कहना है – सावधान रहेँ मित्रोँ से.
उसी मार्ग का एक अन्य भाग, ब्रूटस के घर के बाहर.
(पोर्शिया और लूसियस आते हैँ.)
पोर्शिया
दास, जा. संसद भवन तक हो आ.
जा, जल्दी जा. गया क्योँ नहीँ अभी तक?
लूसियस
पूछना है – क्या करना होगा, देवी?
पोर्शिया
मेरा मुँह मत ताक. दौड़ कर जा, फुर्र से आ.
(स्वगत) धीरज, मेरा साथ मत छोड़. मेरे मन
और जीभ के बीच खड़ा कर दे पहाड़.
मन तो मेरा पुरुषोँ सरीखा है,
पर मनोबल? नारी सरीखा! कितना
कठिन है औरतोँ को पेट की बात
पेट मेँ पचाना. (लूसियस से) अरे, अभी
तक तू गया नहीँ!
लूसियस
बस इतना आदेश है? दौड़ कर
जाना और आना? करना कुछ नहीँ?
पोर्शिया
लौट कर बता – स्वामी ठीक हैँ? गए
थे तो कुछ ढीले से थे… हाँ! यह भी
ध्यान से देखना – सीज़र क्या कर रहे
हैँ? कौन कौन प्रार्थी हैँ उन के पास जा.
यह शोर… कैसा?
लूसियस
कहाँ?
पोर्शिया
यह भनभनाहट सी
दूर, दुर्ग की ओर.
लूसियस
देवी, कुछ भी नहीँ.
(त्रिकालज्ञ आता है.)
पोर्शिया
कहाँ से आ रहे हैँ आप?
त्रिकालज्ञ
घर से.
पोर्शिया
क्या बजा है?
त्रिकालज्ञ
लगभग नौ.
पोर्शिया
सीज़र संसद गए क्या?
त्रिकालज्ञ
नहीँ तो. उन्हेँ देखने निकला हूँ.
पोर्शिया
कोई आवेदन देना है उन्हेँ क्या?
त्रिकालज्ञ
कहना है – सावधान रहेँ मित्रोँ से.
पोर्शिया
क्योँ? कुछ होने वाला है सीज़र को?
त्रिकालज्ञ
डर है – कुछ हो कर रहेगा. अच्छा!
नमस्कार. चलूँ. यहाँ गली तंग
है. सीज़र के साथ चलती है बड़ी
भीड़ – सांसद, प्रार्थी, छोटे बड़े लोग,
आवेदक. भीड़ मेँ भुरकुस बन जाएगी
यह काया. खुला मार्ग तलाशूँगा.
मुझे सीज़र से कहना है :
‘सावधान! सीज़र, सावधान!’
(त्रिकालज्ञ जाता है.)
पोर्शिया
चलूँ. मैँ भी भीतर चलूँ. कितना
कच्चा होता है, नारी, तेरा मन!
प्रिय ब्रूटस, आप का कारज सफल हो!
(स्वगत) कहीँ लूसियस ने सुन तो नहीँ ली
मेरी मंगल कामना? (लूसियस से) तेरे स्वामी
को करनी है सीज़र से कुछ याचना.
क्या पता सीज़र स्वीकार करेँगे
या नहीँ? (स्वगत) शिथिल हो रहे हैँ गात.
(लूसियस से) लूसियस, जा! जा! दौड़ कर
जा. जा, स्वामी को बता – ठीक हूँ मैँ.
(दोनोँ अलग अलग दिशा मेँ जाते हैँ.)
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