शाकाहार और शाकाहारी

In Hindi, Learning, Word Power by Arvind KumarLeave a Comment

वर्ड पावर – word power

साग सब्‍जी कंद मूल अनाज दाल दूध दही मतलब शाकाहार

यूँ तो शाक का मतलब है साग सब्‍ज़ी, लेकिन जब शाकाहार की बात करते हैं तो उस में वे सब आहार आ जाते हैं जो मांसोत्‍पाद नहीं हैं. अँगरेजी में मांसाहारी के लिए नौनवैजिटेरियन शब्‍द प्रचलित है. इस से लगता है कि कि मांसाहारी वैजिटेरियन उत्‍पाद खाते ही नहीं. जब कि मांस के साथ साथ वे शाकोत्‍पाद भी खाते हैं. अतः मांसाहारी का मतलब है वे लोग जो मांस भी खाते हैं. कोरे मांसाहारी मनुष्‍य कम ही हैं. हाँ, निपट शाकाहारी असंख्‍य हैं. उन की संख्‍या बढ़ती ही जा रही है. मांसाहारी देशों में शाकाहर फ़ैशन बनता जा रहा है. कोरे शाकाहारियों के लिए निषेधात्‍मक अर्थ में निरामिषाहारी या अमांसाहारी शब्‍द बेहतर हैं.

अंडा क्‍या है? और दूध दही घी?

शाकाहर में क्‍या क्‍या चीज़े शामिल हैं–इस संबंध में अनेक राय हैं. हम लोग अंडे को मांसाहार मानते हैं, तो कुछ लोग इसे शाकाहार मानते हैं, क्‍योंकि उस में जीव का आविर्भाव नहीं हुआ होता. हर अंडे में जीव नहीं होता. इस पैमाने पर फिर अंडे जैव और अजैव (हिंसक और अहिंसक) होते हैं. जैव और अजैव उत्‍पाद की द्ृष्‍टि से देखें तो कुछ अतिवादी दूध दही घी को मांसाहार मानते हैं क्‍योकि वे पशु उत्‍पाद हैं. हिंसा अहिंसा के मापदंड पर नापजोख करने बैठें तो हर वनस्‍पति में जीवन है. तोड़ कर खाया गया हर फल हिंसा का परिणाम है. पौधे से अपने आप झड़ने से पहले ली गई हर फ़सल हिंसक है. यही कारण है उंछाहारी केवल वह अन्न खाते हैं जो धरती से बटोरा गया हो यानी शिल या सीला. खेती में जाने अनजाने हिंसा होती है. इस से बचने के लिए कुछ लोग अपनेआप उगे अनाज ही खाते थे, जिन्‍हें इंद्रकृष्‍ट (अकृषित, अकृष्‍ट, अनजोता, अनबोया, ख़ुदरौ, जंगली, दैवकृत, प्रकृत, बन, मुन्‍य, वन्‍य और स्‍वयंभू) कहा जाता है.

सीता, अहल्‍या, दुर्गा, अन्नपूर्णा, शाकंभरी

वैदिक युग में सीता कृषि की देवी के रूप में पूजित थीं. सीता का अर्थ है हल से बनी खूड़ या खाई. इसी लिए राजा जनक को सीता हल चलाते समय मिली थीं. जिस धरती पर हल नहीं चला होता उसे अहल्‍या कहते हैं. सीता से राम का स्‍वयंवर अहल्‍या उद्धार के बाद होता है. एक प्रकार से यह इस बात का प्रतीक है कि जनक ने और उन के बाद राम ने खेती को प्रश्रय दिया. दुर्गा के दो रूप हैं अन्नपूर्णा और शाकंभरी. अन्नपूर्णा के रूप में वह जन जन को आहारसंपन्न देखना चाहती हैं. शाकंभरी के रूप में हरियाली का विकास और रक्षा करती हैं.

कैसे कैसे शाकाहारी!

शाकाहारी भाँत भाँत के होते हैं. वैष्‍णव प्‍याज़ लहसुन नहीं खाते. कुछ कंद मूल नहीं खाते, कुछ साबुत मसूर खाते हैं, लेकिन मसूर की दाल नहीं खाते, क्‍यों कि उस का लाल/गुलाबी रंग मांस की झलक देता है. इसी लिए कुछ लोेग गाजर नहीं खाते. शाकाहारी  के लिए कुछ शब्‍द हैं–

निरामिषाहारी (भगत, वनस्‍पति भोजी, वैजिटेरियन, वैष्‍णव, जैन), शाकाहारी (शाकजीवी, शाकोपजीवी), तृणाहारी (तृणजीवी, तृणाद), जलाहारी (सलिलाहारी), दुग्‍धाहारी (क्षीराद, दुग्‍धोपजीवी), अन्नाहारी (अन्नाद), उंछाहारी (उंछजीवी, उंछशील, उंछहार, उंछहारा, कणाद, ख़ोशाचीं, शिलाहारी, सिलहारा, सिलियारा), फलाहारी, कंदाहारी (कंदभोजी, तपस्‍वी, मूल व्रती, मूलिक).

गेहूँ कहाँ से आया?

भारत में आज गेहूँ लोकप्रिय अनाज है. माना जाता है गेहूँ की खेती की शुरूआत मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक़) में हुई. हिमालय पार कर के गेहूँ यहाँ बाद में आया. गेहूँ के कुछ नाम हैं – अपूप, अरूपा, कनक, क्षीरी, गंदुम, गोधूम, गोधूमा, निस्‍तुष क्षीर, पवना, बहुदुग्‍ध, बहुदुग्‍धा, भूजंबु, मधूली, म्‍लेच्‍छ भोजन, म्‍लेच्‍छाश, यवन, रसाल वृश, व्‍हीट, शुक्रज, शुक्रद, सुमन, सुमना. (म्‍लेच्‍छ भोजन, म्‍लेच्‍छाश, यवन शब्‍दों से इस के आदिस्‍थान का संकेत मिलता है.)

शाहजहाँ ने चुना था चना!

चना अनाज नहीं दाल है. इस के पर्याय ज़्‍यादा नहीं हैं. बस चण और चणक. हाँ, और छोला. चना हमेशा से लोकप्रिय रहा है. इस का उपभोग हम अनाज की तरह भी करते हैं और दाल की तरह भी. छिलकेदार चने का आटा आम तौर पर गेहूँ के आटे में मिला कर माँडा जाता है. इसे मिस्‍सा आटा कहते हैं. छिलका उतरे चने का आटा बेसन कहलाता है जो हर तरह की पकौड़ी बनाने के काम आता है. चने की लोकप्रियता अर्थशास्‍त्र के रचेता चाणक्‍य के नाम में छिपी है. चाणक्‍य मतलब चणक का. चाणक्‍य को आज की भाषा में कहेंगे चने का!

किस्‍सा मशहूर है कि औरंगज़ेब ने शहंशाह शाहजहाँ को क़ैद कर के आगरे के पुराने क़िले के उस कमरे में डाल दिया जहाँ से ताजमहल दिखाई देता था. आदेश था कि शाहजहाँ को क़ैद में बस एक ही नाज या दाल मिल सकेगी. जो चाहें चुन लें. शाहजहाँ ने चुना था चना. इस से बनने वाली चीज़ें इतनी ज़्‍यादा हैं कि हर रोज़ दिन में तीन बार स्‍वाद बदला जा सकता है… आप ही गिनिए चने से बनने वाले असंख्‍य व्‍यंजनों के नाम..!

अनाजों का राजा है चावल

चावल आधी से अधिक दुनिया में मुख्‍य आहार या स्‍टेपल डायट है. यदि गेहूँ का जन्‍म इराक़ में हुआ तो चावल का जन्‍मस्‍थान भारत में इलाहाबाद के आसपास माना जाता है.

रामायण महाभारत काल में मुख्‍य अनाज चावल था,  चावल के लिए हमारी भाषा में बेहद शब्‍द हैं:

अणुव्रीहि, अरुज, चाउर, चाँवर, चाँवल, चावर, चावल, तंडुल, तंदुल, तिहा, धान, धान दाना, धान्‍य, बिरंजा. भाक्त, राइस, लाजा, व्रीहि, शालि, शालिकल, शाली, सार, सालि.

अपनेआप उगे चावल या तिन्नी चावल के नाम हैं–

औडिका, तिन्ना, तिन्नी धान, तृणधान्‍य, तृणान्न, तृणोद्भव, निवार, नीवार, नेवार, पसही, प्रसाधिका, मुनिधान्‍य, मुनिभक्ष, मुवनिभोजन, मुन्‍यन्न, वनव्रीहि, हविष्‍य. (अभी तक कई व्रतों त्‍योहारों पर घार्मिक लोग ऐसा ही चावल खाते हैं. हविष्‍य से पता चलता है यज्ञ और हवन में यही चावल चलता था.)

उसना चावल को कहते हैं–

अणुव्रीहि, अर्धोषण, उसना, केदार, तंडुल, तंदुल, धरणष धान, धानी, धान्‍य, धान्‍योत्तम, मधुर, शालि, सालि, सीत्‍य, सेला, सुकुमारक, स्‍तंभ, स्‍तंबकरि.

चावलों का राजा है बासमती

बासमती चावलों का राजा है. देहरादून के आसपास होने वाला यह चावल सारे संसार में अपनी सौंधी गंध के लिए लोकप्रिय है. इस की गुणवत्ता ले कर अमरीका के टैक्‍सस राज्‍य में टैक्‍समती नाम की पेटेंतित किस्‍म का विकास किया गया है. पर कहाँ बासमती और कहाँ टैक्‍समती!

विलुप्‍त हो रही हैं चावल की सैकड़ोँ प्रजातियाँ

आजकल विकास के नाम पर अधिक उपज देने वाले नाज बोए जा रहे हैं. परिणाम यह है कि नाजों की पुरानी किस्‍में विलुप्‍त होती जा रही हैं. यह बात आने वाले समय के लिए ख़तरनाक़ हो सकती है, क्‍योंकि अगर किसी महामारी से नई किस्‍में नष्‍ट हो गईं तो पुरानी किस्‍में भी नहीं मिल पाएँगी. संसार गंभीर खाद्य संकट से घिर जाएगा. अब विश्वस्‍तर पर इन के बीज बचाने के लिए सीड बैंक बनाए जा रहे हैं.

भारत में चावल/धान की कुछ प्रजातियों के नाम हैं–

अज, अगहनी, अजान, अंजना, अनंदी, अमधौत, आउस, कजरी, कड़हन, कनकजीर, कनकजीरा, कपूरकाट, कलम, कलामक, कल्‍माष, कालधान, काला कंद, कुँअर, कुक्‍कुटोडा, कोरहन, क्षविका, गंधन, गजकेसर, गौरक, गौरशालि, चहोरा, जंगली धान, जई, जिरिया, जिन्‍हौर, झिनवा, तिन्नी, तिरिम, तिरिय, तुलसीबास, दर्दुर, दलगंजन, दाऊदख़ानी, देवधान, नवाबपसंद, निःशूक, निवार, नीलामती, नीवार, नृपान्न, पतंग, परमल, पवनाल, पांडव, पीतकेदार, पुंडरीक, पुष्‍पांड, पृष्‍ठश्वेत, फूलबिरंज, बगड़, बड़हन, बाँसी, बादशाहपसंद, बादामी, बालम, बासफूल, बासमती, बोरो, ब्रीहि, मधुकर, महाशक्ति, मातुल, मुँगरा, रंभा, रतनारी, रमकजरा, रमाली, राँढ़, राजक, राजभोग, राजान्न, रागी, रानीकाजर, रामकजरा, रामजमनी, रामदाना, रामदास, रामबिलास, रामभोग, रायभोग, रितुमारी, रूपमंजरी, रेंड़ा, रोड़, लंगुरा, लट, लांगल, लाल, लाल शालि, लुदरा, लुहनी, लेजुरा, लोह, लोहित, लोहित्‍य, विरंजफूल, वृष्‍णवाह, व्रीहिद्रोण, शकुनाहत, शालामुख, शालि, शिखा, शिखर, शीतभीरुक, श्‍यामजीरा, श्‍यामा, संसारतिलक, सत्‍या, साठी, सारो, सावनी, सितेतर, सिलहट, सुखदास, सुग्‍गापंखी, सूकरक, सूचिशालि, सेगर, सेड़ा, सेवँदी, सोंधी, सोकन, सौरों, स्‍थूल तंडुल, हंसराज, हरकेस, हायन, हीरानखी.

अर्थ क्‍या है?

रोटका. १. मोटी रोटी. २. मक्‍का. ३. बाजरा. ४. मोटा बेलन.

चौरेठा. १. चौकोर रोटी. २. चावल का आटा. ३. दोसे का घोल. ४. पिसा रीठा.

शीरमाल. १. खीर. २. शहद. ३. माल पूआ. ४. मीठी रोटी.

डबल का मीठा. १. मीठी नान. २. मिठोई की डबल परोस. ३. डबल रोटी की मिठाई. ४. दो तार की चाशनी.

उत्तर

रोटका. ३. बाजरा. मोटी रोटी को कहते हैं रोटड़ा.

चौरेठा. चावल का आटा.

शीरमाल. ४. मीठी रोटी. खीर को कहते हैं शीर.

डबल का मीठा. ३. डबल रोटी की मिठाई. हम हिंदुस्‍तानियों ने डबल रोटी से ऐसे ऐसे व्‍यंजन बना लिए हैं जिन की कल्‍पना डबल रोटी बनाने की कला का विकास करने वाले पश्‍चिम के देश कभी कर ही नहीं सकते थै. ऐसा एक पकवान है डबल का मीठा यानी डबल रोटी को घी में तल कर रसगुल्‍ले की तरह चाशनी में डाल कर बनी मिठाई. इस पर मलाई की गाढ़ी परत भी चढ़ा दी जाए तो क्‍या कहने. डबल रोटी के कुछ और व्‍यंजन हैं ब्रैड पकोड़ा, पाव भाजी, ऊसल पाव… हर प्रदेश में डबल रोटी से अपनी तरह के पकवान बनते हैं.

अरविंद लैक्सिकन के विशाल डाटा पर आधारित

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©अरविंद कुमार

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