clip_image002.jpg

अनुपम अविरल शब्द सारथी

In Culture, Hindi, Poetry by Arvind KumarLeave a Comment

 

clip_image002

अरविंद जी के जन्मदिन पर

 

 

निस्पृहता में जैन मुनि सम

शब्द भेद में अर्जुन

अपने चिंतन से पा रहे निरंतर

प्रथम पूज्य गणपति सा जगवंदन.

 

स्वयं नियत करें, स्वयं विजित करें

नई मंज़िल नई राहें

चकित-भ्रमित देखे दुनिया सब

जब अरविंद नए अरविंद खिला दें!

 

माया मोह न दर्प दिखावा

ना धन संचय की इच्छा

नहीं देखने तक को मिलता अब

इनसां इतना सच्चा!

 

जन्म दिवस पर ग्रहण कीजिए

आदर, श्रद्धा, भक्ति भरी अंजलि हमारी

हे अनुपम, हे अविरल

हे गुरुवर, हे शब्द सारथी. 

 

–विनोद तिवारी

17 जनवरी 2013

Comments