जूलियस सीज़र. अंक 4. दृश्य 1. रोम एक भवन

In Culture, Drama, History, Poetry, Translation by Arvind KumarLeave a Comment

ब्रूटस और कैसियस कर रहे हैँ शक्ति का संचय.

हम भी चेतेँ, अपनी ताक़तेँ मिलाएँ, औरोँ को

साथ लाएँ. अज्ञात संकटोँ को समझेँ.

रोम. एक भवन.

(एंटनी, आक्‍टेवियस और लेपीडस. मेज़ पर बातचीत.)

एंटनी

तो इन लोगोँ को मारा जाएगा. इन के

नाम पर निशान लगा दिया है.

आक्‍टेवियस

तुम्‍हारा भाई भी मरना चाहिए, लेपीडस.

सहमत हो तुम?

लेपीडस

सहमत हूँ मैँ.

आक्‍टेवियस

लो दाग़ दो इसे, एंटनी.

लेपीडस

एक शर्त पर,

मार्क एंटनी. नहीँ बचेगा तुम्‍हारा

भांजा पबलियस भी.

एंटनी

दाग़ दिया. लेपीडस,

सीज़र के घर से वसीयत ले आओ.

देखेँ तो, क्‍या बचा सकते हैँ हम.

लेपीडस

यहीँ मिलोगे?

आक्‍टेवियस

यहाँ या संसद.

(लेपीडस जाता है.)

एंटनी

गुणहीन बंदा है यह. बस, चाकरी

जोगा है… संसार की संपदा मेँ से

एक भाग दे डालना इसे – क्योँ, ठीक है क्‍या?

आक्‍टेवियस

आप ने ही तो माँगा था उस से

परामर्श.

एंटनी

आक्‍टेवियस, अधिक

अनुभव है मुझे. यह बस चाल है.

उस पर लादे हैँ मान सम्‍मान, क्योँ कि

लादना था अपनी निंदा का बोझा.

लद्दू खरहे के जैसा ढोएगा

वह हमारा बोझा, हाँफेगा वह,

पसीने से तरबतर होगा. जब

जैसे जिधर चाहेँगे, हाँकेँगे

हम. लक्ष्य पर पहुँच कर माल

उतारेँगे हम. फिर हकाल देँगे

हिनहिनाने को और चरने को घास.

आक्‍टेवियस

जो चाहेँ करेँ. है वह भरोसे

का सैनिक.

एंटनी

हाँ, वह तो मेरा घोड़ा

भी है. इस के लिए मैँ देता हूँ

उसे उत्तम दाना पानी. उसे

मैँ साधता हूँ, सिखाता हूँ दम रोकना,

दौड़ना, कूदना, झपटना. अनुशासन

मेरा है उस पर. बस, वैसा ही है

लेपीडस! उसे साधो, उस से काम

लो. अपनी चेतना नहीँ है उस मेँ.

बड़े लोग जो बना देते हैँ चलन,

रचते हैँ जो कलाएँ, और फिर छोड़

देते हैँ जो जूठन, उन्हेँ सहेज

कर रखते हैँ लेपीडस जैसे लोग.

उसे स्‍वतंत्र मत समझो. वह एक

वस्‍तु है. उस का उपभोग करो… यह

सब छोड़ो, सुनो बड़े समाचार!

ब्रूटस और कैसियस कर रहे हैँ

शक्ति का संचय. हम भी चेतेँ,

अपनी ताक़तेँ मिलाएँ, औरोँ को

साथ लाएँ. अज्ञात संकटोँ को समझेँ.

जो ज्ञात हैँ, उन आपदाओँ को झेलेँ.

आक्‍टेवियस

हाँ. तत्‍काल. दाँव पर लगे हैँ हम.

शत्रु से घिरे हैँ हम. ऊपर से

जो हमारे मित्र हैँ, उन के भी

मन मेँ छिपे हैँ घातक इरादे.

(जाते हैँ.)

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