सीज़र, महानायक, अभी तक तुम बली हो.
तुम्हारी आत्मा अब तक धरा पर डोलती है.
वह हमारे खड्ग हम मेँ घोँपती है.
फ़िलीपी. रण का एक अन्य कोना.
(तूर्यनाद. कैसियस और टिटीनियस आते हैँ.)
कैसियस
टिटीनियस, यह देखो. कायर कहीँ
के! भगोड़े! ये भागते हैँ छोड़ कर
मैदान. आज अपनोँ पर उठाना पड़
रहा है हाथ मुझ को. ध्वजवाह मेरा
भागता था छोड़ कर मैदान… उस को मार
डाला. और अपना ध्वज स्वयं मैँ ने
सँभाला…
टिटीनियस
ज़रा सी भूल कर बैठे
हमारे मार्क ब्रूटस. आक्टेवियस
पीछे हटा थोड़ा, वे चढ़ गए
आगे – बिना सोचे, बिना समझे.
भूल कर लड़ना, लूटने मेँ जुट गए
सैनिक हमारे, और – एंटनी ने
घेरा हमेँ तत्काल.
(पिंडारस आता है.)
पिंडारस
भागिए, स्वामी. दौडिए, स्वामी.
अब छावनी मेँ आप की शत्रु की
सेनी घुसी. फूँक डाले सब शिविर.
भागिए, स्वामी. दौड़िए, स्वामी.
कैसियस
यह पहाड़ी है सुरिक्षत. देख तो
टिटीनियस, देख तो. जो जल रहे
हैँ, वे शिविर मेरे शिविर हैँ?
टिटीनियस
हाँ,
वे हमारे ही शिविर हैँ.
कैसियस
मित्र,
ले, अश्व ले मेरा. लगा देँ एड़.
देख कर तो आ… कौन से सैनिक हैँ वे?
दुश्मनोँ के या हमारे?
टिटीनियस
बस, यूँ गया, आया.
(जाता है.)
कैसियस
पिंडारस, सुन, चढ़ तो इस टीले पर.
देख तो, क्या हो रहा है.
(पिंडारस टीले पर चढ़ता है.)
मैँ ने लिया था साँस पहला आज ही
के दिन. चक्र मेरे काल का पूरा
चुका है घूम. आज ही आरंभ था.
आज होगा अंत… पिंडारस, बता
तो, क्या हो रहा है?
पिंडारस
(ऊपर से) हाय, स्वामी!
कैसियस
क्या हुआ?
पिंडारस
(ऊपर से) घिर गया, टिटीनियस, घिर गया
सवारोँ से. भागता है वह. दौड़ते
हैँ वे. लो, आ गए, वे पास उस के
आ गए. नीचे उतर आए,
उतर गया वह भी. पकड़ा गया.
(शोर.)
सुनिए, स्वामी, यह हर्षनाद!
कैसियस
आ, उतर, नीचे उतर. मत देख अब
कुछ और. मैँ स्वयं भी कापुरुष हूँ.
मित्र मेरा सामने मेरे गया.
धिक! जी रहा हूँ मैँ!
(पिंडारस नीचे उतरता है)
आ, यहाँ आ,
दास मेरे. युद्ध मेँ मैँ ने तुझे
बंदी बनाया. था नहीँ मारा
तुझे इस शर्त पर – आदेश मेरे
तू सदा माना करेगा. आदेश
अंतिम मानना है आज तुझ को. मुक्त मेँ
तुझ को करूँगा. फिर लौट जा तू देश.
जिस से मरा सीज़र, वही तलवार
है यह. चीर दे इस से कलेजा. बोल
मत. ले, पकड़! तलवार की यह मूठ, ले!
इस तरह जब ढाँप लूँ चेहरा, तो घोँप
दे तलवार.
(पिंडारस तलवार घोँपता है.)
ले, सीज़र, पूरा हुआ
प्रतिशोध तेरा – उसी तलवार ने
मारा मुझे जिस से मरा तू.
(मरता है.)
पिंडारस
मुक्त हूँ मैँ अब. पर चाहता मैँ मुक्ति
ऐसी तो नहीँ था! कैसियस, स्वामी!
लीजिए, मैँ भागता हूँ… हाँ, छू न
पाएगा मुझे अब कोई रोमन.
(जाता है.)
(टिटीनियस और मेसाला आते हैँ.)
मेसाला
है न अनोखा संयोग, टिटीनियस.
ब्रूटस ने हरा दिया आक्टेवियस
को, और कैसियस की सेना को खदेड़
दिया एंटनी ने.
टिटीनियस
चलो, कुछ तो
है जिसे सुन कर ख़ुश होँगे, कैसियस.
मेसाला
कहाँ छोड़ गए थे तुम उन्हेँ?
टिटीनियस
यहीँ
थे. अवसाद मेँ डूबे. पिंडारस
साथ था.
मेसाला
वे तो नहीँ – धरती पर?
टिटीनियस
जीवित
तो नहीँ लगते. हाय!
मेसाला
वही हैँ न.
टिटीनियस
वे हैँ नहीँ, वे थे. कैसियस
नहीँ रहे. सूर्य, तू जाता है
रक्तिम आभा के साथ. वैसे ही
लहू मेँ हुआ कैसियस महान
का अवसान. अस्त हो गया रोम का
सूर्य! ढल गया हमारा दिन. घिर
रहे हैँ बादल, धुंध, अंधकार, कष्ट.
यही था – हमारे उद्यमोँ का अंत?
जो विजय थी – हार समझे आप.
मेसाला
कुटिल
परिणाम शंका का. ओ घातिनी
शंका, अवसाद की संतान! क्योँ घेरती
है तू मानवोँ के मन? जो नहीँ है,
क्योँ दिखाती है वही संकट? शीघ्र
ही तू जड़ पकड़ती है. कभी देती
नहीँ शुभ फल. तुझे जो जन्म देता
है, उसी का नाश करती है.
टिटीनियस
पिंडारस! पिंडारस! कहाँ है तू?
मेसाला
टिटीनियस, ढूढ़ो पिंडारस को…
मैँ चलूँ. तप्त सीसे सी ख़बर
यह सेनापति के कान मेँ डालूँ.
घोर निर्मम कर्म है यह. क्या करूँ?
करना पड़ेगा.
टिटीनियस
हाँ, जाओ, मेसाला.
ढूँढ़ता हूँ मैँ पिंडारस को…
(मेसाला जाता है.)
मित्र कैसियस, क्योँ आप ने भेजा
मुझे? मार्ग मेँ मुझ को मिले जो
आप के वे मित्र थे. उन्हीँ ने रखी
थी भाल पर मेरे यह विजय की माल.
यह कहा था, आप को यह दूँ. आप सुन
पाए नहीँ क्या हर्ष का वह घोष?
हा, शोक! समझा आप ने कुछ और! अब
धारिए, स्वामी, यह विजय की माल.
आप के मनमीत ब्रूटस का विजय उपहार!
हो कहाँ, ब्रूटस? मुझे देखो. मैँ
कैसियस का मीत. मैँ? यहाँ जीवित
अकेला. देवगण, मुझ को क्षमा करना.
यह रोम की है रीत. तलवार मेरे
मीत की है तू. ले, वक्ष मेँ मेरे
उतर जा…
(मरता है.)
(तूर्यनाद. ब्रूटस, कैटो, स्ट्रेटो और लूसीलियस के साथ मेसाला आता है.)
ब्रूटस
कहाँ है? किधर है? मेसाला, मेरे
कैसियस का शव कहाँ है?
मेसाला
वहाँ, वह.
शोक संतप्त टिटीनियस के पास…
ब्रूटस
हैँ! टिटीनियस तो चित पड़ा है.
कैटो
मर गया वह.
ब्रूटस
सीज़र, महानायक,
अभी तक तुम बली हो. तुम्हारी
आत्मा अब तक धरा पर डोलती है.
वह हमारे खड्ग हम मेँ घोँपती है.
(धीमा तूर्य.)
कैटो
वीर टिटीनियस! देखिए यह माला –
कैसियस के भाल पर उस ने सजाई.
ब्रूटस
इन सरीखे वीर रोमन और हैँ क्या?
रोम के अंतिम सपूतो, लो विदा.
है असंभव रोम माता जन सके
अब वीर तुम जैसे. कैसियस, मनमीत,
रोऊँगा मैँ.. कभी और… थासोस भेज दो.
हैँ पुण्य ये अवशेष. वहीँ हो कर्म
इन का. यहाँ संकट रहेगा.
लूसीलियस, चलो. चलो, नौजवान
कैटो, चलो. लाबियो औ’ फ़्लावियस
कर रहे हैँ व्यूह रचना. बजे हैँ तीन.
चलो, फिर से करेँ संघर्ष. रात
से पहले हम फिर भाग्य खोजेँ.
(सब जाते हैँ.)
Comments