आकाश मेँ, कहेँ तो अंतरिक्ष मेँ, खगोल मेँ, हज़ारोँ लाखों प्रकाश वर्ष दूर तक देखने के लिए धरती पर लगी वेधशालाएँ नाकाफ़ी रहती हैँ. वातावरण की धुँध अधिकांश क्षकिरणों (एक्सरे) को धरती तक नहीँ पहुँचने देती. इन का हम तक न पहुँचना हमारे लिए बेहद लाभकारी और जीवरक्षक है. लेकिन वातावरण से ऐसी एक्सरे वेधशालाओँ की नज़र कमज़ोर हो जाती है. इस लिए खगोलिकीविदोँ ने अंतरिक्ष मेँ तरह तरह की वेधशालाएँ स्थापित की हैँ. इन मेँ से एक है चंद्रा एक्सरे ऑबज़्रर्वेटरी—हमारे शब्दों मेँ चंद्राबीन. चंद्राबीन की पहुँच अंतरिक्ष की गहन दूरियोँ तक है. इस ऑबज़्रर्वेटरी का नाम भारतीय मूल के अमरीकी भौतिकीविद सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर के सम्मान मेँ रखा गया था. (यहाँ यह भी बता देँ कि फ़्राँसीसी प्रभाव मेँ चंद्रा का अमरीकी उच्चारण है शैंड्रा.) अमरीकी संस्थान नासा NASA की चार ग्रेट या महान वेधशालाओं मेँ यह चौथी है. (इस से पहली तीन ग्रेट वेधशालाओं के नाम हैँ—हबल स्पेस टेलिस्कोप, कौंप्टन गैमा रे ऑबज़र्वेटरी, और स्पिट्ज़र स्पेस टेलिस्कोप.)
All pictures from the internet with compliments. सभी चित्र इंटरनेट से साभार.
© अरविंद कुमार
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