बुरा ना मानो होली है!

In Hindi, Learning, Word Power by Arvind KumarLeave a Comment

वर्ड पावर – word power

हँसी कैसी कैसी! रंग के रंग हज़ार!

 

शब्‍दांतर : हँसी

हँसो, हँसाओ और हँसी उड़ाओ ये दिन ही हैं हँसी ठ्टठे के, ठिठोली के, बोलीठोली के, मखौल के, उपहास के, व्‍यंग्‍य केअल्‍मस्‍ती के, अनुराग, राग और रागरंग के. जो बुरा मानें उन से कह दीजिए - बुरा ना मानो होली है!

एक ज़माना था जब पत्रत्रिकाओं में होली पर जाने माने लोगों को व्‍यंग्‍य भरी उपाधियाँ बाँटी जाती थीं. महल्‍ले महल्‍ले चुलबुले लोग छाप्‍ोख़ाने में छपवा कर या हाथ से लिख कर उपाधियों के नाम पर कटाक्ष के परचे बाँटते थे. दुलहँडी की शाम महामूर्ख सम्‍मेलन जुड़ते थे. लोगों में होड़ लगती थी कि उन्‍हें ही महामूर्ख की उपाधि मिले

तो उदासी-भगावनी शोक-मिटावनी प्रेम-बढ़ावनी रंगरंगीली होली पर पेश हैं हँसी के कुछ रूप और शब्‍द

एक हँसी खिसियानी होती है. इसे खीस कहते हैं. इस का होली में कोई स्‍थान नहीं है. एक और हँसी होती है न-मालूम सी हँसी. होंठों की कगार पर बस रेखा सी. इसे कहते हैं स्‍मित और कभी कभी स्‍मय भी. स्‍मित को हम मुसकान का आरंभिक या सूम रूप्‍ा कह सकते हैं. स्‍मय में विस्‍मय का भाव प्रधान है.

मुसकान होंठों की कगार से आगे बढ़ कर पूरे मुखमंडल को दमका देती है. मुसकान मौन है, फिर भी यह एक संपूर्ण सुंदर स्‍टेटमैंट है, संसार का सब से मोहक सर्वोत्तम वक्तव्‍य. मुसकान के अनेक रूप और पर्याय हैंमुसकानि, मुसकनि, मुसकनिया, मुसकराहट, मुस्‍क्‍यान, मुस्‍कीअंतर्हास, आमोद, मंंदहास, वक्रोष्‍ठिका, विहास, हँसी.

मुसकान गुदगुदी से भी होती है, पर इस में हलकी सी किलकिल भी होती हैकिलकिल मुखर होती है. इस के कुछ अन्‍य शब्‍द हैं किलकिली, किलकिला, किलकिलाहट, खिलखिल, खिलखिलाहट. किल्‍ली में चीख़ भी शामिल हो जाती है.

होली की असली हँसियाँ हँसाइयाँ तो हैं

  छेडछाड़, चिकोटी, चुहल, नोंकझोंक

  उपहास, अपहास, अवहास, उत्‍प्रास, खिल्‍ली, छेपटी, ठट्ठा, बोलीठोली, मखौल, मज़ाक़, विडंबना, हँसाई, हँसी, हाँसी, हास, हास उपहास, हास्‍य,

  कटाक्ष, कटुवचन, कटूक्ति, कमैंट, काटती बात, कुबोल, खरी खोटी, गाँस, चुकोटी चुटकी, चुभती बात, चोट, छींटा, टाँच, टिप्‍पणी, टीकाटिप्‍पणी, तंज़, ताना, तीक्ष्णोकति, तीर, नावक का तीर, फबती, फ़िक़रा, बोली ठोली, भाँजी, रिमार्क, वक्रोक्ति, वाग्‍बाण, व्‍यंग्‍य बाण, व्‍यंग्‍योक्ति, व्‍याज प्रशंसा

  व्‍यंग्‍य, उत्‍प्रास, उपहास, काट, कूट, चिकोटी, चुटकी, तंज़, मखौल, विकत्‍था, व्‍यंग्‍य हास, सैटायर, हँसी, हास्‍य, हास्‍य व्‍यंग्‍य,

  अट्टहास, अट्टहास्‍य, अतिहास, आमोद, उत्‍प्रास, उद्धास, उनमुक्त हास, उल्‍लास, क़हक़हा, किलकारी, खक्‍खा, ठहाका, प्रणाद, प्रहास, महाहास, मुक्त हास, हाँसी, हास, हाहा, हाहा हीही, हींस, हीही, हाहा हूहू

नाटकों और फ़िल्‍मों में खलनायक तब अट्टहास करते हैं जब लगता नायक का काम तमाम होने वाला हैलेकिन ऐसा होता नहीं. अट्टहास कर के खलनायक अपना खेल बिगाड़ लेते हैं.

स्‍वयं विष्‍णु और उन के अवतार राम, कृष्‍ण और बुद्ध की हँसी मंद मुसकान है. कृष्‍ण की मुसकान में अकथित रहस्‍योक्ति का भाव भी होता है. शिव खुल कर अट्टहास करते हैं. अट्टहास से दाँतों की सफ़ेदी खिल उठती है. किसी संस्‍कृत कवि, शायद कालिदास, ने हिमालय पर फैली रुप्‍ाहली चादर को शिव का अट्टहास कहा है.

हँसी स्‍वयं एक चकित्‍सा है. अट्टहास उस से भी बढ़ कर है. हर रोज़ कुछ देर खुल कर ठहाका लगाइए, लगाते रहिए. फेफड़े पूरी तरह खुल जाएँगे. सारे ग़म और दुःख भूल कर अाप्‍ा दिन भर के लिए चुस्‍त हो जाएँगे.

होली का एक उन्‍मुक्त दिन आप्‍ा को साल भर प्रसन्न रख सकता है. शर्त यह है आप्‍ा ख़ुश रहने के लिए तैयार हों

अर्थांतर : रंग के रंग हज़ार

होली ही क्‍या जिस में रंगपाशी न हो. गुलाल अबीर न हो, टेसू के फूल न हों. और वह भी क्‍या होली जिस में भाँग का रंग न हो. भाँग मैं ने तो कभी नहीं पी, पर समाज के एक बड़े वर्ग के लिए भाँग होली का अभिन्न अंग है, जो भाँग का सेवन नहीं करते वे मदिरा की शरण जाते हैं, और हम जैसे आधे सूफ़ी सूखे रह जाते हैं. हद से हद होंठों से छुआ लेते हैं.

ख़ैर, देखते हैं रंग कितने रंग खिलाता है. भगवान के नामों की तरह रंगों की संख्‍या भी अनंत हैरंग द्रव्‍य कई प्रकार के होते हैं. उन की जानकारी कोई रंग विक्रेता आप को दे देगा. हम यहाँ बात करते हैं रंग के अन्‍य रंगों की और अर्थों की

   राँगा धातु

   सोहागा

   नाटकघर, रंगमंच, नाचघर, सभाभवन, रणभूमि

   शरीर का वर्ण, जैसे साँवला, गोरा, काला,,,

   दृश्य, नज़ारा

   ढंग, ढब, तरीक़ा, चाल

   उल्‍लास, आनंद, मौजमस्‍ती

   रंगरली, रासरंग

   ठाठबाट, टीमटाम

   प्रकार, कोटि

   दशा, हालत

   रौनक़, शोभा, सुंदरता

   असर, प्रभाव

   रोब, धाक….

   ताश के पत्तों की एक कोटि की गड्डी, जैसे, हुक्‍म, पान, ईंट, चिड़ी

   चौपड़ की किसी रंग की आठ गोटियाँ

   प्रेम, अनुराग

रंग से अनेक मुहावरे बनते हैंरंग आना (आनंद आना), रंग उखड़ना (प्रभाव कम होना), रंग उतरना (शोभा घटना, फीका पड़ना), रंग जमना (किसी कलाकार का दर्शकों से तादात्‍म्‍य हो जाना, समाँ बँधना, रसपरिपाक होना), रंग में भंग डालना (मज़ा किरकिरा करना, बनाबनाया खेल बिगाड़ना). रंग के और बहुत सारे मुहावरे हैं,

हम तो यही चाहेंगे कि इस होली में अाप्‍ा का रंग सब पर चढ़े, और आप के रंग में भंग न पड़े.

अर्थ क्‍या है?

व्‍यंग.. व्‍यंग्‍य. . चुटकुला. . विकलांग. . व्‍यंजना शक्ति.

हुड़दंग. . होली का नाच. . उछलकूद. . दंगाफ़साद. . अाप्‍ााधापी.

बरजोरी. . बरबादी. . ज़बर्दस्‍ती. . पुरज़ोर. . सेवाच्‍युति.

पलाश.. टेस्‍ा का पेड़ और फूल. . पलड़ा. . पलहँडी. . पल्‍ला.

उत्तर

व्‍यंग.. विकलांग, शरीरहीन, विअंग. आप्‍ा को विश्वास न होगा, व्‍यंग शब्‍द के कुछ अन्‍य अर्थ हैंइस्‍पात, मेंढक. लेकिन इन संदर्भों में इस शब्‍द का उप्‍ायोग अब नहीं होता.

हुड़दंग. . उछलकूद. अँगरेजी में इसे हौर्सप्ले horaeplay कहते हैं. उठाप्‍ाटक, खेलकूद…. होली पर हुड़दंग ना मचे तो होली क्‍या!

बरजोरी. . ज़बर्दस्‍ती. होली खेलेंगे बरजोरीराधा चाहे या ना चाहे नटखट कान्‍हा तो होली खेलेगा ही और रंग से सराबोर करेगा.

पलाश.. टेसू का पेड़ और फूल. इस के फूलों का रंग ही होली का असली गीला रंग है. बचपन में हम पलाश के सूखे फूल, जिन्‍हें टेसू के फूल भी कहते थे, रात रात भर बड़े देग़चों में उबालते थे, फिर उस का रंग निखारने के लिए चूने या सुहागे का पुट देते थे. अब वह रंग कौन बनाता है! अब तो रासायनिक रंगों को बालटी में डाल कर होली खेली जाती है. आज सचमुच यदि राधा आ जाएँ तो ऐसे रंगों से होली कभी न खेलें, चाहे श्‍याम कितनी ही बरजोरी करें….

 

अरविंद लैक्सिकन के विशाल डाटा पर आधारित

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©अरविंद कुमार

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