जाने कितने युगोँ तक यह दृश्य दोहराएँगे लोग
अजन्मे राज्योँ मेँ, अनजानी भाषा मेँ
जाने कितनी बार बहेगा सीज़र का लहू
छूना चाहता था आकाश
पड़ा है धरती पर माटी सा
रोम. संसद के बाहर.
(भीड़,. भीड़ मेँ हैँ आर्तेमिडोरस और त्रिकालज्ञ. तूर्यनाद. सीज़र, ब्रूटस, कैसियस, कास्का, डीसियस ब्रूटस, मेटेलस सिंबर, ट्रेबोनियस, सिन्ना, एंटनी, लेपीडस, पोपीलियस, पबलियस तथा अन्य आते हैँ.)
सीज़र
(त्रिकालज्ञ से) आ गया मार्च का मध्य!
त्रिकालज्ञ
हाँ, सीज़र. अभी गया नहीँ.
आर्तेमिडोरस
सीज़र की जय हो! आवेदन पढ़ लेँ.
डीसियस
यह विनम्र आवेदन ट्रेबोनियस
की ओर से है. सुविधा से पढ़ लेँ.
आर्तेमिडोरस
पहले मेरा आवेदन लेँ. इस का
संबंध आप से है. अभी पढ़ लेँ.
सीज़र
हमारी बात है? तो सब के बाद.
आर्तेमिडोरस
देर न करेँ. अभी पढ़ लेँ इसे.
सीज़र
पागल है क्या यह!
पबलियस
चल, दूर हट!
सीज़र
यूँ राह मेँ मत थमाइए अपने
आवेदन. भीतर संसद मेँ चलेँ…
(सीज़र के साथ सब संसद मेँ जाते हैँ.)
पोपीलियस
(कैसियस से) आप का कारज सफल हो!
कैसियस
क्क्कौन… कौन सा कारज?
पोपीलियस
अच्छा! तो भला हो!
(सीज़र के पास जाता है.)
ब्रूटस
क्या कह रहा था पोपीलियस?
कैसियस
आप का कारज सफल हो!… भेद खुल गया
क्या हमारा?
ब्रूटस
सीधा जा रहा है
सीज़र के पास. नज़र रखो उस पर.
कैसियस
कास्का, जल्दी करो. डर है – हमेँ
धर न लिया जाए. ब्रूटस, अब
क्या करेँ? भेद खुल गया तो न
सीज़र हटेगा पीछे, न मैँ.
मार डालूँगा मैँ अपने को.
ब्रूटस
धीरज धर,
कैसियस. देख – पोपीलियस
नहीँ कर रहा है हमारी बात. दोनोँ
हँस रहे हैँ. सीज़र निश्चिंत है.
कैसियस
वाह ट्रेबोनियस!… ब्रूटस, देखो. ठीक
समय पर ले जा रहा है एंटनी
को संसद के बाहर.
(एंटनी और ट्रेबोनियस जाते हैँ.)
डीसियस
कहाँ है मेटेलस? आगे बढ़े.
सीज़र से विनती करे.
ब्रूटस
तैयार है
वह. तुम भी बढ़ो. समर्थन करो.
सिन्ना
कास्का, पहले वार के लिए तैयार.
सीज़र
सब तैयार हैँ? है किसी को कोई
कष्ट? सीज़र और संसद करेँगे दूर.
मेटेलस सिंबर
सर्वोच्च! महाबली! महागुणी!
महाकुलपति! सीज़र महाराज!
मैँ, मेटेलस, आप के चरणोँ मेँ यूँ
झुकता हूँ, पड़ता हूँ…
(झुकता है.)
सीज़र
क्या बकवास
है! यह नहीँ चलेगा – यह झुकना!
यह चरण छूना! इस से ख़ुश होते
होँगे साधारण जन. परंपरा,
व्यवहार, न्याय – इस से बन जाते हैँ
बच्चोँ के खेल! मत समझो यूँ पिघल
जाएगा सीज़र मीठी बातोँ से.
कुछ नहीँ होगा झुकने से, पिल्लोँ
सा पिनपिनाने से. तुम्हारे भाई
को दिया गया था देश निकाला
न्याय की कसौटी पर. उस के लिए
बेकार है यह झुकना, गिड़गिड़ाना.
सीज़र करता नहीँ अन्याय.
अकारण बदलता नहीँ निर्णय.
मेटेलस सिंबर
है कोई माई का लाल, आगे
आए, सीज़र को समझाए, मेरे
भाई को क्षमा दिलवाए?
ब्रूटस
मैँ चूमता
हूँ सीज़र का हाथ, गिड़गिड़ा कर
नहीँ. सीज़र, दे दो क्षमा का दान.
सीज़र
क्या! ब्रूटस!
कैसियस
दया! सीज़र! सीज़र,
दया! चरणोँ मेँ गिरता हूँ मैँ भी.
सीज़र
तुम जैसा होता तो पसीजता मैँ.
न करता हूँ, न करवाता हूँ मैँ
ख़ुशामद! अटल हूँ मैँ ध्रुव तारे
सा, विजड़ित, अविचल, निर्विकार.
आकाश मेँ चित्रित हैँ अनगिन खद्योत.
सब घूमते हैँ जिस के चारोँ ओर
वह ध्रुव तारा है – अडिग, अटल,
अकेला, परिवर्तनहीन. धरती
पर हँसते गाते रोते रहते हैँ
लोग. डरते हैँ, गिड़गिड़ाते हैँ लोग.
उन मेँ बस एक मैँ हूँ न्याय पर अडिग,
अटल, परिवर्तनहीन. तुम जानते हो
सही था सिंबर को देशनिकाला.
अटल हूँ अब भी मैँ न्याय पर.
सिन्ना
सीज़र!
सीज़र
डिगाया चाहते हो ओलिंपस पहाड़!
डीसियस
सीज़र महान.
सीज़र
डीसियस, निष्फल है झुकना.
कास्का
तो बोल, मेरी तलवार!
(पहले कास्का, फिर अन्य षड्यंत्रकारी और ब्रूटस सीज़र को तलवारेँ घोँपते हैँ.)
सीज़र
यह तू, ब्रूट! गिर जा, सीज़र!
(सीज़र मरता है.)
सिन्ना
मुक्ति! स्वराज्य! मर गया आतंक!
दौड़ो. घोषित कर दो सब सड़कोँ पर,
कास्का
मंचोँ पर चढ़ो, नारे लगाओ :
मुक्ति! स्वराज्य! नागरिक अधिकार!
ब्रूटस
भाइयो, सांसदो, डरो मत आप.
भागो मत… सम्राटी सपने – सब
चकनाचूर…
कास्का
ब्रूटस, जल्दी करो.
जनमंच सँभालो…
डीसियस
कैसियस भी.
ब्रूटस
कहाँ हैँ पबलियस?
सिन्ना
यह रहे – -यहाँ
बलवे से बदहाल.
मेटेलस सिंबर
सब एक साथ रहो.
कहीँ कोई साथी सीज़र का…
ब्रूटस
खड़े रहने का समय नहीँ है.
होश सँभालो, पबलियस. अब निरापद
हैँ आप. निरापद हैँ रोम के लोग. अब कुछ
नहीँ बिगाड़ सकता कोई किसी
का. जाइए, सुना दीजिए सब
को समाचार.
कैसियस
हम से दूर ही रहेँ.
आप बूढ़े हैँ. हमारे साथ आप भी
न आ जाएँ बलवे की चपेट मेँ.
ब्रूटस
यही करेँ आप. करनी हमारी
हैँ. हम ही भरेँगे इस का परिणाम.
(ट्रेबोनियस लौट कर आता है.)
कैसियस
कहाँ है एंटनी?
ट्रेबानियस
भाग गया घर –
बदहवास. कोहराम मचा है पूरे
नगर मेँ. नर, नारी, बच्चे, बूढ़े –
भाग रहे हैँ दिशाहीन. मानो, सिर
पर मँडरा रहा है महाकाल.
ब्रूटस
अभी पता चल जाएगा नियति
का निर्णय. हो कर रहती है होनी.
एक दिन मरना है सब को. जीवन भर
सब काटते हैँ दिन, गिनते हैँ दिन.
कास्का
सच है. मौत से बीस वर्ष पहले मार
देना किसी को – मतलब है मौत के
भय से कर देना मुक्त…
ब्रूटस
यूँ देखो तो
वरदान है मृत्यु. सच्चे मित्र
हैँ हम सीज़र के. संक्षिप्त कर दिया
हम ने उस का मृत्यु से भय का काल.
रोमनो! झुको! सीज़र के लहू से
धो लेँ हम कोहनी तक हाथ. लाल कर लेँ
सब तलवारेँ. हम सब निकलेँगे रोम
की सड़कोँ पर, लहराएँगे तलवार,
लगाएँगे नारे –
शांति! मुक्ति! फिर से स्वराज्य!
कैसियस
आइए, हम झुकेँ. भावी सम्राट
के नाश मेँ सब शामिल होँ.
जाने कितने युगोँ तक
यह महान दृश्य दोहराएँगे लोग
अजन्मे राज्योँ मेँ, अनजानी
भाषा मेँ…
ब्रूटस
खेल तमाशोँ मेँ
जाने कितनी बार बहेगा सीज़र
का लहू. छूना चाहता था आकाश,
अब पड़ा है धरती पर माटी सा,
पोंपेई की प्रतिमा के नीचे.
कैसियस
जितनी बार खेला जाएगा यह खेल,
उतनी ही बार लोग कहेँगे – हमीं
ने दिलवाई थी देश को आज़ादी.
डीसियस
तो अब चलेँ?
कैसियस
हाँ, सब के सब. नए
नायक ब्रूटस के पीछे चलेँगे हम
- रोमन गण के लाड़ले वीर सपूत
(एक सेवक आता है.)
ब्रूटस
ठहरो! कौन आया? एंटनी का साथी.
सेवक
महानायक ब्रूटस, यूँ झूकने,
यूँ शीश नवाने का आदेश दिया
है स्वामी ने. कहा है धरती पर
गिर कर करना यूँ सादर प्रणाम.
कहना : महान हैँ आदरणीय ब्रूटस.
गुणवान हैँ, वीर हैँ, नीति की खान हैँ,
सत्यशील हैँ ब्रूटस. और सीज़र थे
महाबली, थे साहस की मूरत.
राजा थे गुणोँ मे. मुझ पर कृपाल थे.
स्वामी ने यह भी कहा है. कहना :
नायक ब्रूटस का प्रशंसक हूँ
मैँ भी. ग्राहक हूँ उन के गुणोँ का.
कहना : सीज़र से मैँ डरता भी था,
आदर भी करता था उन का. मन से
चाहता भी था उन्हेँ. यदि महान
ब्रूटस आज्ञा देँ, और वचन देँ
जीवन की रक्षा का, तो स्वामी ने
कहा – वे स्वयं हाज़िर होँगे
आप के सामने. आप से सुनेँगे
वे – क्योँ वध का पात्र था सीज़र.
त्याग देँगे मृत जूलियस सीज़र को,
साथ देँगे जीवित मार्क ब्रूटस का.
रोम के इतिहास मेँ, अनिश्चय की
इस घड़ी मेँ अनुपालन करेँगे
नए नायक का – तन, मन, वचन से.
यह था निवेदन जो मेरे स्वामी
एंटोनियस ने मेरे द्वारा
किया है आप से.
ब्रूटस
विवेकी हैँ वे,
गुणी हैँ, वीर रोमन हैँ. इस से कम
नहीँ आँका उन्हेँ कभी मैँ ने.
जाओ, दूत, उन से कह दो – स्वागत है
उन का. मेरा वचन है – अभयदान
है उन को. जैसे आएँगे वे यहाँ,
वैसे ही जाएँगे वे यहाँ से.
सेवक
अभी ले आता हूँ उन्हेँ.
(जाता है.)
ब्रूटस
मैँ जानता था – आ मिलेगा हम से.
कैसियस
ऐसा ही हो. पर शंकित हूँ मैँ.
सच निकलती हैँ शंकाएँ मेरी.
(एंटनी फिर आता है.)
ब्रूटस
लो, आ गया, एंटनी.
स्वागत है, मार्क एंटनी.
एंटनी
महाबली सीज़र! यूँ पड़ा है तू?
परंतप, तेरे अभियान, गुणगान,
जयकारे – सब सिमट गए इतने
मेँ. विदा, मित्र, विदा, अलविदा…
सज्जनो, आप का मनोरथ क्या है?
और कौन हैँ आप की सूची मेँ? मैँ भी
हूँ? तो हाज़िर है बंदा. सीज़र के
साथ चला जाऊँ – मुझ अकिंचन का
सौभाग्य इस से बढ़ कर क्या होगा?
महान हैँ वे तलवारेँ जिन्होँ ने
चखा है संसार का महानतम लहू,
घोँप देँ वही आप मेरे सीने मेँ.
अभी कर दीजिए आप अपने
ख़ूनी हाथोँ से मेरा काम तमाम.
यही चाहिए मुझे – सीज़र के
साथ मरूँ, आप के हाथ मरूँ. आप सब
ठहरे इस युग के महान उद्धारक!
ब्रूटस
एंटनी, यूँ हम से मौत की भीख मत
माँग. माना हमारे हाथ हैँ लाल,
देखने मेँ लगते हैँ हम हत्यारे.
हमारे हाथ मत देख, हमारे मन
मेँ झाँक. हमारे मन मेँ दया है.
रोमन गण के कष्टोँ से द्रवित हैँ
हमारे मन. देश प्रेम की ख़ातिर
हमेँ करना पड़ा सीज़र पर वार.
पर, एंटनी, तेरे लिए खुट्टल
है हमारी तलवार की धार. हाथोँ
मेँ तलवार सही, बाँहोँ
मेँ स्वागत है तेरा – सादर, सप्रेम.
कैसियस
नए शासन मेँ, पदोँ के वितरण
मेँ, हम लेँगे तुम से परामर्श.
ब्रूटस
कुछ समय धीरज धरो. अशांत
है जन मन. शांत होने दो इस को.
फिर बैठेँगे, शांत मन से करेँगे
बात. सीज़र मनमीत था मेरा भी. क्या
किया मैँ ने, क्योँ किया मैँ ने – अभी तुझ
को बताना है.
एंटनी
जानता हूँ मैँ आप
के मन की बात. आप सब बढ़ाइए
अपने रक्तरंजित हाथ. पहले मैँ
मिलाऊँगा हाथ आप से, मार्कस ब्रूटस.
अब, कायस कैसियस, बढ़ाओ हाथ. अब,
डीसियस. और तुम, मेटेलस. दो हाथ,
वीर शिरोमणि कास्का! और अब तुम,
ट्रेबोनियस, सब के बाद, लेकिन प्रेम मेँ
सब से बढ़ कर… मित्रो, क्या कहूँ मैँ?
आप सब हैँ गणमान्य, प्रतिष्ठित.
मैँ ठहरा प्रतिष्ठाहीन. दलदल मेँ
धँसा हूँ मैँ. आप समझेँगे मुझे –
कायर या चापलूस…
सच है, सीज़र, तू प्यारा था मुझे.
अब कहीँ से देख सकती हो हमेँ
तेरी आत्मा – तो दर्द से फट
जाएगा तेरा कलेजा. सीज़र,
मैँ समझ सकता हूँ तेरी पीड़ा.
तू सोचता होगा – तेरा एंटनी
जो मिला शत्रु से. देखो! मिला
रहा है उन के ख़ूनी पंजोँ से
हाथ! और वह भी – तेरे शव के आगे!
सीज़र अच्छा तो यह था – जितने लगे
थे तेरे घाव, मेरे होतीँ उतनी
आँखेँ, और उन सब से बहते ख़ून के
आँसू. लेकिन मैँ? धिक्कार है! मैँ कर
रहा हूँ समझौता हत्यारोँ से.
क्षमा करना, सीज़र. यहाँ घेरा
गया था तुझे. यहाँ हुआ था
तेरा आखेट. यहाँ गिरा था तू.
यहाँ खड़े हैँ तेरे शिकारी
तेरे ख़ून से लथपथ. संसार, तू था
इस हिरने का खुला मैदान. संसार, यह
था तेरे हिय का प्यारा हिरनौटा.
सचमुच, संसार, यह पड़ा है
तेरा हिया – हिरने सा बन कर इन
आखेटकोँ का शिकार.
कैसियस
मार्क एंटनी.
एंटनी
क्षमा करना, कायस कैसियस.
सीज़र के शत्रु भी यही कहते.
मैँ था मित्र. ठीक था मेरे लिए
सीज़र का गुणगान…
कैसियस
यहाँ तक ठीक है सीज़र का गुणगान.
पर बताएँ – कैसा समझौता
हम से चाहते हैँ आप? आप को गिनेँ
हम अपने मित्रोँ मेँ, या… ?
एंटनी
इसी लिए
तो मैँ ने आप सब से मिलाए थे
हाथ. बस, बह गया आवेश मेँ, देखा
जो सीज़र को. मित्रो, मैँ आप के
साथ हूँ. आप का स्नेही हूँ. मेरी है
एक शर्त – बताएँगे आप मुझे
सीज़र भयानक क्योँ था, कैसे था?
उस का वध आवश्यक क्योँ था?
ब्रूटस
वरना
हमारा किया माना जाएगा करतूत.
सबल है हमारा आधार. यदि
तू सीज़र का पूत आक्टेवियस भी
होता, तो सुन कर हमारी बात
हो जाता सहमत…
एंटनी
यही चाहता हूँ
मैँ. एक और विनती है – ले जाने देँ
मुझे सीज़र का शव नगर चौक. मित्र के
नाते संस्कार मेँ बोलने देँ मुझे.
ब्रूटस
ऐसा ही होगा, मार्क एंटनी.
कैसियस
एक पल
सुनिए मेरी बात…
(ब्रूटस से अलग.)
आप नहीँ जानते किस बला को न्योत
रहे हैँ आप. मत करने देँ उसे
सीज़र का गुणगान. भड़क सकती है
उस के भाषण से आग.
ब्रूटस
क्षमा करेँ,
पहले बोलूँगा मैँ. समझा दूँगा –
क्योँ मरना पड़ा हमारे सीज़र
को. कहूँगा – देखिए, अब भी दे
रहे हैँ हम सीज़र को मान. इसी
लिए छूट है एंटनी को – खुल कर
करे सीज़र का गुणगान. बढ़ेगी
इस से हमारी साख.
कैसियस
देख लेँ आप.
मुझे डर है – क्या पता क्या हो!
ब्रूटस
तो,
मार्क एंटनी, लेँ सीज़र का शव.
खुल कर करेँ सीज़र का गुणगान. हाँ,
नहीँ देँगे आप हमेँ कोई दोष.
और बता देँ हमारी कृपा से
बोल रहे हैँ आप. वरना सीज़र के
संस्कार से दूर रहेँगे आप… और, हाँ,
पहले बोलूँगा मैँ, मेरे बाद आप.
एंटनी
बस, नहीँ चाहता मैँ कुछ और.
ब्रूटस
तो ताबूत बनवाइए आप.
हमारे पीछे ले आइए आप.
(सब जाते हैँ. मंच पर एंटनी रह जाता है.)
एंटनी
क्षमा, ओ रुधिर बहाती माटी,
क्षमा, जो मैँ झुका हत्यारोँ के
आगे. साधारण माटी नहीँ है
तू. भवसागर के उत्ताल ज्वार ने जो
महानतम मानव जन्मा, तू उस नर
पुंगव की थाती है. पछताएँगे
वे हाथ, उठे जो तेरी काया पर.
तेरे ये घाव… नहीँ, ये घाव नहीँ
हैँ… लाल अधर हैँ रक्त कमल से.
ये माँग रहे हैँ मेरी वाणी.
सुनो, दिशाओ, मानव अंगोँ पर
गाज गिरेगी. कुटिल काल का नर्तन
होगा. नगर नगर मेँ कलह
मचेगी. धू धू सारा देश जलेगा.
इतना अत्याचार बढ़ेगा, पुत्रोँ
के तत्काल मरण की मन्नत माँएँ
माँगेँगी. इस धरती की छाती को
सीज़र का भूत दलेगा, गिन गिन कर
सब से बदले लेगा. रणदेवी के
साथ हँसेगा. इतनी लोथेँ बिखरेँगी
धरती पर… नहीँ बचेगा कोई
धूल डालने वाला… – – -
(एक सेवक आता है.)
कौन? तुम तो आक्टेवियस के सेवक हो?
सेवक
जी, हाँ, मार्क एंटनी.
एंटनेी
सीज़र ने उन्हेँ बुलाया था.
सेवक
आदेश मिला था. स्वामी बढ़े आ
रहे हैँ. लाया हूँ उन का संदेश…
(शव देखता है.)
अरे! सीज़र! कुलनायक!
एंटनी
विशाल है तेरा मन. रोना है, तो
हट कर रो. छूत की तरह फैलता है
अवसाद. तेरी आँखोँ के मोतियोँ
से भर आईँ मेरी भी आँखेँ… कब
आएँगे तेरे स्वामी?
सेवक
आज रात वे
रोम नगरी से सात कोस पर होँगे.
एंटनी
तुरंत दौड़ जा वापस. जा, बता
दे यहाँ जो कुछ हुआ है. शोकमग्न
है रोम! आक्टेवियस के लिए
अभी तक निरापद नहीँ है रोम.
जा, जा कर बता दे… ठहर. अभी
मत जा. नगर चौक तक चल मेरे
साथ. देखते हैँ – क्या होता है?
मेरे भाषण के बाद जनता इन हत्यारोँ
का क्या करती है? तभी जा कर तू
आक्टेवियस को बताना सब हाल.
तब तक तू बँटा मेरा हाथ.
(सीज़र का शव ले कर जाते हैँ.)
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