अरविंद जी के जन्मदिन पर
निस्पृहता में जैन मुनि सम
शब्द भेद में अर्जुन
अपने चिंतन से पा रहे निरंतर
प्रथम पूज्य गणपति सा जगवंदन.
स्वयं नियत करें, स्वयं विजित करें
नई मंज़िल नई राहें
चकित-भ्रमित देखे दुनिया सब
जब अरविंद नए अरविंद खिला दें!
माया मोह न दर्प दिखावा
ना धन संचय की इच्छा
नहीं देखने तक को मिलता अब
इनसां इतना सच्चा!
जन्म दिवस पर ग्रहण कीजिए
आदर, श्रद्धा, भक्ति भरी अंजलि हमारी
हे अनुपम, हे अविरल
हे गुरुवर, हे शब्द सारथी.
–विनोद तिवारी
17 जनवरी 2013
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