अभी देखने हैँ तेरे पैँतरे.
तेरा भाषण!
मधुवन से भी चुरा लेता है मिठास.
फ़िलीपी का मैदान.
(आक्टेवियस, एंटनी और उन की सेनाएँ आती हैँ.)
आक्टेवियस
मन की सभी मुरादेँ मिल गईँ
हमेँ. एंटनी, तुम्हारा विचार
था, शत्रु नीचे नहीँ उतरेगा.
रहेगा ऊपर पर्वत पर.
नहीँ हुआ वैसा. उतर आया.
ललकारा तक नहीँ हम ने, लड़ने
चला आया हम से फ़िलीपी मेँ.
एंटनी
जानता हूँ मैँ – क्या है उन के मन मेँ.
चाहते हैँ वे हम से दूर रहना, पर
करने चले आए हैँ साहस का
दिखावा. बस यूँ ही – हमेँ डराने.
(संदेशवाहक आता है.)
संदेशवाहक
सेनापतियो, तैयार! चला आ रहा
है शत्रु दनदनाता. युद्ध की
रक्तिम ध्वजा फहरा दी उस ने. कुछ
करना होगा तत्काल.
एंटनी
आक्टेवियस, तुम सँभालो बायाँ
समतल मैदान.
आक्टेवियस
नहीँ, मैँ रहूँगा दाहिनी ओर.
वाम पक्ष सँभालेँ आप.
एंटनी
संकट की इस
घड़ी मेँ काटते हो बात?
आक्टेवियस
बात नहीँ
काटता हूँ. पर जो कहा है – होगा
वही.
(प्रयाण की धुन.)
(नगाड़ा. ब्रूटस, कैसियस और सेनाएँ आती हैँ. साथ मेँ हैँ लूसीलियस, टिटीनियस, मेसाला तथा अन्य.)
ब्रूटस
वे खड़े हैँ. करना चाहते हैँ बात.
कैसियस
रुक जा! सावधान! टिटीनियस, कर आएँ
हम बात.
आक्टेवियस
मार्क एंटनी, युद्ध संकेत
कर देँ हम?
एंटनी
नहीँ, सीज़र, करने दो
उन्हेँ आघात. हम देँगे उत्तर. पर
पहले वे करना चाहते हैँ कुछ बात.
आक्टेवियस
संकेत से पहले न करे कोई आघात.
ब्रूटस
आघात से पहले संभाषण. क्योँ?
आक्टेवियस
भाषण का मोह तो तुम्हेँ है, हमेँ
नहीँ.
ब्रूटस
बुरे वार से तो अच्छा है
अच्छा भाषण.
एंटनी
बुरे वार मेँ, ब्रूटस,
तुम करते हो अच्छा भाषण.
घोँप रहे थे तलवार जब सीज़र के
सीने मेँ, कह रहे थे : ‘सीज़र की
जय हो!’
ब्रूटस
एंटनी, अभी देखने हैँ
तेरे पैँतरे. लेकिन, तेरा भाषण!
मधुवन से भी चुरा लेता है मिठास.
एंटनी
साथ मेँ डंक भी.
ब्रूटस
और भनभनाहट भी.
डंक मारने से पहले क्या ख़ूब
भनभनाता है तू.
एंटनी
पापी, ग़द्दार!
नहीँ भनभाया तू, सीज़र के
सीने मेँ जब तू ने घोँपी तलवार?
बंदरोँ की तरह निपोर रहा
था खीसेँ, कुत्तों की तरह हिला
रहा था दुम, और दासोँ की तरह
चूम रहा था चरण… अधम कास्का!
गीदड़ की संतान! छिप कर पीठ पर उस
ने किया था वार! चापलूस कहीँ के!
कैसियस
चापलूस! देखा, ब्रूटस! क्योँ आप ने
नहीँ मानी मेरी बात? क्योँ बच
रहा यह दुष्ट कहने को यह बात!
आक्टेवियस
करो सिद्धांत की बात. तर्क से जो
बहने लगे पसीने की धार, तो –
लो तलवार, बहने दो लहू की धार.
ग़द्दारो, लो खीँच ली मैँ ने तलवार.
सीज़र के शरीर मेँ किए थे तुम
ने तैँतीस घाव. हर घाव का बदला
ले कर बुझेगी इस की प्यास… या जब जान
ले लोगे मेरी – तुम, पापी, ग़द्दार!
ब्रूटस
ग़द्दार? वे होँगे तेरे शिविर मेँ.
मारेँगे वही तुझे.
आक्टेवियस
हाँ, हाँ. नहीँ
मार सकती है मुझे तेरी तलवार.
ब्रूटस
बड़े से बड़ोँ को नहीँ मिलती
इस से अच्छी मौत.
कैसियस
छोकरा कहीँ का!
चला आया लड़ने. साथ ले आया
कलंदर, भांड.
एंटनी
नहीँ गई अब तक
कैसियस की कसयाहट.
आक्टेवियस
मार्क एंटनी,
चलो. छोड़ो… ग़द्दारो, ललकारते
है तुम्हेँ हम. साहस है तो आओ
मैदान मेँ. या जब फिर कभी हिम्मत
हो, तो चले आना जौहर देखने.
(आक्टेवियस, एंटनी और उन की सेनाएँ जाते हैँ.)
कैसियस
लो, अब चल पड़ी आँधी
प्रलय का घोर घन गर्जन
लगा है दाँव पर सब कुछ
लहर पर झूलता जीवन
ब्रूटस
लूसीलियस, सुन तो.
लूसीलियस
(आगे बढ़ता है) स्वामी?
(ब्रूटस और लूसीलियस अलग हट कर बात करते हैँ.)
कैसियस
मेसाला.
मेसाला
(आगे बढ़ता है) क्या आदेश है, सेनापति?
कैसियस
मेसाला, आज मेरा जन्मदिन है.
कैसियस ने आज ही के दिन प्रथम
संसार देखा. हाथ दो, नरवीर, अपना.
तुम देखते हो, पोंपेई सरीखा
ही विवश मैँ. हैँ दाँव पर अधिकार
सारे, स्वाधीनता हम रोमनोँ की. एक
ही मुठभेड़ मेँ हो खेल पूरा – क्या
सही है यह तरीक़ा? और तुम यह
जानते हो – अंधविश्वासी नहीँ मैँ.
होँ शकुन – अच्छे बुरे, माने नहीँ
मैँ ने. पर, न जाने क्योँ, आज सारे
विपरीत लक्षण दिख रहे हैँ, और उन
मेँ हो रहा विश्वास मुझ को.
थे सौभाग्य के सूचक गरुड़ दो.
मार्ग मेँ ध्वजदंड पर वे आ
विराजे. थे शौक़ से स्वीकार करते
बलिभोग सारे, जो उन्हेँ सैनिक
खिलाते. साथ चलते आ रहे थे.
पर न जाने क्योँ, कहाँ, कब छोड़ वे
हम को सिधारे. और अब आकाश मेँ
मँडरा रहे हैँ चील कौवे, नोँचने
को तन हमारे. छा रही है मौत
की विकराल छाया.
मेसाला
हैँ सभी विश्वास
ये मिथ्या.
कैसियस
सत्य इन को मानता मैँ
भी नहीँ हूँ. और मुझ मेँ पूर्ण है
संग्राम का उत्साह. संकटोँ से जूझने
तत्पर खड़ा हूँ.
ब्रूटस
तो, लूसीलियस, ठीक
है यह…
कैसियस
मार्क ब्रूटस, हमारे
देश के नेता… हैँ हमारे साथ सारे
देव. मित्र, साथ थे सुखशांति मेँ हम,
साथ भोगेँगे विजय भी. पर सभी
परिणाम रण के हैँ अनिश्चित.
हार का मुँह देखना हम को पड़े,
तो यह मिलन अंतिम मिलन होगा
हमारा. क्या करेँगे आप ऐसी
आपदा मेँ?
ब्रूटस
नहीँ जानता कैसे कैटो ने
मौत वरी थी. मुझ को वह साहसहीन
लगी थी. कुत्सित थी वह मौत. भयभीत
पलायन थी वह मौत. जो पड़ेँगी
आपदाएँ – मैँ सहूँगा. और जब तक साँस
है, भाग्य से लड़ता रहूँगा.
कैसियस
मान
लो – हम हार जाएँ, वे आप को बंदी
बना लेँ, शृंखला से हाथ बाँधेँ, पैर
बाँधेँ, भाल पर कालिख लगाएँ और
फिर पूरे नगर मेँ वे निकालेँ…
ब्रूटस
नही, कैसियस! नहीँ! नहीँ!
ऐसी बात मत बोलो! नहीँ! मैँ
रोम मेँ यूँ चल नहीँ सकता. सोचो,
यही सोचो – हमेँ अब मार्च की
उस क्रांति को संपूर्ण करना है.
पर अब मिलन कब हो हमारा – कौन
जाने? तो, मित्रवर, मिल लो गले.
विदा, अलविदा. दोस्तो, अलविदा.
फिर मिले तो फिर हँसेँगे. मिल ना
पाए तो – यह विदा सुंदर विदा है.
कैसियस
विदा, अलविदा. दोस्तो, अलविदा.
फिर मिले तो फिर हँसेँगे. मिल ना
पाए तो – यह विदा सुंदर विदा है.
ब्रूटस
तो, चलो, आगे बढ़ो. नरवीर, तुम
सेना सँभालो… अंत अपने हर
किए का, काश, मानव देख पाता. हर्ष
की, पर, बात यह है – आज संध्या पूर्व
ही हम देख लेँगे अंत अपना…
(सब जाते हैँ.)
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