नई दिल्ली.सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सीताकांत महापात्र ने शुक्रवार को हिन्दी अकादमी के शलाका सम्मान से अरविंद कुमार को नवाजा। बता दें हिन्दी लोक शब्दकोश परियोजना के अंतर्गत वृहद सामांतर कोष के निर्माण में अरविंद कुमार उल्लेखनीय काम कर रहे हैं। उन्हें सम्मान स्वरूप दो लाख रुपए की पुरस्कार राशि, प्रशस्ति पत्र, शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
इस अवसर पर डॉ. सीताकांत महापात्र ने कहा कि भाषा केवल वर्णमाला की विषय वस्तु नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक परंपरा, सामाजिक इतिहास और जीवनशैली की अभिव्यक्ति होती है। भाषा जितनी गहराई से इन तीनों का स्पर्श करती है, भाषा उतना ही उच्च और समग्र होती जाती है।
ऐसे साहित्य में आत्मा का वास होता है। यही कारण है कि भाषा-साहित्य का संपर्क आत्मा के साथ जुड़ जाता है। आज उपभोक्तावादी विज्ञापन युग लोगों की सोचने, कल्पना करने और स्वप्न की शक्ति को चुनौती दे रहे हैं। साहित्य का परम कर्तव्य लोगों में इन तीनों प्रवृतियों को फिर से जागृत करना है।
सम्मान समारोह में गद्य विधा सम्मान के लिए डॉ. परमानंद श्रीवास्तव, विशिष्ट योगदान सम्मान के लिए रमणिका गुप्ता, बाल साहित्य सम्मान के लिए कृष्ण शलभ, काव्य सम्मान गिरधर राठी, नाटक सम्मान देवेंद्र राज अंकुर, ज्ञान प्रौद्योगिकी सम्मान बृजमोहर बख्शी और हास्य व्यंग्य सम्मान आलोक पुराणिक को दिया गया।
इन्हें सम्मान के रूप मंे 50 हजार रुपए, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, व शाल भेंट किए गए। सम्मान अर्पण समारोह में मुख्यमंत्री व हिन्दी अकादमी की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने सम्मानित साहित्यकारों को बधाई दी। इस अवसर पर हिन्दी अकादमी के उपाध्यक्ष अशोक चक्रधर ने पुरस्कृत साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर दिल्ली की भाषा मंत्री किरण वालिया के अलावा कई साहित्यकार उपस्थित हुए।
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