जूलियस सीज़र. अंक 3. दृश्य 3. एक जनमार्ग

In Culture, Drama, History, Poetry, Translation by Arvind KumarLeave a Comment

काटो! काटो! फाड़ो! लाओ ज्‍वाला. ज्‍वाला लाओ,

चलो. ब्रूटस को जला दो. कैसियस को फूँक दो.

सब को भून दो. जला दो.

रोम. एक जनमार्ग.

(कवि सिन्ना गाता आता है.)

कवि सिन्ना

रोती धरती, रोता बादल

रोता है कवि का मन पागल

धरती का नायक नहीँ रहा

जन गण है दुःख से पागल

 

सपने मेँ मुझ से बोला सीज़र

न्‍योता है, आ मेरे घर

घर से मैँ आया बाहर

लगता है पग पग पर डर

घर से नहीँ निकलना था आज,

जाने कौन खीँच लाया है मुझे?

(जन समूह आता है.)

पहला नगरजन

क्‍या नाम है तेरा?

दूसरा नगरजन

कहाँ जाता है?

तीसरा नगरजन

कहाँ रहता है?

चौथा नगरजन

गृहस्‍थ है या ब्रह्‍मचारी?

दूसरा नगरजन

बोल. जवाब दे तत्‍काल.

पहला नगरजन

जल्‍दी और छोटा.

चौथा नगरजन

सोच कर, समझ कर.

तीसरा नगरजन

सच, केवल सच.

कवि सिन्ना

क्‍या नाम है मेरा? कहाँ जाता हूँ? कहाँ रहता हूँ? गृहस्‍थ हूँ या ब्रह्‍मचारी? हर प्रश्‍न का उत्तर तत्‍काल. जल्‍दी और छोटा. सोच कर, समझ कर. सच केवल सच. सोच समझ कर कहता हूँ. मैँ ब्रह्‍मचारी हूँ.

दूसरा नगरजन

तेरा मतलब है जो गृहस्‍थ हैँ वे सोचते समझते नहीँ? ले, इसी बात पर यह टोला. (सिर पर टोला मारता है.) आगे बोल. सीधे.

कवि सिन्ना

सीधे? मैँ जा रहा हूँ सीज़र के संस्‍कार मेँ.

चौथा नगरजन

मित्र है या शत्रु?

कवि सिन्ना

मित्र.

दूसरा नगरजन

यह हुआ सीधा उत्तर.

चौथा नगरजन

कहाँ रहता है?

कवि सिन्ना

दुर्ग प्राचीर के पास.

तीसरा नगरजन

सच सच बता. क्‍या नाम है तेरा?

कवि सिन्ना

सच. मेरा नाम है सिन्ना.

पहला नगरजन

फाड़ डालो, चीर डालो. ग़द्दार है यह.

कवि सिन्ना

मैँ सिन्ना कवि हूँ. मैँ सिन्ना कवि हूँ.

चौथा नगरजन

घटिया कविता करता है यह फाड़ डालो रद्दी कविता के जैसा.

कवि सिन्ना

भाइयो, मैँ ग़द्दार सिन्ना नहीँ हूँ, मैँ सिन्ना कवि हूँ.

पहला नगरजन

कोई बात नहीँ. इस का नाम तो सिन्ना है. खीँच डालो इस का नाम इस की काया से. फिर पठा दो यमलोक.

तीसरा नगरजन

काटो! काटो! फाड़ो! लाओ ज्‍वाला. ज्‍वाला लाओ, चलो. ब्रूटस को जला दो. कैसियस को फूँक दो. सब को भून दो. जला दो. कुछ चलो डीसियस के घर! कुछ कास्‍का के घर, कुछ लिगारियस के यहाँ.

(जाते हैँ.)

Comments