – एक त्रासदी
योहान वोल्फ़गांग फ़ौन गोएथे
काव्यानुवाद - © अरविंद कुमार
२४. रात
खुला मैदान.
काले जादूई घोड़ोँ पर सवार फ़ाउस्ट और मैफ़िस्टोफ़िलीज़ तेज़ी से गुज़रते हुए.
फ़ाउस्ट
वेदी का पत्थर! चुड़ैलोँ का चक्कर! क्या पक रहा है यहाँ पर?
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
क्या पता क्या पक रहा है. क्या बुन रही हैँ चुड़ैल?
फ़ाउस्ट
चढ़ो नीचे! उतरो ऊपर! झुको! करो कोरनिश, मारो सलाम!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
वह चुड़ैलोँ का टोला.
फ़ाउस्ट
ताना बाना! टोटका टोना!
मौत का मंतर, पूजा पत्तर!
मैफ़िस्टोफ़िलीज़
चलो, चलो!
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