जूलियस सीज़र. अंक 3. दृश्य 2. रोम जनमंच

In Culture, Drama, History, Poetry, Translation by Arvind KumarLeave a Comment

ठेस लगती थी किसी निर्धन को, तो रोता था सीज़र.

सत्ता का लालची क्‍या होता है कोमल?

ब्रूटस कहते हैँ सीज़र लालची था सत्ता का.

ब्रूटस ठहरे परम आदरणीय…!

जनमंच.

(ब्रूटस और कैसियस आते हैँ. उन के पीछे नगरजनोँ की भीड़.)

सब नगरजन

हम जवाब चाहते हैँ. जवाब दो. जवाब दो.

ब्रूटस

तो आओ मेरे साथ… मित्रो, सुनो

मेरी बात… कैसियस, इन मेँ से

कुछ को आप ले जाएँ उस गली मेँ.

जो सुनना चाहेँ मुझे, वे यहाँ

रहेँ. आप मेँ से कुछ चले जाएँ

कैसियस के साथ. हम बतलाएँगे आप

को – क्योँ मरा हमारा सीज़र.

पहला नगरजन

मैँ ब्रूटस को सुनूँगा.

दूसरा नगरजन

मैँ कैसियस को सुनूँगा. देखेँ दोनोँ क्‍या कहते हैँ.

(कुछ नगरजनोँ के साथ कैसियस चला जाता है.)

(ब्रूटस मंच पर जाता है.)

तीसरा नगरजन

ब्रूटस मंच पर पहुँच गए हैँ. शांत, सब शांत!

ब्रूटस

धैर्य से सुनिए मेरी पूरी बात.

रोमनो, देशवासियो, मेरे चाहने वालो!

सुनिए. मैँ बताता हूँ आप को सारी बात. शांत रहिए. तभी सुन सकेँगे आप मेरी बात. विश्वास कीजिए मेरा, मेरी मर्यादा का. भरोसा रखिए मुझ पर, मेरी साख पर, मेरे मानसम्‍मान पर. आप को

तभी विश्वास होगा मेरी बात पर. अपने विवेक से परखिए मुझे. जगाइए अपनी बुद्धि को. सोचिए, समझिए. फिर कीजिए फ़ैसला.

है कोई इस सभा मेँ सीज़र को चाहने वाला, उस का हितैषी? मैँ कहूँगा उस सेमैँ, ब्रूटस, किसी से कम नहीँ चाहता था सीज़र को. उस मित्र को अधिकार है, पूरा अधिकार है कि मुझ से पूछे : ‘ब्रूटस, तू क्योँ उठा सीज़र के ख़िलाफ़.तो यह है मेरी उत्तर : मुझे सीज़र से प्रेम कम न था. लेकिन रोम को अधिक चाहता था मैँ. बोलिए, क्‍या चाहते आप? क्‍या आप चाहते कि सीज़र जीवित रहे और हम सब उस के दास बन कर मर जाएँ? या आप चाहते कि सीज़र मर जाए और हम सब आज़ादी के साथ सिर उठा कर जिएँ?

सीज़र मुझे चाहता था. इस के लिए मेरी आँखोँ मेँ आँसू हैँ. भाग्‍य सीज़र के साथ था. इस का हर्ष है मुझे. सीज़र वीर था. इस के लिए आदर से नतमस्‍तक हूँ मैँ. सीज़र सत्ता का लालची था. इस के लिए मैँ ने उसे मार डाला. आँसू हैँ उस के प्रेम के लिए. हर्ष है उस के सौभाग्‍य के लिए. आदर है उस की वीरता है लिए. और मौत है उस के लालच के लिए.

है कोई इतना दीन, इतनी हीन, जो दास बन कर जीना चाहता हो? कोई है, तो बोले. मैँ उस का अपराधी हूँ. है कोई इतना फूहड़, इतना अनाड़ी, जिसे अपनी आज़ादी से प्‍यार न हो? कोई है, तो बोले. मैँ उस का अपराधी हूँ. है कोई इतना नीच, इतना कमीन जिसे देश से प्‍यार न हो? कोई है, तो बोले. मैँ उस का अपराधी हूँ. मैँ आप को पूरा अवसर देता हूँ. कोई है, तो उठे, यहाँ आए और बोले

सब नगरजन

नहीँ है, कोई नहीँ है.

ब्रूटस

तब मैँ ने कोई अपराध नहीँ किया. मैँ ने वही किया सीज़र के साथ, जो आप मेरे साथ कर सकते हैँ. सीज़र की मौत के कारण संसद की कार्रवाई मेँ लिख दिए हैँ हम ने. उस के जो गुण थे, वे भी लिख दिए हैँ. उस की शान को, उस की आनबान को कम कर के नहीँ बताया है हम ने. उस का वह पूरा अधिकारी था. कहीँ उस के अपराधोँ को बढ़ा चढ़ा कर नहीँ बताया है हम ने. उन का फल भोग चुका है वह.

(एंटनी और साथी सीज़र का शव लाते हैँ.)

लीजिए. यह आ गया सीज़र का शव. सीज़र की मौत पर शोक प्रकट करेँगे एंटनी. सीज़र की मौत मेँ ये हमारे साथ नहीँ थे. पर हम ने तय किया हैसीज़र की मौत का लाभ इन्हेँ भी मिलेगा. नए शासन मेँ इन्हेँ भी सम्‍मान मिलेगा, पूरा सम्‍मान मिलेगा, ऐसा सम्‍मान जिस से आप सब को ईष्‍र्या हो सकती है अब मैँ आप से आज्ञा लेता हूँ. मैँ ने मार डाला अपना मनमीत सीज़ररोम के लिए, आप के लिए. रोम के लिए, अपने लिए, यही तलवार आप मेरे सीने मेँ उतार सकते हैँ.

सब नगरजन

मार्क ब्रूटस अमर रहेँ!

अमर रहेँ! अमर रहेँ!

पहला नगरजन

चलो, ब्रूटस की सवारी निकालेँ.

दूसरा नगरजन

चलो, मूर्ति लगाएँ ब्रूटस की.

तीसरा नगरजन

ब्रूटस को सीज़र बना देँ.

चौथा नगरजन

सीज़र के सभी सद्गुण विराजे हैँ ब्रूटस मेँ.

पहला नगरजन

चलो. नारे लगाएँ. घर तक

मार्क ब्रूटस की सवारी निकालेँ.

ब्रूटस

मेरे देशवासियो…

दूसरा नगरजन

शांत. सब शांत. ब्रूटस बोल रहे हैँ…

पहला नगरजन

शांति! शांति!

ब्रूटस

देशवासियो, अकेला ही जाने देँ

मुझे. मेरी बात मानिए. अभी

यहीँ ठहरेँ सब लोग एंटनी के

साथ. श्रद्धा सुमन अर्पित करेँ आप

जूलियस सीज़र को. सुनेँ सीज़र का

गुणगान. हम ने अनुमति दी है

एंटनी को. आप से निवेदन है…

कोई न हिले उस के भाषण

मेँ. हाँ, आप मुझे चला जाने देँ.

(जाता है.)

पहला नगरजन

ठहरो, सुनो, एंटनी का भाषण.

तीसरा नगरजन

जनमंच पर जाने दो उसे. हम सब

सुनेँगे, उस की बात… एंटनी, मंच

पर जाओ.

दूसरा नगरजन

शांति! शांति! एंटनी को सुनो.

एंटनी

श्री ब्रूटस की कृपा से आभारी

हूँ मैँ आप का.

चौथा नगरजन

ब्रूटस का क्‍या है?

तीसरा नगरजन

कह रहा है – ब्रूटस की कृपा

से आभारी है हम सब का.

चौथा नगरजन

ठीक! ब्रूटस की निंदा न करे वह.

पहला नगरजन

अत्‍याचारी था सीज़र.

तीसरा नगरजन

बिल्‍कुल. चलो, जान छूटी उस से.

एंटनी

रोम के भले लोगो…

सब नगरजन

शांत! सुनो, शांत!

एंटनी

दोस्‍तो! रोमनो! देशवासियो!

सुनो मेरी बात… नहीँ करना है

मुझे सीज़र का गुणगान. मैँ आया हूँ

सीज़र को दफ़नाने. सभी सद्गुण

दफ़ना दिए जाते हैँ आदमी के

साथ. अवगुण रह जाते हैँ उस के बाद.

हाँ, यही सीज़र के साथ होने दो.

ब्रूटस महान का कहना है आप से –

सत्ता का लालची था सीज़र. था, तो

यह बड़ी भयानक भूल थी उस की.

बड़ा भयानक फल भुगता है भूल

का उस ने. ब्रूटस महान की कृपा

से, उन के साथियोँ की कृपा से,

मैँ आया हूँ सीज़र के संस्‍कार मेँ

बोलने. वह मेरा मित्र था.

कसौटी का सच्‍चा था. न्‍यायवान था.

ब्रूटस का कहना है – वह सत्ता का

लालची था. ब्रूटस ठहरे आदरणीय.

विजय यात्राओँ मेँ बार बार लाता

था सीज़र बंदीजन. मिलता था उन

की फिरौती से बेशुमार धन. उस

से भर जाता था हमारा गणकोश.

यही था उस का सत्ता का लालच?

ठेस लगती थी किसी निर्धन को, तो

रोता था सीज़र. सत्ता का लालची

क्‍या होता है कोमल? और ब्रूटस? वे

कहते हैँ सीज़र लालची था सत्ता

का. ब्रूटस ठहरे परम आदरणीय.

आप सब ने देखा अपनी आँखोँ –

लूपरकल उत्‍सव मेँ तीन बार दिया था

मैँ ने मुकुट. ठुकरा दिया तीनोँ

बार सीज़र ने. क्‍या यही था उस का

सत्ता का लालच? इस पर भी ब्रूटस

कहते हैँ सीज़र सत्ता का लालची

था. हाँ, हाँ. ब्रूटस ठहरे आदरणीय,

परम आदरणीय! ब्रूटस की बात

नहीँ काट रहा हूँ मैँ. वही कह

रहा हूँ मैँ, जो जानता हूँ मैँ. एक

समय था सीज़र को दिल से चाहते

थे आप. निराधार नहीँ था आप का

प्रेम. फिर उस का शोक मनाने से क्योँ

कतराते हैँ आप? नष्‍ट हो गया

है विवेक. खो गई है लाज शरम.

क्षमा करना, मित्रो, रुँध गया है

मेरा गला. भटक गया है मन

सीज़र के शव मेँ. पलट आने देँ

उसे…

पहला नगरजन

 इस की बातोँ मेँ दम है…

दूसरा नगरजन

पर

पूरी तरह सोचो विचारो, तो

सीज़र मेँ बड़े खोट थे…

तीसरा नगरजन

क्‍या खोट थे,

भला? उस की जगह जो बैठेगा

वह होगा क्‍या दूध का धुला?

चौथा नगरजन

सुना

कुछ? सीज़र ने तीन बार ठुकरा दिया

था मुकुट. यह सच है, तो सत्ता का

लालची तो नहीँ था सीज़र.

पहला नगरजन

                                यह सच

है तो किसी न किसी को भोगना

पड़ेगा करतूत का फल…

दूसरा नगरजन

देखो तो –

कैसे रो रहा है! देखो उस की

आँखेँ अंगारे सी लाल.

तीसरा नगरजन

हाँ, एंटनी है रोमन

गणराज्‍य मेँ सब से महान.

चौथा नगरजन

सुनो,

अब फिर से बोल रहा है एंटनी.

एंटनी

अभी कल तक सीज़र की वाणी से

थर थर काँपती थी धरती. आज धरती

पर मौन पड़ा है सीज़र. नहीँ है

एक भी रोने वाला… आप स्‍वामी हैँ.

आप को मैँ भड़काऊँ, तो शामत आ

जाएगी ब्रूटस की, कैसियस की.

भाड़ मेँ जाए सीज़र, मैँ, आप सब रोमन!

न आने पाए ब्रूटस पर,

कैसियस पर आँच! ये दोनोँ

ठहरे परम आदरणीय!

यह देखते हैँ आप? यह अभिलेख! इस पर

मुहर लगी है सीज़र की. मुझे

यह मिला था सीज़र के भवन मेँ.

यह है – उस की वसीयत. आप क्षमा

करेँ – यह पढ़नी नहीँ है मुझे.

यह सुन ली आप ने तो चूम लेँगे आप

सीज़र का एक एक घाव. पावन है उस का

लहू. इस लहू मेँ डूबो लेँगे आप

रूमाल. माँगेँगे सीज़र के शीश का

एक, बस, एक बाल – पीढ़ी दर पीढ़ी

सौपने को अनमोल सौग़ात –

सीज़र की याद!

चौथा नगरजन

सुनेँगे हम. वसीयत पढ़ो.

सब

वसीयत! वसीयत! सीज़र की वसीयत.

एंटनी

भले मानसो, मत पढ़वाओ मुझ

से वसीयत. अच्‍छा नहीँ होगा

यह बताना – सीज़र को आप से प्रेम

था कितना. आप नहीँ है काठ या

पत्‍थर. मानव हैँ आप! मानव हैँ आप!

सुन कर सीज़र की वसीयत, भड़क

जाएँगे आप. पगला जाएँगे आप.

भला इसी मेँ है कि न जानेँ आप –

सीज़र के वारिस हैँ आप. चल गया

जो पता – जाने कैसी प्रलय हो!

चौथा नगरजन

वसीयत! हम सुनेँगे वसीयत!

पढ़ो सीज़र की वसयीत!

एंटनी

रहने दो, मित्रो. विवश मत करो

मुझे. क्योँ कर बैठा मैँ वसीयत

की चर्चा? अपराधी हूँ मैँ उन का

जो हैँ आदरणीय, सीज़र के हत्‍यारे!

चौथा नगरजन

ग़द्दार कहीँ के! परम आदरणीय!

सब नगरजन

वसीयत! वसीयत! वसीयत!

दूसरा नगरजन

मक्‍कार है वे! ख़ूनी हैँ! हत्‍यारे!

वसीयत पढ़ो. वसीयत पढ़ो.

एंटनी

नहीँ मानेँगे आप? तो आइए

पहले हम सब दर्शन कर लेँ

दानवीर सीज़र के. उतर आऊँ मैँ?

आने देँगे आप मुझे?

सब नगरजन

आइए.

दूसरा नगरजन

उतरिए.

(मंच से उतरता है.)

तीसरा नगरजन

आइए… आइए…

चौथा नगरजन

घेरा बना लो. घेरा बना लो.

पहला नगरजन

ताबूत से दूर रहो. सीज़र से दूर.

दूसरा नगरजन

रास्‍ता दो. एंटनी को रास्‍ता दो.

महान है एंटनी. महान है महान!

एंटनी

ना! ना! यू मत धकेलिए मुझे.

थोड़ा पीछे हट कर खड़े होँ आप.

सब नगरजन

पीछे हटो. पीछे! पीछे! पीछे!

एंटनी

नैनोँ मेँ आँसूँ होँ, तो बहने देँ आप.

आप पहचानते हैँ यह परिधान?

मुझे याद है, सीज़र ने यह पहना था.

पहली बार नौर्वे मेँ. सुहानी

शाम थी. उस दिन जीता था नौर्वे.

देखिए – यहाँ घुपी थी कैसियस

की तलवार. और यह निशान है द्रोही

कास्‍का के वार का. और देखिए यहाँ,

हाँ, यहाँ घुपी थी तलवार मनमीत

ब्रूटस की. तलवार बाहर खीँची

ब्रूटस ने, तो कैसे बह निकली

सीज़र के लहू की धार! मानोँ

दौड़ पड़ी हो बाहर यह देखने कि

यह वार क्‍या सचमुच मनमीत ब्रूटस ने

किया है. जानते हैँ आप – ब्रूटस था

सीज़र का प्‍यारा. देवताओ, साक्षी

हो तुम! कितना प्‍यारा था सीज़र को

ब्रूटस. यही था सब से तीखा,

सब से गहरा वार! सीज़र महान ने

जब देखा यह वार – ऐसे अनेकोँ

विद्रोह झेल सकता था सीज़र. उसे

मारा एक दोस्‍त की ग़द्दारी ने –

तो देख कर यह वार फट पड़ा सीज़र

का कलेजा. ढाँप लिया सीज़र ने

चेहरा. पोंपेई की प्रतिमा के

नीचे बह रहा था लहू. गिर

पड़ा सीज़र वीर. सुनो, मेरे देश

के लोगो, सुनो, यह पतन सीज़र

का नहीँ था. यह पतन मेरा था,

आप का था. हम सब पर पंजे फैला

रहा था ख़ूनी विश्वासघात. आप रो

रहे हैँ. अनमोल हैँ आप के नैनोँ

के मोती. अभी तक तो आप ने देखा

है सीज़र का परिधान. देखिए…

यह रहा स्‍वयं सीज़र – क्षत विक्षत,

ग़द्दारोँ की तलवारोँ का शिकार.

पहला नगरजन

हाय! यह हालत!

दूसरा नगरजन

सीज़र महान!

तीसरा नगरजन

हमेँ देखना था यह दिन.

चौथा नगरजन

हाय! ग़द्दार! निर्दयी हत्‍यारे!

पहला नगरजन

यह ख़ून! यह ख़ूनी परिधान!

दूसरा नगरजन

बदला! बदला!

सब नगरजन

बदला! बदला! चलो! ढूँढ़ो! जला

दो! मारो! काटो! एक एक ग़द्दार को

ढूंढ़ो, मारो. काटो.

एंटनी

देश प्रेमियो, ठहरो. रुको. सुनो.

पहला नगरजन

शांति. शांति. सुनो, सब एंटनी

महान को सुनो.

दूसरा नगरजन

हाँ, सुनेँगे हम,

एंटनी का कहा करेँगे हम.

एंटनी कहे तो मर मिटेँगे हम.

एंटनी

भले दोस्‍तो, आप को भड़काना नहीँ

है मुझे. जिन की यह करतूत है, वे

हैँ आदरणीय. उन्होँ ने सीज़र का

क्योँ मारा… मैँ तो अभी तक नहीँ

समझा. समझदार हैँ वे, आदरणीय

हैँ वे. बतलाएँगे वे आप को – क्योँ

मारा उन्होँ ने आप के सीज़र को!

दोस्‍तो, मैँ आप को भड़काने नहीँ

आया. भाषा के धनी ब्रूटस जैसा

मुझे नहीँ आता भाषण झाड़ना.

आप जानते हैँ मुझे – सीधा सादा

मुँहफट इनसान, यारोँ का यार. जानते

हैँ वे भी, जिन्होँ ने मुझे बोलने

को कहा है. वे ख़ूब जानते हैँ… न

कोई मूल्‍य है मेरा. न कर्म

है, न वाणी है. न शक्ति है मुझ

मेँ लोगोँ की लहू खौलाने की.

बस, बिना सोचे समझे कहे जा

रहा हूँ. अरे, यह सब तो स्‍वयं

जानते हैँ आप. दिखा रहा हूँ आप

को सीज़र के घाव. घाव ख़ामोश हैँ! काश,

बोल सकते घाव और कह देते वह सब

जो कहना चाहिए था मुझे. काश,

मैँ होता ब्रूटस और ब्रूटस होता

एंटनी, तो वह एंटनी झकझोर डालता

आप की अंतर्तम चेतना को. सीज़र

के एक एक घाव को देता वह ऐसी

ओजस्‍वी वाणी जो रोम की एक एक

ईँट को बना देती विद्रोह का

धधकता भड़कता अंगारा.

सब नगरजन

विद्राह! विद्रोह! क्रांति! क्रांति!

पहला नगरजन

जला दो, ब्रूटस की हवेली.

तीसरा नगरजन

चलो, ग़द्दारो को ढूँढो. चलो!

एंटनी

ठहरो. सुनो. मेरी बात सुनो.

सब

शांत, सब शांत. सुनो, एंटनी

की बात. सुनो, जी, एंटनी की बात.

एंटनी

क्योँ, कहाँ, क्‍या करने चल पड़े आप?

मात्र नायक नहीँ था सीज़र, जन

गण मन का अधिनायक था सीज़र.

पर क्योँ? नहीँ जानते हैँ आप. क्‍या

भूल गए आप सीज़र की वसीयत?

सब नगरजन

अरे, हाँ! वसीयत! हम सुनेँगे.

एंटनी

यह रही वसीयत! अंकित है इस

पर महानायक सीज़र की मुद्रा.

रोम के हर नागरिक को, आप मेँ से

हर एक को, उस ने दी हैँ पचहत्तर

स्‍वर्ण मुद्राएँ…

दूसरा नगरजन

महान था सीज़र.

बदला! बदला!

तीसरा

हाँ, राजा था सीज़र.

एंटनी

आप धैर्य से सुनिए पूरी बात.

सब नगरजन

शांति! शांति!

एंटनी

केवल यही नहीँ, उस ने दिए

हैँ अपने सारे उपवन उद्यान जो

टाइबर नदी के इस तट पर हैँ. अब

ये सब आप के हैँ, आप के बालगोपाल

के हैँ. इन मेँ सैर कीजिए और मौज

मनाइए. यह था आप का हृदय

सम्राट सीज़र! जाने फिर कब मिले

ऐसा सम्राट!

पहला नगरजन

कभी नहीँ, कभी

नहीँ. चलो, धर्मस्‍थान चलो. सीज़र

का दाह संस्‍कार करो. उस क ी चिता

की लकड़ियोँ से जला दो इन सब

ग़द्दारोँ के घरबार. चलो, कंधा दो.

दूसरा नगरजन

चिंगारी ले आओ.

तीसरा नगरजन

कठहरे

बाड़े – सब तोड़ डालो.

चौथा नगरजन

उखाड़ डालो.

उन के मकानोँ के द्वार गवाक्ष.

(शव को ले कर नगरजन जाते हैँ.)

एंटनी

अब होने दो जो होगा. भड़की है

ज्‍वाला. लपकने दो, जहाँ भी ले

जाए समय का झोंका… कौन? क्‍या है?

(एक सेवक आता है.)

सेवक

श्रीमान, आक्‍टेवियस आ चुके हैँ.

एंटनी

कहाँ हैँ वे?

सेवक

वे और श्रीमान लेपीडस

अब नायक सीज़र के भवन मेँ हैँ.

एंटनी

मैँ भी वहीँ चलता हूँ. सही समय

पर आए हैँ वे.. भाग्‍य है

प्रसन्न. भर देगा हमारी झोली.

सेवक

आप ने सुना क्‍या? रोम से ताबड़ तोड़

भाग गए हैँ ब्रूटस और कैसियस.

एंटनी

सुन लिया होगा उन्होँ ने – जगा

दिया है मैँ ने जन मानस. चलो,

ले चलो आक्‍टेवियस के पास…

(जाते हैँ.)

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