सन 1572 मेँ डेन्मार्क के ज्योतिषविद टाइको ब्राहो ने जिस महानोवा या सुपर नोवा की खोज की थी, उस का नाम रखा गया टाइको का सुपरनोवा. अब साढ़े चार सदियोँ बाद उस महानोवा के केवल अवशेष दिखाई देते हैँ—तेजी से बढ़ते अत्युच्च इलैक्ट्रोन ऊर्जा वाले नील बुलबुले मेँ खरबों डिग्री हरे और लाल मलबे के ढेर.
© अरविंद कुमार
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